वर्ष 2016 में लखनऊ से शुरू हुए लाइव टुडे न्यूज़ चैनल में अब तक कोई भी संपादक एक साल से ज्यादा नहीं रहा। जैसे दिनेश पाठक, प्रमोद गोस्वामी, हनुमंत राव, श्रीपति त्रिवेदी और अब विवेक तिवारी। चैनल के मालिक बी एन तिवारी और उनके सुपुत्र कुश तिवारी ने किसी भी संपादक को पत्रकारिता नहीं करने दी, बल्कि अपने कार्य सिद्ध कराने के लिए चैनल खोला और वो अपने काम कराते रहे।
यह चैनल वर्तमान में लखनऊ के गोमतीनगर के विजय खंड स्थित 2/138 घर (रिहायशी बिल्डिंग) से चल रहा है। चैनल के चेयरमैन बी एन तिवारी और डायरेक्टर कुश तिवारी चैनल के कर्मचारियों के साथ बेहद खराब तरीके से पेश आते हैं।
पिता और पुत्र के खिलाफ यूपी के कई जिलों में एफआईआर दर्ज हैं। चैनल प्रबंधन द्वारा फरवरी, मार्च और अप्रैल की सैलरी अब तक ना दिए जाने से लोग परेशान हैं। अब हालात ये हो चुका है कि चैनल के बिजनेस हेड दिव्य कुमार, मैनेजिंग एडिटर विवेक तिवारी, एक्सीक्यूटिव एडिटर धर्मेंद्र त्रिपाठी, असाइनमेंट हेड घनश्याम मिश्रा और उत्तराखंड स्टेट हेड सुरेंद्र ढाका समेत कई कर्मचारियों ने रिजाइन कर दिया है।
इस चैनल के मालिक बी एन तिवारी की मुख्य कंपनी “मार्स ग्रुप” के खिलाफ दर्ज मुकदमों को लेकर फरवरी में ईडी भी छापा मार चुकी है जिसकी अभी तक जांच चल रही है।
One comment on “लाइव टुडे न्यूज़ चैनल की हालत खराब, कइयों ने दिया इस्तीफा”
समझ के परे है कि कभी कभी भड़ास सुनी सुनाई और भाड़ासी बातों को सत्य के साथ क्यों लिखने लगता है। मैंने खुद लाइव टुडे बतौर ब्यूरो चीफ ज्याइंन किया था। १ साल पहले दूसरी नौकरी मिलने के बाद छोड़ दिया। छोड़ने के दिन तक लाइव टुडे ने एक एक पैसा मुझे भुगतान भी कर दिया। खबर में बकवास लिखी गयी है कि बीएन तिवारी जी और कुश तिवारी अपना काम निकलवाने के लिए चैनल चलाते हैं तो मैं हलफनामे के साथ कह सकता हूं कि आज तक दोनों व्यक्तियों ने मीडिया से इतर न कोई काम कहा और न मैंने किया। जहां तक बात लोगों की नौकरी छोड़ने की है तो नौकरी छोड़ने के मीडिया में १०० कारण हो सकते हैं। हमारे तमाम सहयोगियों ने अलग-अलग कारणों से नौकरी छोड़ी, कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपने कुकृत्यों के कारण चैनल को डुबाने में भी कोई कमी न रखी थी। अब चैनल में अपनी गाढ़ी कमाई लगाने वाला उन्हें बाहर का रोड न दिखाये तो दामाद की तरह तो पाले नहीं रखेगा। पूरा देश जानता है कि जो भी बिजनेस मैन इस देश में काम करना चाहता है उसे इंकम टैक्स और ईडी से कैसे परेशान किया जाता है। तो तिवारी जी भी उससे कैसे बचते। अंतिम में भड़ास के संपादक को बताना चाहता हूं कि जिस बिल्डिंग में लाइव टुडे चलता है वो एक व्यापारिक बिल्डिंग है और कमर्शियल मीटर भी लगा है। किसी संस्थान को बदनाम करना बहुत आसान है। लेकिन सच छुपता नहीं है।