अमर उजाला के कानपुर संस्करण ने एक रचनात्मक और सकारात्मक प्रयोग किया है. जहां दूसरे अखबार और चैनल विकास दुबे के महिमामंडन व उसी की छोटी से छोटी जानकारियां बताने दिखाने को उतावले दिखे, वहीं अमर उजाला ने रुटीन कवरेज के अलावा एक सैद्धांतिक प्रस्तुतिकरण भी दी जिसे सकारात्मक कहा जाएगा.
अखबारों का असल रोल यही होता है. समाज को सही दिशा में ले जाएं. समाज के तात्कालिकता से ग्रस्त दिमाग को उदात्तता व आदर्श की तरफ मोड़ें. अमर उजाला कानपुर में आज ‘मैं विकास दुबे कानपुर वाला’ के जवाब में कानपुर के गौरवमयी इतिहास व चर्चित शख्सियतों का उल्लेख किया गया है, उनके बारे में विवरण देकर नई पीढ़ी को अपडेट किया गया है.
कलमकारों और क्रांतिकारियों की पहचान रही है कानपुर की. गुंडे मवालियों को आदर्श कतई नहीं बनाया माना जा सकता. अमर उजाला के कानपुर संस्करण के संपादक विजय त्रिपाठी को इस शानदार काम के लिए बहुत बहुत बधाई. आप भी पढ़ें ये विशेष कवरेज-
भड़ास एडिटर यशवंत का विश्लेषण.