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मजीठिया वेज बोर्ड : करोड़ों का वेतन लेते मालिकों के 0 कम न हों इसलिए बदले 20जे के मायने

मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लेकर सबसे ज्यादा संशय ’20 जे’ को लेकर है। मजीठिया वेज बोर्ड किसी कर्मचारी को इसकी सिफारिश से अधिक वेतन देने की अनुमति नहीं देता, यह बात ’20 आई’ में लिखी है, लेकिन मालिकों का वेतन तो करोड़ों में है और उनके वेतन में कटौती न हो इसके लिए मजीठिया वेज बोर्ड की परिभाषा ’20 जे’ है।

मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश के पेज 19-20 में अंकित धारा ‘आई’ कहती है कि ”किसी भी कर्मचारी को संशोधित वेतनमान की अधिकतम सीमा से अधिक वेतन नहीं मिलेगा।” और धारा ’20 जे’ के मुताबिक ”संशोधित वेतनमान 1 जुलाई 2010 से सभी कर्मचारियों पर लागू होगा। हालाँकि, यदि कोई कर्मचारी इन सिफारिशों को लागू करने वाले अधिनियम की धारा 12 के तहत सरकारी अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर वह अपने मौजूदा वेतनमान और “मौजूदा परिलब्धियों” को बरकरार रखने के विकल्प का प्रयोग करता है। वह अपने मौजूदा वेतनमान और ऐसी परिलब्धियों को बरकरार रखने का हकदार होगा।”

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20जे के तहत सरकारी अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर किसी ने आवेदन ही नहीं किया था। मतलब यहाँ वेतनमान संशोधित करने का सवाल ही नहीं उठता।

न्यूनतम मजदूरी से कम वेतन नहीं दिया जा सकता
यदि किसी से कोई अनुबंध भी करा ले तो भी न्यूनतम वेतनमान (मजीठिया वेज बोर्ड) से कम वेतन नहीं दिया जा सकता। यह अनुबंध अपने आप में अवैधानिक होता है। संदर्भ औद्योगिक रोजगार (स्थाई आदेश) अधिनियम, 1946 की धारा 38। यही बात मजीठिया वेज बोर्ड में लागू होती है। यह पत्रकारों का न्यूनतम वेतन मान है। हाँ इसकी अधिकतम सीमा से ज्यादा वेतन नहीं दिया जा सकता।

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जैसे किसी से कोई अनुबंध करा लें कि तेरा मर्डर भी कर दूं तो भी तेरा परिवार मुझ पर केस नहीं करेगा। मुझ पर कोई कार्रवाई न हो। यह अनुबंध अपने आप में अवैधानिक है।

एक पत्रकार द्वारा भेजे गये पत्र पर आधारित.

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2 Comments

2 Comments

  1. ram singh

    November 13, 2023 at 6:16 pm

    इतने सालों बाद 20 जे क्या है यह सच्चाई पता चली। सवाल यह उठता है कि जब मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर अवमानना का केस चल रहा था तब किसी पत्रकार और वकील ने यह बात क्यों नहीं रखी?
    मतलब कोई पढ़ता ही नहीं। किसी ने कुछ बोल दिया तो सिर्फ उस पर बहस करने लगे। अरे उस धारा के आगे पीछे क्या लिखा है यह भी तो पढ़ते।
    बेकारण ने 20 जे का मामला सुप्रीम कोर्ट से लटकवा दिए और उसके आधार पर प्रेस मालिक पैसा नहीं दे रहे हैं।

  2. ramsingh

    November 20, 2023 at 5:29 pm

    सुप्रीम कोर्ट ने २० जे की दलील को पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया है तो फिर अब ये कौन से २० जे की बात उठाई गयी है दैनिक जागरण के मामले मैं साफ कर दिया था कौन ऐसा मुर्ख आदमी होगा जो काम वेतन मैं काम करना चाहेगा . राजस्थान में जयपुर में एक खेल जरूर चल रहा
    है की कभी केस कोर्ट नम्बर एक में चला जाता कभी कोर्ट नंबर दो में चला जाता है ये इन सफ़ेद हाथियों के द्वारा मोटी रकम देने के कारन सम्भ हो रहा हैं ताकि केस लम्बा चलाया जा सके लेकिन इस दुनिया में देर है अंधेर नहीं एक न एक दिन जीत तो सुनिश्ति है

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