Ajit Singh : दिल्ली की चाभी Congress के पास थी, है और रहेगी। दिल्ली में कौन जीतेगा ये congress तय करती है। पिछले 5-7 सालों से कांग्रेस का औसतन 22-24% भोट दिल्ली में रहा है। 2015 में भी congress ने तय किया था कि दिल्ली में केजरू रहेगा सो उसने अपना भोट AAP को दे दिया और खुद 8% और 0seat पे आ गयी। पर वही congress उसी दिल्ली का उपचुनाव कायदे से लड़ी और वही 22% भोट ले उड़ी। नतीजा भाजपा अधिकांश सीटें जीत गयी।
वही कांग्रेस इसी दिल्ली में नगर निगम DMC NDMC का चुनाव कायदे से लड़ी, नतीजा AAP साफ हो गयी. यही congress इसी दिल्ली में 2019 का लोकसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ी और 22% भोट पाई और AAP फिर दिल्ली में साफ हो गयी और भाजपा दिल्ली की सातों सीट ले उड़ी और केजरू की पार्टी 18% भोट पे सिमट गई.
जिस पार्टी का दिल्ली में 22% भोट है वो 4 % भोट ले रही है? इससे बड़ी Match Fixing क्या होगी भैया? और Fix Match chew3ये देखते हैं। इसीलिए दिल्ली का ये Fixed Match हमने नही देखा।
दिल्ली विधान सभा चुनाव में भाजपा को हमेशा ही 34 -38% तक भोट मिलता आया है। वो आज भी बरकरार है। उसमें अगर एक भी भोट कम हुआ हो तो बताओ?
रही बात मनोज तिवारी की तो उसकी कोई गलती नही । उसने नही कहा कि मुझे दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष बनाओ। तुमने अपनी फटी में बनाया है। तुम्हारे पास उससे बेहतर Candidate होता तो तुम उसे बनाते। मनोज तिवारी को नही बनाते।
दिल्ली भोजपुरिये भइयों, मजदूरों, आप्रवासी झुग्गी वालों का शहर है। जिस शहर में 1 करोड़ भोजपुरिये रहते हों उन्हें साधने के लिये किसको बनाओगे भाजपा अध्यक्ष? Slum Dwellers से आप क्या Expect करते हैं?
दिल्ली राज्य में भाजपा की सरकार तब तक नही बनेगी जब तक Congress नहीं चाहेगी।
इसी दिल्ली में Congress पूरी ताकत से लड़ जाए तो यही भाजपा इसी 38% भोट में 50 — 55 सीट जीत जाएगी और केजरू 10 Seat को तरस जाएगा।
आग को पानी का डर बने रहना चाहिये। भारत मे बहु दलीय लोकतंत्र है। Multi party Democracy. एक ज़माना था जब देश मे सिर्फ Congress Party राज करती थी। एकछत्र राज था।
धीरे धीरे देश के विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दल उभरे और Congress को खा गए। 1984 के बाद फिर कभी कांग्रेस का पूर्ण बहुमत नही आया । और फिर बाबरी विध्वंस के बाद जब मुल्लायम — लालू उभरे तो मुसलमानों ने कांग्रेस छोड़ सपा — लालू को अपना लिया । बस वहीं से कांग्रेस के दुर्दिन शुरू हुए और आज तक चल रहे हैं ।
1989 से ले के 2014 तक देश की जनता ने खंडित जनादेश दिया । फिर मोदी के करिश्माई नेतृत्व में भाजपा को लगातार दो बार पूर्ण बहुमत मिला । भाजपा /मोदी के उदय के साथ न सिर्फ कांग्रेस कमज़ोर हुई बल्कि ज़्यादातर क्षेत्रीय दल भी कमजोर हुए हैं।
बहुदलीय लोकतंत्र में अगर 3 या 4 पार्टियां किसी राज्य में हों तो सबसे बड़ा दल औसतन 25 से 32%भोट ले कर भी poll sweep कर देता है । इसके विपरीत दो दलीय राजनीति में 44- 46% भी कम पड़ सकता है …… ऐसे में सबसे बड़ी पार्टी के लिए ये ज़रूरी है कि उसके विरोधी दोनों दल बराबर मज़बूत रहें।
हरियाणा में क्या हुआ?
इनेलो और Congress दोनों मज़बूत रहें तो भाजपा आराम से 34 – 38% भोट ले के poll sweep कर दे।
पर इनेलो की आपसी फूट उसे ले डूबी और वो इतनी ज्यादा कमज़ोर हो गयी कि दुष्यंत चौटाला की JJP 90 में से सिर्फ 20 सीट ही कायदे से लड़ पाई । बाकी 70 सीटों पे उसका भोट 5 – 10,000 रह गया । इसका नतीजा ये हुआ कि भाजपा विरोधी सारा वोट इन 70 सीटों पे Congress को चला गया …….. इनेलो / JJP का अत्यधिक कमज़ोर होना कांग्रेस को संजीवनी दे गया और जो काँग्रेस 10 के नीचे रहनी थी वो 30 पे पहुंच गई और जो भाजपा 60 – 70 तक जानी थी वो 40 पे सिमट गई.
अब यही खतरा UP में है …… भेन जी लगातार कमज़ोर हो रही हैं …… कांग्रेस पहले से मृतप्राय है ……. ऐसे में भाजपा विरोधी भोट की धुरी सपा बन सकती है …… इसके लिये जरूरी है कि बसपा मजबूती से मैदान में डटी रहे और अपना 18 — 22 % भोट retain करे …….. अगर बसपा 18% से फिसल के 10 — 12% पे गयी तो इसका फायदा सपा को होगा और वो 22 — 24 से बढ़ के 30- 32% पे आ जायेगी ……. चतुष्कोणीय संघर्ष में ये बहुत खतरनाक होगा.
पिछले कुछ महीनों के भाजपा नेताओं के भाषण सुनिये। योगी जी ने एक शब्द भी बहिन जी के खिलाफ नही बोला है ….. भाजपा से लड़ने को मीम भीम खालसा का जो नया गठजोड़ कांग्रेस तैयार कर रही है उसमें उसे UP में 22% पे पहुंचना होगा …… अभी वो 8% पे है …… अगर इसमे मीम भीम का छोटा सा हिस्सा भी जुड़ जाए तो वो congress को आराम से 22% पे ले जाएगा …… और UP Bihar में Congress जैसे ही 22% छुएगी उसका revival हो जाएगा ……
ऐसे में ये बहुत ज़रूरी है कि UP में बहिन जी पूरी मजबूती से मैदान में डटी रहें …….. उनके कमज़ोर होते ही मुसलमान तुरंत काँग्रेस में चला जायेगा और सारी equation बदल जाएगी ……..
लेखक अजीत सिंह ‘पहलवान’ गाजीपुर के निवासी हैं और इन दिनों पंजाब में शिक्षक के तौर पर कार्यरत हैं. वे बीजेपी-संघ के घनघोर समर्थक हैं.
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सिंहासन चौहान
February 14, 2020 at 5:50 pm
BJP को उनकी अभद्र भाषा, घमंड और बड़बोलापन ले डूबा, आम जनता के लिए मामूली सी बचत भी इस महगाई के दौर में बहुत है । AAP अपने काम और एजेंडे के बल पर जीती है नाकि कांग्रेस के रहमोकरम से । वैसे भी BJP को शासन करना नहीं आता है । हिटलरशाही है ।