अमिताभ ज्योतिर्मय–
चैनल का नाम इंडिया वॉयस…. लंबे समय तक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का एक प्रतिष्ठित नाम हुआ करता था। लेकिन जब इसमें नए मालिकों प्रेम सागर तिवारी जैसे का पदार्पण हुआ तब से यह खबरिया चैनल बर्बाती का प्रतीक खंडहर बन कर रह गया। कई किस्म के उत्पीड़न की घटनाएं चैनल के अंदर होने लगीं और अनैतिक रास्तों से घटनाओं को दबा भी दिया गया। शिष्टाचार और पूरी तन्मयता के साथ काम कर रहे कर्मचारियों की सैलरी आनी बंद हो गई।
कंपनी बहुत से फ्रॉड में लिप्त है। किसी भी कर्मचारी का टीडीएस तो कंपनी काट लेती है लेकिन इनकम टैक्स विभाग में जमा नहीं करती है। कंपनी के कई अन्य घोटाले हैं जिसके कारण ईडी (इंफोर्समेंट डिपार्टमेंट) द्वारा भी इंडिया वॉयस पर केस चलाया जा रहा है। कंपनी में अलग अलग लोगों द्वारा अवैध पैसा लगाया जा रहा है। जिन लोगों द्वारा पैसे लगाए गए हैं उन पर भी सरकार द्वारा केस चलाया जा रहा है। अनेकों घोटाले में लिप्त होने के बावजूद साठ गांठ कर सरकारी विज्ञापन चैनल को प्राप्त हो रहा है जो अपने आप में एक बड़ा फ्रॉड है। कुछ समय पहले चैनल के अंदर महिलाओं के साथ मारपीट की घटना हुई, फिर उन सभी पीड़ितों पर ही दबाव बनाकर केस को रफादफा करा दिया गया।
मेरी द्वारा ऊपर कही गईं बातें कोई हवा में नहीं कही गई हैं। मेरे कहने या कुछ भी बोलने के पीछे बड़ा आधार होता है। खबरिया चैनलों में मेरी अपनी पहचान और साफ सुथरी इमेज है। मैं अपनी ईमानदारी और कर्मठता के लिए लिए जाना जाना हूं। मैंने अनगिनत छोटे बड़े संस्थानों में एचआर एडमिन हेड या वाइज प्रेसिडेंट ऑपरेशंस के तौर पर काम किया है। बड़े से बड़े और दिग्गज पत्रकारों ने मेरे साथ काम किया है। मुझे इस क्षेत्र में लगभग 30 वर्षों का अनुभव है। समाज में मेरी अपनी प्रतिष्ठा और गरिमा है।
शुरुवाती लगभग 24 साल मैंने बहुत ही सकून, संवेदना, कुशलता के साथ काम किया है और कभी भी काम को लेकर मेरी ईमानदारी पर उंगली नहीं उठी है। परंतु मेरा दुर्भाग्य रहा कि विगत 8 वर्ष मैंने पूर्णतः तन मन धन से इंडिया वॉयस को दिया। हालांकि शुरुवाती समय में जब तक पुराने मालिक चैनल को संभाल रहे थे तो चैनल की काफी उन्नति, प्रगति, मान सम्मान और प्रतिष्ठा रही। चैनल को स्थापित करने और स्थापित होने के बाद चलाने के लिए संस्थान को आठ वर्ष जी तोड़ मेहनत, ईमानदारी और कर्मठता के साथ मैंने दिए।
परंतु पिछले लंबे समय से मेरी सैलरी रोक ली गई साथ ही मेरे ग्रेच्युटी और अर्डं लीव की राशि भी कंपनी खा गई है। जब मैंने देखा कि लंबे समय से सैलरी देने में कंपनी का अकाउंट्स सेक्शन, मैनेजमेंट और खुद मालिक आना कानी कर रहे हैं और तरह तरह के झूठे आश्वासनों से काम चलाया जा रहा है तो मैंने इस्तीफा दे दिया। ज्ञात हो कि मुझे यह भी कहा गया था कि यदि मैं इस्तीफा दे दूंगा तो मेरी बकाया राशि जो लाखो में है वह मुझे दे दी जाएगी।
परंतु बाद में पता चला कि यह मात्र एक ट्रैप था। मेरे इस्तीफा देने के बाद मुझे यह कह कर बेइज्जत और लाचार किया गया कि कंपनी के ऊपर कोई भी धनराशि बकाया नहीं है और मुझे एक पैसा भी नहीं दिया जाएगा। इसी बीच मुझे कंपनी के कई और घोटालों की जानकारी मिली जिसके बाद मैंने इस्तीफा दे दिया। मेरे इस्तीफा के बाद अकाउंटेंट ने साफ शब्दों में बताया कि अब कुछ भी नहीं मिलेगा जो करना है कर लो।
भारत में कोई भी नौकरीपेशा व्यक्ति मुख्यतः अपनी सैलरी पर ही निर्भर करता है। मुझे अपने परिवार के अलावा बूढ़े माता पिता और बहन के परिवार को भी देखना होता है। ऐसे में कोई समझदार व्यक्ति यह समझ सकता है कि मैं किस प्रकार मानसिक तनाव और यातना से पीड़ित हूं। मेरे खुद की मेहनत के लाखों रुपए इंडिया वॉयस कंपनी में फंसे हुए हैं और मैं आज स्वयं दाने दाने के लिए मजबूर हूं।
मुझे समझ नहीं आ रहा है कि बूढ़े लाचार बीमार माता पिता की सेवा किस प्रकार करूं? अपनी बहन और उसके छोटे छोटे बच्चों की किस प्रकार देख भाल करूं? ऐसा लगता है तनाव और गहन पीड़ा के कारण कहीं मैं ब्रेन हेमरेज या हार्ट अटैक का शिकार न हो जाऊं! कभी कभी लगता है कि इस तनावपूर्ण जीवन से मुक्ति के लिए मैं कोई अनुचित कदम न उठा लूं। जो भी हो, यदि मेरी असमयी, अचानक या अस्वाभाविक मौत होती है तो इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार इंडिया वॉयस का अकाउंटेंट, मैनेजमेंट और चैनल का मालिक प्रेम सागर तिवारी होगा। इन तीनों को मेरी मौत की साजिश रचने, मौत के लिए उकसाने, मौत जैसी परिस्थिति बनाने, गैर इरदातन हत्या, जालसाजी और धोखाधड़ी करने के लिए इन पर आईपीसी की दफा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 300(3) (गैर इरादतन हत्या), 420 (धोखाधड़ी), 463 (जालसाजी) के तहत मुकदमा चला कर इन्हें उम्र कैद की सजा दी जानी चाहिए। प्रेम सागर तिवारी के कारण आज मैं एक जिंदा लाश बन कर रह गया हूं।
अमिताभ ज्योतिर्मय सहारा टीवी, हमार टीवी समेत कई चैनलों में एचआर में थे.