नितिन त्रिपाठी-
इन दिनों आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का बड़ा हल्ला है. भारतीय रेलवे सीट एलोट करने में AI का दशकों से प्रयोग करता आया है.
१. यदि आप युवा आयु में हैं तो असंभव है कि आपके अग़ल बग़ल में किसी युवती की सीट एलोट हो.
२. हज़ार सीट ख़ाली होंगी लेकिन आपको वह दरवाज़े के किनारे वाली सीट ही एलोट करेगा.
३. यदि आप युवा हैं, अपेक्षा करते हैं ऊपर आराम से लेटेंगे तो ऊपर की सीट मिल जाये तो यह आपको लोअर सीट एलोट करता है.
४. यदि आप सौ वर्ष प्लस के हैं तो यह आपको अपर बर्थ एलोट करता है.
५. हज़ार सीट ख़ाली हों आपका बड़ा ग्रुप हो तो यह एक कूपे में आपको सीट कभी न एलोट करेगा.
६. आप हनीमून कपल हैं तो आपको कॉर्नर की सीट एलोट करेगा एक को इधर से कोने वाली और दूसरे को उधर से कोने वाली.
७. चार महीने पहले भी टिकट बुक कराने की कोशिश करिए, सारी सीट फ़ुल मिलेंगी. ऐन मौक़े पर पहुँचिये टीटी की जेब में कुछ माल पानी पहुँच जाये सीट मिल जाती है.
८. शताब्दी में आप दो लोग हों तो आमने सामने मुँह करके बैठने वाले चार वाले में दो सीट आपको एलोट करेगा. जब आप खाना खायें तो सामने बैठे खड़ूस अंकिल आपको घूरें. यदि चार लोग हैं और चाहें कि आपको चार वाली सीट एलोट करे तो दो एक कूपे में और दो दूसरे में एलोट करेगा.
तेजस से आ रहा हूँ. तीन चौथाई कोच ख़ाली है. लेकिन टिकट बुक करने पर टिकट बीच में आमने सामने देखते हुवे जो चार लोग वाली होती है वह एलोट हुई. दुबारा टिकट बुक कराई. सबसे पीछे दरवाज़े के बग़ल में सीट एलोट हुई.
अंततः तीसरी बार में ठीक सीट एलोट हुई. तब बाक़ी टिकट कैंसिल की.
कोच में आकर दिख रहा है मुश्किल से कुल बीस लोग होंगे. एक साइड बीच से पीछे तक पूरा ख़ाली है. ये जो फ़ेस बुक पर लोग लॉजिक देते हैं कि वेट बैलेंस कर सीट असाइन होती है. आधे डब्बे में एक भी सीट एलोट किए बग़ैर बचे आधे में घटिया सीट एलोट करना कौन सी अलगो है.
यह रेलवे की एआई वाली अलगो है, आपको मुस्तैद रखना है. सावधानी हटी दुर्घटना हटी इस लिए आप परमानेंट परेशान रहें वही सीट एलोट होती है.
नोट: यह अनुभव पिछले दो तीन साल के टिकट बुकिंग के मेरे व्यक्तिगत अनुभव हैं। आपके अनुभव भिन्न हो सकते हैं.