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सियासत

इफको की कहानी (22) : मोदी सरकार भी अवस्थी के सामने घुटने टेक चुकी है!

रविंद्र सिंह-

कब लौटेगा इफको का गौरव, हस्तक्षेप कर पाएगी मोदी सरकार? 

कृभको-

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-उपेंद्र सिंह बी. राठवा, गुजरात से शिकायत दिनांक 15 नवंबर 2017 प्राप्त हुई जो 12 फरवरी 2018 को जांच के लिए सी.बी.आई को भेजा गया है। 
-बी के पटेल के शिकायत पत्र को 12 फरवरी 2018 को सीबीआई को जांच के लिए भेज दिया गया है जिसमें आरोप है डा. चंद्रपाल यादव अध्यक्ष कृभको एवं निदेशक ने अपने पुत्र देशपाल यादव के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी आन्या पॉलीटैक एंड फर्टिलाइजर्स लि.संयुक्त उद्यम स्थापित करने के लिए धन का दुरूपयोग किया है। यह परियोजना आंध्र प्रदेश में डीएपी, एनपीके उत्पादन के लिए गैर कानूनी तरीके से निर्माण की जा रही है।

श्रीमती दर्शन विक्रम (संसद सदस्य लोकसभा)
संसद सदस्य ने एक बार फिर अपनी ही सरकार से सवाल अतारांकित प्रश्न संख्या 1858 करते हुए 7 मार्च 2018 को पूछा है-

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: गत् 1 वर्ष के दौरान रसायन और उर्वरक मंत्रालय से जांच हेतु सीबीआई को भेजे गए मामलों की संख्या और ब्यौरा क्या है।
: जांच पूरी करने के लिए मामले वार कितना समय लगेगा
उत्तर-
कार्मिक, लोक शिकायत पेंशन मंत्रालय, प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने सरकार का पक्ष रखते हुए पूछे गए सवालों का जबाव इस तरह दिया है-
: मंत्रालय को ग्लोबल वेलनेस फाउंडेशन नई दिल्ली, उपेंद्र सिंह बी राठवा गुजरात एवं बीके पटेल गुजरात से कुल 3 शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिन्हे सीबीआई को भेज दिया गया है। ग्लोबल वेलनेस ने इफको भ्रष्टाचार से संबन्धित एवं उपेंद्र बी राठवा व बीके पटेल ने कृभको से संबन्धित भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। 
: जांच के दौरान दस्तावेजों का गहन परीक्षण, फॉरेंसिक विशेषज्ञों की राय प्राप्त करना तथा आरोपी पक्ष से पूछ ताछ करना लंबी प्रक्रिया है इसलिए जांच पूरी करने की समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है। 

श्री चुन्नी भाई कंजी भाई गोहेल (संसद सदस्य राज्य सभा)
इफको में उदय शंकर अवस्थी के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खडा करते हुए राज्य सभा में प्रश्न सं. 153 पूछकर मुसीवत में डाल दिया तो सरकार की भी मजबूरी हो गई अब सही जबाव देना ही पडेगा। 9 मार्च 2018 को उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने जबाव देते हुए कहा कि बोर्ड ने एमएससीएस एक्ट 2002 के लागू होने के बाद गैरकानूनी, अवैध प्रक्रिया अपनाते पहले बायलॉज संशोधन किया फिर कृषि सचिव ने पंजीकृत कर दिया। इसके बाद सरकार का अंश धन वापस कर दिया गया। यह जबाव किसी हुए सबसे और का नहीं है बल्कि केंद्र की सत्ता में बैठे उर्वरक मंत्री अनंत कुमार का है वह पूछे जाने पर जबाव देने मात्र से पाक-साफ साबित नहीं हो जाते हैं। 5.5 करोड किसानों बताना होगा कि सन् 2014 से आज 4 साल पूरे हो चुके हैं आखिर इफको घोटाले पर वह कार्रवाई करने के बजाए चुप क्यों रहे हैं? उनकी नजर में बोर्ड ने गैरकानूनी तौर पर इफको पर कब्जा किया है तो उन्होने अपनी जिम्मेदारी कैसे निभाई है यह तस्वीर भी साफ होना देश हित में जरूरी है।

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सवाल यह भी है सरकार के मंत्री संसद सदस्य को यह भी बता रहे हैं कि बोर्ड लगातार मनी लॉड्रिंग के जरिए गरीब किसानों का धन विदेश पहुंचा रहा है। जिसमें सबसे बड़ी भूमिका उदय शंकर अवस्थी की है वह अपने बेटों एवं रिशतेदारों को भी संस्था से अवैध धन लाभ देने का अपराधी है फिर यह केस जांच के लिए मंत्री ने ईडी को किस बजह से नहीं सौपा? क्या मंत्री पर किसी का दबाव है या फिर मंत्री अवस्थी के सामने बौने साबित हो गए हैं।

श्री बलविंदर सिंह भुंडर (संसद सदस्य राज्य सभा )
श्री बलविंदर सिंह भुंडर केंद्र में सरकार के सहयोगी दल से सांसद हैं उनका उद्देश्य सरकार से संसद में सवाल पूछकर इफको भ्रष्टाचार में लिप्त अवस्थी एंड गैंग को सजा दिलाना नहीं है, बल्कि अपने ही दल के पूर्व उर्वरक मंत्री सुखदेव सिंह एवं वर्तमान इफको चैयरमैन बलविंदर सिंह नकई को मोदी सरकार पर दबाव बनाकर बचाना है।

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यही बजह है कि उन्होने सवाल सं. 1162, 2288, 2924 अतारांकित के जरिए जानकारी ली परंतु उर्वरक मंत्रालय लंबे समय से एक ही रटा रटाया जबाव देकर पल्ला झाड रहा है कि बोर्ड ने गैरकानूनी, प्रक्रिया अपनाकर बलपूर्वक बायलॉज संशोधन कर सरकार का अंशधन वापस किया है जो पूरी तरह से बिवादित है। ऐसा मंत्रालय इसलिए कर रहा है या तो सीबीआई किसी तरह की जांच साझा नहीं कर रही है या फिर मंत्रालय को सरकार का ऐसा जबाव देने के निर्देश हैं जिससे आगे की जानकारी पूरी तरह से पाइप लाइन में बंद रहे वरना जनता में जाने के बाद सरकार को भी संभालना मुश्किल हो जायेगा।

श्री प्रेम सिंह चन्द्माजरा (संसद सदस्य लोक सभा)
श्री प्रेम सिंह चन्द्रमाजरा शिरोमणी अकाली दल से लोक सभा में संसद सदस्य हैं श्री सिंह ने 7 अगस्त 2018 को अतारांकित सवाल सं. 3225 के जरिए सरकार के मंत्री से जानकारी मांगी कि इफको बोर्ड ने केंद्र सरकार की हिस्सेदारी अवैध और गैरकानूनी ढंग से एमएससीएस एक्ट 2002 के लागू होने के बाद वापस की है। साथ ही यह भी पूछा है कि केंद्रीय रजिस्ट्रार के समक्ष अपील दायर करने से पूर्व विधिक राय ली गई है।

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उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय में राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा है भारत सरकार ने उर्वरक विभाग के माध्यम से इफको केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा किए गए पंजीकरण के विरुद्ध एमएससीएस एक्ट 2002 की धारा 99 के तहत 4. 8. 2017 को अपीलीय प्राधिकरण में अपील की जो इस प्रकार है- 26.12. 2002 को इफको बोर्ड द्वारा किए अ द्वारा किए गए अवैध पंजीकरण को अमान्य घोषित कर इफको को पूर्व की संशोधनों व 1.1. 2003 के पंजीकरण प्रमाण पत्र के द्वारा केंद्रीय रजिस्ट्रार तरह मूल स्वरूप में वापस लाने का आदेश पारित करने के संबन्ध में है। मंत्री ने यह भी साफ किया है अपील से पूर्व विधि विभाग से राय मांगने के बाद ही निर्णय लिया है जिसमें विभाग को किसी तरह की आपत्ति नहीं है। 

श्री पी आर सुन्दरम् (संसद सदस्य लोक सभा)
लोक सभा और राज्य सभा में अब तक पूछे गए प्रश्नों में श्री पी आर सुन्दरम ने इफको घोटाले की तह में जाकर बाकई देश हित में ससंद सदस्य होने का उपयोग किया है और जबाव देकर सरकार की भी जवाबदेही तय हो गई है। श्री सुन्दरम् ने 5 ऐसे सवाल पूछे हैं जिनसे 16 साल से पाइप लाइन में बंद इफको घोटाला वाहर आने का इंतजार कर रहा है। अध्ययन से साफ हो रहा है कि उदय शंकर ने आजादी के बाद भारत में सबसे बड़ा घोटाला किया है और लग भग हर राजनैतिक दल को चुनावी चंदा देकर मुंह बंद रखने को मजबूर किया है। उर्वरक मंत्रालय ने राव इंद्रजीत सिंह रसायन मंत्री के माध्यम से संसद में जबाव इस तरह दिया है। इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव के बोर्ड में प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी ने भारत सरकार का अंशधन गैरकानूनी प्रक्रिया के तहत वापस किया है जो बिवादित है, अंशधन इफको के उप-नियमों को गैरकानूनी रूप से संशोधन कर एमएससीएस एक्ट की गलत व्याख्या कर किया है जो पूरी तरह से अवैध है। इफको में अवस्थी के मनमानी, भ्रष्टाचार, कदाचार, उप-नियमों से छेडछाड करने व गरीब किसानों के अंशधन से स्वयं व परिवार के सदस्यों को लाभ पहुंचाकर बडी तादात में हानि पहुंचाई है।

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उर्वरक मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि मंत्रालय व पीएमओ को मिली शिकायतें सीबीआई को जांच कर कार्रवाई करने के लिए भेजी गईं हैं परंतु सीबीआई की जांच आख्या अभी लंबित है। सोचनीय विषय यह है संसद भारत का सर्वोच्च सदन है और इस सदन में बार-बार इफको घोटाले का मुद्दा गरीब किसान एवं जनता द्वारा चुने गए सदस्य उठाकर सरकार के संज्ञान में ला रहे हैं परंतु दुखद बेहद दुखद यह है कि मोदी सरकार भी अवस्थी के सामने घुटने टेक चुकी है अन्यथा अब तक गिरफ्तार कर जेल में बंद कर इफको में रिसीवर बैठाकर नियंत्रण में ले लिया होता? 

श्री पी एल पुनिया (संसद सदस्य राज्य सभा )
श्री पी एल पुनिया ने प्रश्न सं. 1860 अतारांकित के जरिए कार्मिक पेंशन एवं लोक मंत्रालय से जानकारी मांगी कि 2017 से 30.6.2018 तक केंद्रीय सर्तकता आयोग को कुल कितनी शिकायतें मिली हैं और उक्त शिकायतों पर क्या कार्रवाई की गई है। प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद के माध्यम से उक्त प्रश्नों का जबाव देते हुए कहा है कि 1.1. 2017 30.6.2018 तक 39600 शिकायतें सीवीसी को मिली हैं जिसमें से 36600 का निस्तारण कर दिया गया है 12803 शिकायतें बिना नाम के छदम् पाईं गईं, 23507 शिकायतें विभिन्न सीवीओ को कार्रवाई के लिए भेज दी गईं हैं, इसके अलावा बची 315 शिकयतें जांच हेतु सीबीआई को भेजी गईं हैं। परंतु सहकारिता माफिया उदय शंकर अवस्थी ने इंडिया कोआपरेटिव डॉट कॉम पर न्यूज छपवाई है कि इफको एक निजी संस्था है सरकार की हिस्सेदारी नहीं है फिर सीबीआई, सीवीसी और ईडी के द्वारा प्रबंधन की जांच करने का कोई औचित्य नहीं है। 

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मजेदार बात यह है माफिया सरकार पर ही अर्नगल आरोप लगा रहा है। ताकि इफको के 8000 अधिकारी और कर्मचारी में असंतोष न भडके? 

हैरानी की बात यह है उर्वरक मंत्रालय फाइलों के आधार पर संसद को बार-बार बता रहा है कि अवस्थी ने सरकार के अंशधन, बैंकों और सबसिडी धोखाधडी की है। परंतु अवस्थी उक्त खबर के माध्यम से कह रहा है कि सीबीआई ने उसे नोटिस जारी किया जिसका जबाव उसने तथ्यों के साथ दे दिया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईमानदारी पर किसी को शक नहीं करना चाहिए इसीलिए उन्होने बेहद ईमानदार पूर्व आईएएस नृपेंद्र मिश्रा को अपना प्रधान सचिव नियुक्त किया था ताकि पीएमओ में पूरी तरह से काम काज में ईमानदारी बनी रहे। परंतु अध्ययन में इन तथ्यों को नकारा नहीं जा सकता कि कोई तो है जो पीएमओ के काम काज में हस्तक्षेप कर ईमानदारी से काम नहीं होने दे रहा है वरना 2014 से 2018 तक इफको बोर्ड के खिलाफ पीएमओ को अलग-अलग 5 शिकायतें मिलती हैं और वह सीबीआई में भेजने के बजाए कार्यालय में पडे़ धूल चाटते रहती हैं। अगर अब भी सहकारिता माफिया अवस्थी एवं अन्य पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो देश के 5.5 करोड अंश धारक किसानों को समझ लेना चाहिए सरकार को उसकी चिंता नहीं बल्कि माफिया को बचाने की चिंता है? 

बरेली के पत्रकार रविंद्र सिंह द्वारा लिखी किताब इफको किसकी का 22वां पार्ट..

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पिछला भाग.. इफको की कहानी (21) : बोतल से बाहर आते ही घोटाले का जिन्न अवस्थी समेत कई को जेल पहुंचा देगा!

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