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बड़े न्यूज चैनलों में कार्यरत हृदय रोग पीड़ित दो टीवी पत्रकार भरी जवानी में चल बसे!

कुमार धनंजय की दो तस्वीरें

कुछ रोज पहले (20-22 नवंबर के दरम्यान) दो पत्रकारों का निधन हो गया. फेसबुक पर इन्हें इनके जानने वाले श्रद्धांजलि दे चुके हैं. कामन बात ये है कि दोनों भरी जवानी में हृदय रोग से पीड़ित हो गए थे. अत्यधिक तनाव लेकर नौकरी करते हुए जीना महंगा पड़ गया. उपर से ये कोरोना काल. हालांकि आजतक न्यूज चैनल वाले पत्रकार कुमार धनंजय के निधन में कोरोना की कोई भूमिका नहीं बताई जा रही है. लेकिन न्यूज नेशन के पत्रकार अमित विराट के लिए हृदय रोग के साथ साथ कोरोना का हमला मारक साबित हुआ. ये दोनों नौजवान पत्रकार चुपचाप इस दुनिया से चले गए. हृदय रोग से पीड़ित कुमार धनंजय को पेसमेकर लगा हुआ था. अचानक हार्ट अटैक से उनका निधन हुआ.

वहीं न्यूज नेशन के रीजनल न्यूज चैनल में काम करने वाले टीवी पत्रकार अमित विराट के बारे में बताया जा रहा है कि उन्हें भी हृदय रोग था. वे काफी समय से हार्ट प्राब्लम से जूझ रहे थे. मीडिया में 15 साल से सक्रिय और ईटीवी यूपी में काम कर चुके अमित 8 साल पहले हार्ट सर्जरी करा चुके थे. प्राब्लम होने पर इसी माह दुबारा दिल्ली के जीवी पंत हॉस्पिटल में हार्ट सर्जरी कराई थी. कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. इसके बाद वह घर न लौट पाए. वर्ष 2012 में अमित की हार्ट सर्जरी दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में सकुशल हुई थी. 8 साल बाद फिर वह हार्ट प्राब्लम से जूझने लगे तब दुबारा सर्जरी हुई. दिक्कत तब बढ़ गई जब वे कोरोना संक्रमित भी हो गए. अमित विराट दिल्ली के बदरपुर के निवासी थे. उनका एक बेटा है.

आजतक के पत्रकार कुमार धनंजय के निधन को लेकर वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा और महेंद्र मिश्रा ने जो कुछ लिखा है उसे नीचे दिया जा रहा है-

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Deepak Sharma
आजतक में दो धनंजय थे । दोनों ही असाइनमेंट डेस्क पर थे और मेरे बेहद करीब थे। और अक्सर … मैं दोनों के एक जैसे नाम और काम को लेकर कन्फ्यूज़ हो जाता था। जब भी फोन मिलाता तो अक्सर कुछ इस तरह का रिप्लाई मिलता था..”दीपक भाई, मेरी ड्यूटी इवनिंग शिफ्ट मैं है , आप शायद दूसरे वाले धनंजय को ढूंढ़ रहे हैं।”

इसलिए उनमे से एक को मैंने फोनलिस्ट में कुमार ..यानि कुमार धनंजय के तौर पर आइडेंटीफाई करना शुरू किया। कुमार वास्तव में कुमार साहब थे। बेहतरीन हिंदी और उतनी ही बेहतरीन अंग्रेजी। साथ में थोड़ा सा एंग्री यंग मैन वाला स्वाभाव। और जनरल नॉलेज, शायद आजतक के कई सम्पादकों से भी बेहतर।

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कुमार धनंजय, दिल्ली में वसंत कुंज इलाके में ही रहते थे और अक्सर आजतक के स्टूडियो जाते या घर लौटते वक़्त मेरी कार में सफर करते। उनका साथ मुझे बेहद पसंद था क्यूंकि 40 -45 मिनट के इस सफर में वे, मुझे दिन भर की कई ख़बरों का अपडेट, कई घटनाओं का एनालिसिस देते थे। मेरे शो, या मेरी किसी खोज खबर के बारे में भी बारीक मशवीरा देते जो बड़े काम का होता था। वे दफ्तर के लोगों के बारे में कम, आईडिया और आइडियोलॉजी पर ज्यादा चर्चा करते थे। फिर एक दिन, धनंजय ने आजतक छोड़ने का फैसला किया और कई दिनों बाद मुझे बताया कि वे किसी अंग्रेजी पत्रिका में सलाहकार सम्पादक हो गए हैं।

धनंजय कम उम्र में दिल के मरीज़ हो गए थे और उन्हें पेसमेकर लगाना पड़ा था। इस मर्ज़ के कारण उनका स्वास्थ्य अक्सर गड़बड़ रहता था पर वे काम से समझौता करने वाले व्यक्ति नही थे। फिट रहने के लिए वे रोज़ाना वाक करते और हलकी फुलकी कसरत के लिए जिम भी जाते थे। इस एंग्री यंग मैन की खासियत ये थी कि वो चाहे दफ्तर में हो, प्रेस क्लब में हो या फिर अस्पताल के बेड पर… उसकी गर्मजोशी, ठसक भरी आवाज़ और ठहाका लगाकर हंसने का अंदाज़ ये अहसास कराता था कि कुमार के शब्दकोष में घबराहट, डर, संताप,अवसाद या कष्ट जैसे शब्द नहीं थे। वे वाक़ई ज़िंदादिल था।

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बेहद अफ़सोस के साथ लिखना पड़ रहा है कि कुमार धनंजय के बेलौस ठहाके हमेशा के लिए अब खामोश हो गए।

शनिवार की रात, मित्रों ने बताया कि वे नहीं रहे। कुछ मित्रों ने पहले बताया था कि करोना से अफेक्टड थे लेकिन ये गलत है। परिवार के अनुसार ये बात बिलकुल निराधार है। कृपया इस जानकारी को ठीक कर लें।मैं फिर से साफ कर दूं कि धनंजय भाई करोना से पीड़ित नहीं थे। प्रभु से प्रार्थना है कि उनके परिवार को इस दुख की घडी में सम्बल दे।

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Mahendra Mishra
कॉरोना काल में फेसबुक की दीवार शायद अब श्रद्धांजलियां ही चस्पा करने के लिए रह गई है। परसों पंकज भाई थे अब अपना प्यारा और छात्र आंदोलन के दौर का साथी धनंजय हम लोगों को छोड़ कर चला गया। साथी राजेंद्र प्रथोली जी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि कल रात डिनर के वक्त दिल के दौरे से मौत की आशंका जाहिर की जा रही है। वैसे धनंजय को हार्ट की बीमारी पहले से थी और उसे पेसमेकर भी लगा था। लेकिन उसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं थी और सब कुछ दुरुस्त चल रहा था। पोस्टमार्टम हो रहा है उसके बाद शायद तस्वीर साफ हो पाए। आज कल ज्यादा मुलाकात तो नहीं हो पाती थी प्रेस क्लब पर कुछ महीने पहले एक मुलाकात हुई थी और हमने एक दूसरे का हाल चाल लिया था। बेहद हंसमुख और दुखी लोगों को भी खुश कर देने वाला धनंजय आज हम सब को दुखी कर गया। इतनी भी क्या जल्दी थी धनंजय। तुम्हारे ठहाके जीवन भर हम लोगों की यादों में गूंजते रहेंगे प्यारे।

Rana Yashwant
धनंजय का जाना उन ठहाकों का ठहरना है, जो उसका ख़याल आते ही ज़ेहन में गूंजते हैं. ये बहुत तकलीफ़देह है. ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दे.

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Deepak Sharma
Rana ji just to correct information. Dhananjay was not suffering from corona.उनके कुछ मित्रों ने पहले बताया था कि करोना से अफेक्टड थे लेकिन ये गलत है। परिवार के अनुसार ये बात बिलकुल निराधार है। कृपया इस जानकारी को ठीक कर लें। मैं फिर से साफ कर दूं कि धनंजय भाई करोना से पीड़ित नहीं थे। प्रभु से प्रार्थना है कि उनके परिवार को इस दुख की घडी में सम्बल दे।

Acharya Shailesh Tiwary
बहुत दुखद है और दुखद पहलू यह है कि पत्रकार बंधुओं की घटना की चर्चा किसी भी चैनल पर नहीं होती चाहे वो देश के लिए या पत्रकारिता जगत के लिए कुछ भी किया हो।

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Dinesh Goswami
Sir की ये आवाज- असाइनमेंट से धनंजय बोल रहा हूँ । क्या कर हो कब तक भेजोगे
अब सिर्फ यादें ही ! इतनी सी छोटी आयु में यूं ही चल दिये । सादर नमन
विनम्र श्रद्धांजलि !

Qamar Waheed Naqvi
बहुत दुःखद। यक़ीनन धनञ्जय ख़बरों और मुद्दों की जानकारी के मामले में विलक्षण थे। विनम्र श्रद्धांजलि।

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Urmilesh
बहुत दुखद। सादर श्रद्धांजलि और परिवार के प्रति शोक संवेदना।

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