महक सिंह तरार-
बेस्ट बॉडी = वेस्ट बॉडी (30 की उम्र में मौत)… दो दिन पहले Joe Lindner की खून की नसें फटने से मौत हो गई। उसे सुंदर शरीर के कारण #joesthetics भी पुकारा जाता था। दुनिया के सबसे सुंदर पुरुष शरीर में से एक।
यूट्यूब का बड़ा सितारा, इंस्टाग्राम का बादशाह। प्रेमिका की बाँहों में देखते देखते दम तोड़ गया। वो सितारा था तो दुनिया में हलचल हुई। उसके रास्ते पर चलने वाले कई युवा छोटे बड़े शहरों के #Gym में उसी परिणति को प्राप्त होते है तो कुछ ताउम्र अपाहिज जैसा जीवन जीते है। सबसे प्रमुख कारणों में से एक कारण है स्वाद के लिए खाने की अति।
कल मेरे से दस साल छोटे बंदे से बात हुई। गुर्दे में बार बार पथरी बनती है। मैने पूछा क्या खाते हो। उसकी डाइट मेरे जैसी निकली। टिपिकल हरियाणा/वेस्ट यूपी के गाँव के बालकों जैसी। नंबर एक दूध, दूसरे नंबर पर घी, तीसरे पर दही, चौथे पर छाछ और उसके अलावा वही चावल+दाल, गेंहु वाली रोटियों संग नाममात्र की सब्ज़ी। मैने कहा तुझे पथरी नही बनेगी तो किसे बनेगी। मैं आज 52 का हूँ व 12-14 साल पहले डॉक्टर्स ने मुझे काट कर गॉलब्लैडर की पथरी निकाली थी।
पथरी वाले से पूछा की शरीर अकड़ता है? जवाब हाँ। मसल्स पैन होता है? जवाब कभी कभी। कब्ज रहता है? जवाब हाँ। ज़ाहिर है ये सारे लक्षण शरीर में तेज़ाबी तासीर के है। हमने उसे बताया की आगे आगे उम्र बढ़ेगी और ऐसे ही ख़ाना खाते रहोगे तो शरीर में जलन, बाय, स्किन प्रॉब्लम्स व फाइनली कैंसर के चान्स बनेंगे।
जब मेरा पहलवान जैसे शरीर था तब कॉर्पोरेट ऑफिस जॉब के एवरेज 10-12 घंटे बैठना होता था। तो शरीर मैंटेन करने के लिये द्वारका दिल्ली का गोल्ड जिम कई साल अड्डा रहा था। पथरी के ऑपरेशन के कुछ साल बाद ही फिर बड़ा झटका लगा। मेदांता गुरुग्राम के मेहमान बने। तमाम भयंकर वाली लाइफ स्टाइल डिजीज पकड़ ली जिनका नाम सुनकर आज भी आम आदमी के पैर काँपते है। डॉक्टर्स ने तीन चार दवाई (ताउम्र खाने की संभावना जताते हुए) लिख दी व ना खाने की संभावना में जीवन से हाथ धो बैठने की वार्निंग देकर विदा कर दिया।
मैं बाहर निकला। B Sc Bio से की थी। सारे PMT की तैयारी करने वाले दोस्तों से बेहतर ही पढ़ायी की थी तो पता था शरीर काम कैसे करता है। मेदांता का दवा का पर्चा रखा गाड़ी की डैशबोर्ड में जो लिफ़ाफ़े पर लिखा था वो गुरुमंत्र की तरह पकड़ लिया तथा हम शरीर ठीक करने के लिये खाने को सुधारने बैठ गये।
बाज़ार का घी नक़ली था तो अपनी गाय पाली, अपने फल स्टार्ट कर चुका। अपनी सब्ज़िया स्टार्ट करनी है दो साल के बाद। पर तब से दवा व बीमारी दोनों से दूर दशक बीत चुका।
Sanjay Sanju Saini कहते है की ग्रामीण परिवारों में शरीर में दर्द कैसा ही हो “हरे पत्ते वाली गोली” सबके समाधान के तौर पर खायी जाती है। ये दर्द होने की वजह क्या है।
शरीर में सबसे तेज तेज़ाब है HCL, व उसके अपोज़िट सबसे अल्कालाइन मिनरल है कैल्शियम। अब अगर आप शराब पियेंगे, ज़्यादा कॉफ़ी पियेंगे, ज़्यादा मांस खाएँगे, ज़्यादा दूध पियेंगे, ज़्यादा सिगरेट पियेंगे तो शरीर तेज़ाबी स्वभाव का होगा। उसे न्यूट्रल करने को शरीर हड्डियों से कैल्शियम फ़ास्फ़ोट खींचेगा जो उस तेज़ाबी स्वाभाव को न्यूट्रल करेगा। यहाँ तक सब वापस ठीक। मगर उसके बाद उस कैल्शियम का क्या ?
वो आपके सिस्टम में जगह जगह डिपाजिट होगा, वो जायेगा गाल ब्लैडर, गुर्दे, मूत्राशय में व बनेगा पथरी। वो जायेगा हड्डियों के जॉइंट्स पर व करेगा आर्थराइटिस माने जिसे बाय बोलते है गाँव वाले। पूर्वी हवा चलते ही उन्हें होगा दर्द, फिर वो खायेंगी हरे पत्ते की गोली। उससे दर्द ख़त्म – साथ में किडनी भी ख़त्म। इसका इलाज है दूसरे वाले हरे पत्ते ख़ाना।
दूध-घी सब सही है। मैं महीने का डेढ़ लीटर घी अभी भी खाता हूँ, पर अब दस सालों से साथ में हरे पत्ते भी जुड़ गये है। किसी भी एक तरह की अति से बचो वरना दुनिया के बेस्ट एथलीट की भी नसें/मसल्स फट जाती है।
middlepath is best path. Happy Guru Purnima