Connect with us

Hi, what are you looking for?

इंटरव्यू

मेरी कोशिश लोकल रिपोर्टर और लोकल मार्केट को आत्मनिर्भर बनाने की है : संजय तिवारी

एक समय था जब हर कोई ‘गो ग्लोबल’ के नारे लगाता था लेकिन देश में आयी डिजिटल क्रांति और करोना काल ने ना सिर्फ लोगों को लोकल की वैल्यू समझा दी बल्कि इस सच्चाई से भी अवगत करा दिया कि अब भविष्य ग्लोबल का नहीं बल्कि लोकल का है। आज बहुत सारे एंटरप्रेन्योर हैं जो अपने स्टार्टअप के जरिये लोकल मार्केट और वहाँ रह रहे लोगो के बीच की कनेक्टिविटी और बेहतर हो सके, इस पर काम कर रहे है… संजय तिवारी भी ऐसे ही एक एंटरप्रेन्योर हैं जो लोकल रिपोर्टर और पब्लिशर को टेक्निकल, कंटेंट और रिवेंयू स्पोर्ट दे कर उन्हें अपनी वेबसाईट खड़ी करने में हेल्प कर रहे हैं.

संजय तिवारी

संजय कहते हैं- “पड़ोसी देश में हो रही घटनाओ के मुक़ाबले पड़ोस की गली में घटने वाली घटना हमारे लिए ज़्यादा मायने रखती है। अब तक लोकल न्यूज़ पेपर्स हमारे समाज और हमारी कम्युनिटी को एक साथ जोड़े रखते थे लेकिन डिजिटाइज़ेशन ने प्रिंट को धीरे धीरे ख़त्म सा कर दिया है और ग्लोबलाइजेशन ने लोकल के महत्व को। पर जैसा आपने सुना होगा, Whats goes around… comes around, और लोकल भी अब पलटकर वापस आ गया है और लोकल का जादू ऐसे छा रहा है की लगता है भविष्य अब सिर्फ लोकल का ही हो कर रहेगा बशर्ते की ये सारे लोकल्स को डिजिटाइज़ेशन का सपोर्ट हो.”

संजय का स्टार्टअप पूरी तरह से ‘हाइपर लोकल मीडिया इकोसिस्टम’ पर आधारित है. लोकडाउन के बावजूद पिछले 3 महीने में 50 से ज़्यादा शहरों में लोकल वेबसाईट शुरू हो चुकी है और इनका टार्गेट आने वाले कुछ महीनो में देश के सभी जिलों में वहां के लोकल पब्लिशर और रिपोर्टर्स के साथ मिल कर काम करना और उनको आत्मनिर्भर बनाना है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

संजय ने बताया- “ज्यादातर लोकल पब्लिशर डिजिटल के नाम पर 15-20 हज़ार खर्च कर WordPress पर वेबसाईट बना लेते हैं और डेली यहाँ वहाँ से कॉपी कर 6-7 न्यूज़ अपलोड कर देते हैं. इससे ना तो वो लोकल लोगों के दिल में जगह बना पाते हैं और ना ही लोकल मार्केट में। परिणाम स्वरुप, ना तो इन्हे बड़े ब्रांड्स से विज्ञापन मिल पाते हैं और ना ही लोकल मार्किट से। यही वजह है धीरे धीरे यह वेबसाईट बंद हो जाती है या बस नाम के लिये चलती रहती है। हमने लोकल पब्लिशर और लोकल मार्केट के इसी प्रॉब्लम को समझने की कोशिश की और 2 साल के रिसर्च-सर्वे के बाद हम इसके सोल्यूशन पर काम कर रहे है।”

संजय से बातचीत के दौरान हमने ये भी जाना कि 2006 से वे न्यूज़ की दुनिया में काम कर रहे हैं। कभी माया नगरी मुंबई में होने वाली मनोरंजन की ख़बरों को देश के छोटे छोटे केबल चैनल्स तक पहुंचाया तो कभी इंटरनेट के नए नए बुखार के मरीज़ छोटे छोटे पब्लिशर्स को फ्री न्यूज़ कंटेंट दे कर सपोर्ट किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

संजय आगे कहते है- “आज की डेट में जहाँ एक तरफ छोटे से छोटे व्यापारी को भी इस बात का अहसास हो गया है कि अगर हम अपने आस पास के लोगों के बीच में दिखेंगे नहीं तो बिकेंगे नहीं, वही लोकल पब्लिशर को भी यह समझना होगा कि बड़े बड़े ब्रांड, बड़े बड़े पब्लिशर के साथ मिल कर काम करते है पर लोकल लेवल पर छोटे छोटे व्यापारी जो 20-30 लाख रुपये लगा कर शोरूम खोलते है वो कहाँ जायेंगे? वो अपने आप को कैसे प्रोमोट करेंगे?… मेरा मानना है कि लोकल पब्लिशर्स को लोकल मार्केट के इसी प्रॉब्लम पर काम करने की जरूरत है, आज हर शहर का लोकल मार्केट बहुत बड़ा हो गया है हज़ारों शोरूम और बिज़नेसेज है जिन्हें प्रोमोशन की जरूरत हैं अगर पब्लिशर्स ने ईमानदारी से इस पर काम कर लिया तो वो ना सिर्फ लोकल मार्केट को अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट, जिओमार्ट जैसे बड़े ऑनलाइन प्लेयर्स से बचा लेंगे बल्कि धीरे धीरे ख़ुद को भी आत्मनिर्भर कर लेंगे”

ऐसे सभी पत्रकार और पब्लिशर जो लोकल लेवल पर वेबसाइट बना कर काम करना चाहते है वो newshelpline.com पर जा कर और अधिक जनकारी ले सकते है या संजय तिवारी से उनके whatsApp नंबर 8976004365 पर कनेक्ट हो सकते हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement