Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

ए जे फिलिप की पत्रकारिता के 50 साल : 10 हजार सम्पादकीय लिख चुके हैं, 70 पार के होने के बावजूद कई अखबारों, डिजिटल जर्नल में लिखते जा रहे हैं!

अमरेंद्र किशोर-

एजे फिलिप के साथ अमरेंद्र किशोर

अंग्रेजी के जाने माने टिप्पणीकार ए जे फिलिप अपनी बेबाकी और निर्भीकता के लिए जाने जाते हैं। संविधान से लेकर समाज की उनकी समझ अनूठी है। लिहाजा शब्दों में मर्यादा रखकर लिखना उन्हें बखूबी आता है। वह कभी भी, कहीं भी लिखते नजर आते हैं। क्योंकि उनकी निष्ठा उस पत्रकारिता में है जिसका बोलबाला हाल के सालों तक रहा है। अपने पचास साल के करियर में फिलिप साहब ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। लेकिन इन सब का असर कभी उनके व्यक्तित्व और लेखन पर नहीं पड़ा।

पत्रकारिता के लगातार बदलते परिदृश्य में, जहां कथाएं घटती-बढ़ती रहती हैं और पत्रकार आते-जाते रहते हैं, ऐसे कुछ चुनिंदा लोग मौजूद हैं जिनका स्थायी प्रभाव पेशे के सार को आकार देता है। ए.जे. कायमकुलम, केरल के मूल बाशिंदे हैं। नई दिल्ली में रहते हैं जिन्होंने हाल ही में पत्रकारिता में 50 साल की शानदार यात्रा पूरी की है। उनका प्रक्षेप पथ पेशेवर मील के पत्थरों के महज़ इतिहास से आगे निकल जाता है; यह अटूट समर्पण, बेदाग सत्यनिष्ठा और सत्य की निरंतर खोज की कहानी के रूप में सामने आता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फिलिप हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, ट्रिब्यून में अपनी सेवा दे चुके हैं। उनके पुराने सहकर्मी बताते हैं कि लिखने का गज्जब का उतावलापन उनके अंदर देखते ही बनता था। घटनाओं की समझ, उलझे संदर्भों पर उनकी तार्किकता का कोई जवाब नहीं होता। फिलिप अपने डेडलाइन के क़द्रदान इंसान रहे हैं। उससे कोई समझौता नहीं। न कंटेंट से और न अपने इंटेंट से।

पत्रकारिता में 50 वर्षों के पड़ाव तक पहुँचना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, लेकिन जो चीज़ ए.जे. को स्थापित करती है, वह है उनकी निष्ठा और तटस्थता। ऐसे युग में जहां नैतिकता और सत्यनिष्ठा से अक्सर समझौता किया जाता है, ए.जे. फिलिप पत्रकारिता की उत्कृष्टता के प्रतीक हैं, अपने दृढ़ विश्वास में अडिग और अपने कार्यों में पारदर्शी बने हुए हैं। कहानी कहने की उनकी क्षमता, मीडिया के लिए उनका लगाव और सच्ची पत्रकारिता को परिभाषित करने वाले मूल्यों को बनाए रखने की अनिवार्यता, उनका उत्कृष्ट लेखन प्रमाण के रूप में खड़ा है।

फिलिप सर से मेरी पहली मुलाकात 1986 में हुई थी। उन दिनों वे हिंदुस्तान टाइम्स के पटना संस्करण के असिस्टेंट एडिटर थे। खबरों के अलावा फीचर पेज के इंचार्ज। सारा एडिशन उनकी नजरों से होकर छपने जाता था। तब पढ़ने का बेहतरीन प्रचलन था। लोग अखबार शौक से पढ़ते थे। फिलिप सर बिहार के कोने कोने से तथ्य जुटाते, फुल पेज का एक साप्ताहिक कॉलम इन रेट्रोस्पेक्ट लिखते थे। अंग्रेजी में लिखे जाने के बावजूद तब बिहार में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला वह कॉलम था। हम छात्र बिहार के बारे में बहुत कुछ गहराई से उनके लेखन से जान पाए। कहते हैं इसी कॉलम की वजह से हिंदुस्तान टाइम्स के पटना एडिशन का प्रिंट आर्डर और दिनों के मुकाबले ज्यादा रहा करता था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बिहार में वह सामाजिक न्याय के नाम पर बटमारी का दौर था। समाज मे बागियों का दबदबा था। वे सामूहिक कर रहे थे। सवर्णों के खिलाफ लामबंदी तेज़ हो रही थी। सवर्णों की निजी सेना था। उनके खिलाफ खून के प्यासे नक्सली खेमों प्रतिरोध था। समाज जिस दौर से गुजर रहा था, फिलिप सर जमकर लिख रहे थे। उनके लेखन से प्रभावित होकर पत्रकारिता के नए चेहरे उगते नजर आए।

बदलाव के उस दौर में कई अखबारों के संपादकीय दायित्व निभाते हुए आखिरकार फिलिप सर सोशल वर्क में आये। यहां भी इन्होंने अपना बेस्ट दिया। लेखन भी जारी रहा। प्रचार और सम्मान की अभिलाषा से दूर फिलिप सर लेखन में जुटे रहे। जैसे पचास साल पहले, वैसे आज भी। नहीं थकने की जिद्द के साथ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

ए.जे. फिलिप ज़मीनी मूल्यों के गुमनाम नायकों के इतिहासकार के रूप में जाने जाते हैं। अनसुनी धुनों को पहचानने और जिन लोगों और स्थानों से उनका सामना होता है उनमें अनदेखी सुंदरता को पहचानने की उनकी क्षमता उल्लेखनीय से कम नहीं है। वह अपने पत्रकारिता लेखन के माध्यम से, प्रिंट, विज़ुअल और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी व्यापक मीडिया पहुंच का उपयोग करते हुए, अनेक प्रतिभाओं को सबसे आगे लाते हैं। समाज मे ए.जे. फिलिप का योगदान आम जनता के लिए जटिल मुद्दों को सरल बनाते हुए, अंग्रेजी भाषा के व्यापक उपयोग तक विस्तृत है।

ए जे फिलिप सर प्रोफेसर अमर्त्य सेन द्वारा स्थापित प्रतीची (इंडिया) ट्रस्ट के पहले निदेशक रह चुके हैं। वह हाल तक, भारत के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठनों में से एक, दीपालय के सचिव और मुख्य कार्यकारी भी थे। वह इंडियन करंट्स और फ्री प्रेस जर्नल के लिए नियमित रूप से लिखते हैं। लेखन के अलावा, वह ह्यूस्टन, टेक्सास, अमेरिका में स्थित दीपालय फाउंडेशन इंक के संरक्षक हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आज अखबारों और वेब पोर्टल के अलावा ए जे फिलिप फेसबुक पर खूब लिखते हैं। सरकार से सवाल पूछते हैं। नसीहत देते हैं। कहीं कहीं मुद्दों पर फजीहत भी करने से नहीं चूकते। खबरों की दुनिया मे चीख, चिल्लाहट, बड़बोलेपन और पार्टी प्रवक्ता बनने की होड़ में एक पत्रकार की लेखकीय जिद्द मायने रखती है। खास तौर से हिंदी अखबारों में लिखे जाने वाले इन दिनों के लेख और सम्पादकीय किसी संपादक की निष्ठा पर नहीं उसके चरित्र पर सवाल उठाने का यह मुनासिब दौर है।

ए.जे. फिलिप पत्रकारिता में 50 स्वर्णिम वर्षों की अमृतमय साधना पूरी कर चुके हैं। अपने पेशे के मूल सार- सत्य के प्रति प्रतिबद्धता, अनसुने के प्रति समर्पण और उत्कृष्टता की अटूट खोज का प्रतीक बन चुके हैं। ए.जे. फिलिप का लेखन और उनके द्वारा स्थापित विरासत महत्वाकांक्षी पत्रकारों के लिए प्रेरणा का काम करती है, उन्हें याद दिलाती है कि पत्रकारिता, अपने मूल में, समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए एक शक्तिशाली साधन है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फिलिप सर मुझे प्रभावित क्यों करते हैं? क्योंकि उनकी प्रतिभा पत्रकारिता के पारंपरिक क्षेत्रों से परे है। उन्होंने एक वक्ता, फोटोग्राफर और कहानीकार के रूप में अपनी प्रतिभा साबित की है। पिछले साल, उन्होंने अपने द्वारा खींची गई तस्वीरों की एक प्रदर्शनी आयोजित की थी जिसमें दृश्य कहानी कहने के लिए उनकी गहरी नजर का बेजोड़ नजीर पेश किया। उनके बहुमुखी दृष्टिकोण ने देश, दुनिया के सामने एक स्थायी छाप छोड़ी है, जिसने उन्हें पत्रकारिता में एक सच्चे पुनर्जागरण व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है।

ऐसे में ए जे फिलिप के लेखन से उम्मीद बनी हुई है। कागजों पर आपकी स्याही का गीलापन बना रहे सर।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement