अजीत अंजुम-
नौ सालों में पीएम मोदी से एक भी सवाल नहीं पूछने वाले एंकर बार -बार कह रहे हैं कि हम सवाल पूछ रहे थे इसलिए हमारा बहिष्कार किया गया ..
मुश्किल सवालों से डर गया विपक्ष ?
अरे भाई ये तो बताओ कि मई 2014 से अब तक सत्ता में बैठे मोदी और शाह से कब एक भी सवाल पूछा .
सारे सवाल विपक्ष से ही पूछने है ?
मोदी के सामने लोट जाना है ?
हाथ जोड़कर खड़े हो जाना है ?
शहादत के दिन मोदी के जश्न पर भी कोई सवाल मोदी से नहीं पूछना है ?
फिर किस सवाल की बात कर रहे हो ?
अमरेन्द्र राय-
पत्रकारिता की इतनी बदनामी कभी नहीं हुई। आपातकाल में भी नहीं। लोग कह रहे हैं कि असली दोषी इन एंकर्स का मैनेजमेंट है। ये सच है, ये हम सब जानते हैं। लेकिन एक होता है नौकरी करना, एक होता है नौकरी बचाना और एक होता है मलाई खाने के लिए मैनेजमेंट के फसलों को बढ़ चढ़ कर लागू करना। ये एंकर तीसरी कैटेगरी वाले हैं।
चंद्र भूषण-
बात कुछ एंकरों की नहीं है। विपक्ष द्वारा बहिष्कृत 14 नामों में आधे तो इतने पैदल हैं कि मौजूदा ठिकाने से हटाए जाने के बाद उन्हें काम नहीं मिलेगा, अगर सरकार की बैकिंग न रहे तो। सत्ता का हुक्का जो मीडिया मालिक भर रहे हैं, उनका नाम तो लें!
