माखनलाल पत्रकारिता विवि में अमर उजाला की हो रही थूथू
Gaurav Tiwari : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, नोएडा कैंपस में कुछ रोज़ पहले एक प्रतिष्ठित मीडिया हाउस ने ट्रेनी कंटेंट राइटर हायर करने के लिए एग्जाम रखा. इसमें केवल फाइनल ईयर के बच्चे शामिल हो सकते थे. उसमें जिसका मन हो वही हिस्सा ले, ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं थी.
करीब 22 बच्चों ने परीक्षा दी. उसमें से 6 बच्चे इंटरव्यू के लिए सेलेक्ट किये गए. इंटरव्यू के बाद सभी बच्चों को बताया गया, आप हमारे यहाँ काम कर सकते हैं. उन्होंने बिना किसी शर्म के बताया कि सबकी मासिक तनख़्वाह कुल जमा 2000 रुपये होगी.
क्या यही तय न्यूनतम तनख़्वाह है? किसी के आत्मसम्मान के चीथड़े उड़ाने से अच्छा आप उन्हें अनपेड ट्रेनी या इंटर्न कहकर रख लेते तो बेहतर होता. कृपया पत्रकारिता और अपने नाम के दम पर कुल 2000 रुपयों में बच्चों के रोज़ के 8 घण्टों का सौदा करने दोबारा न आएं. संस्थान का नाम है- अमर उजाला.
माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्र गौरव तिवारी के उपरोक्त एफबी स्टेटस पर आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं-
प्रज्ञा आपात चन्द्रकला सीरियस्ली? हम तो अभी तक जागरण के 12000 देने से ही दुखी थे, ये तो हद्द पागलपंती है..
केतन कुन्दन …और हमनें अपने बैच में जागरण को आने ही नहीं दिया। 10 या 12 दे रहे थे।
प्रज्ञा आपात चन्द्रकला बहुत अच्छा किया, इन लोगों के साथ ऐसा ही करना चाहिए। लोगों को मूर्ख समझ रखे हैं सब
Harsh Dubey चुनावी रैली में जो महिलाएं झंडा उठाकर भीड़ बढ़ाने जाती हैं, उन्हें 300 प्रति दिन + नाश्ता/खाना रहता है।
Sachin Dhar Dubey यह कब हो गया? सीधे गाली देकर रवाना करना था तब…
Niranjan Pathak आपलोगो के पास पुराना जूता नही था? रिक्रूटर को पहनाने के लिए?
Hitesh Mishra कृपया इसे साझा कीजिये और लोगों तक पहुँचेगा तो कम से कम सभी विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता के छात्र जागरूक होंगे।
कपिल शर्मा भारत में न्यूनतम रोजगारी प्रति दिन से 350 रुपये से ज्यादा है और इस पर guideline और कानून भी है। आवश्यक हो तो संबंधित मंत्रालय में शिकायत कीजिये।
Vijay Bitthal कपिल शर्मा भैया.. समस्या तो यही है कि वो वेतन दे नहीं रहे थे। वो केवल आने-जाने के लिए 2000 रुपये देने का दिखावा कर रहे थे। प्रशिक्षु के नाम पर गुमराह कर छात्रों की परीक्षा ली, इंटरव्यू लिया और अंत में इंटर्नशिप का राग अलापने लगे और छात्रों के अनुभव और समय दोनों को व्यर्थ समझा।
Vimalendu Singh ऐसे ऑर्गेनाइजेशन के लोगों को चार हज़ार तनख्वाह देकर यूनिवर्सिटी कैम्पस में पोछा लगवाना चाहिए।
Akhil Ranjan Which media org…??
Saurav Shekhar अमर उजाला
Shilpa Thakur यही हाल है हर जगह का, मैंने कॉलेज रेडियो में दो साल काम किया था, कई कई घंटों तक मेहनत की, आखिर में 2 हज़ार मिले थे, वो दिन आज भी याद है। इससे अच्छा देते ही नहीं, लेने में भी शर्म आ रही थी।
अंकित मिश्र चंचल एग्जाम ट्रेनी के लिए हुआ था जबकि ऑफिस में जाने पर 3 महीने के इंटर्नशिप की बात कही गई। लड़कों ने बोला कि अब हमारा इंटर्नशिप का समय नहीं, हमें नौकरी चाहिए भले शुरुआत 10-12 हजार से ही हो।
संस्थान ने कहा 2000 देंगे इंटर्नशिप कर लो। फिरहाल 6 में से 5 ने मुंह पर ही जवाब दे दिया, एक को इंटर्नशिप की जरूरत थी तो वह शायद रुक गया।
Mukesh Sharma Media house ka naam batao
Gaurav Tiwari भैया अमर उजाला
आदर्श तिवारी एक शून्य कम तो नहीं बताया। अगर केवल उतना ही बताया तो शर्मनाक हरकत है ये।
Latika Joshi Ye bhut galat hai
Mayank Upadhyay CA final को 1500 मिलते हैं इंटर्नशिप मे Prateek Jain
प्रशान्त शर्मा अपने उज्ज्वल भविष्य के सपने देख रहे छात्रों के साथ इससे भद्दा मज़ाक हो ही नहीं सकता
Tripty Shukla संस्थान को कैंपस प्लेसमेंट के लिए बुलाने से पहले ही ये सब बातें क्लियर कर लेनी चाहिए। और ऐसे मीडिया हाउसेज़ का बायकॉट करना चाहिए।
Vikas Kumar Porwal तो नाम लिख देना चाहिए, शर्माना कैसा? जागरण शुरुआत में 8 से 12 हज़ार देता है। उजाला भी शायद इतना ही, हिंदुस्तान 10 से 12 हज़ार देता है। कुछ और संस्थान हैं वहां मुश्किल से पहली नौकरी शुरू होती है।
Akhilesh Dwivedi ये मजाक नहीं है. देश में सस्ते लोग आसानी से उपलब्ध हैं. बेरोजगारों की फौज खड़ी है और पैसा खर्च करने की औकात कंपनियों की रही नहीं तो कोई भी संस्थान इस तरह का ऑफर दे सकता है. रही बात मना करने की तो यह तो छात्रों का अधिकार है. वैसे इतना सस्ता ऑफर किसने दिया उसका नाम भी आपको बताना चाहिए. या पैसा का उल्लेख आपने खुद बहुत कम बता दिया है. वैसे मीडिया में शुरुआत करने वालों के लिए 10 से 12 का चलन ज्यादा है.
Gaurav Tiwari पैसे का उल्लेख जस का तस है. संस्थान का नाम अमर उजाला है. शुक्रिया!
Akhilesh Dwivedi फिर तो न लेने का यह एक घटिया तरीका है. वो वैसे भी मना कर सकते थे.
Suraj Pandey अमर उजाला था ना?
Gaurav Tiwari भैया इत्ता कॉन्फिडेंस है आपको
Suraj Pandey राहुल सांकृत्यायन जैसे लोगों की पहली नौकरी वहीं से शुरू हुई थी
Akash Dwivedi मल्लब हद्द हो गयी …उनको बताओ दद्दा इत्ता तो Digitalचाणक्य तीन दिन में देता है
कुंदन वत्स नाम भी सामने आने चाहिए ऐसे संस्थानों के
Shishir Basant इतना तो फ्रीलांसिंग में स्टैंडर्ड रेट है एक रिपोर्ट का, अमर उजाला को सोचना चाहिए की मुँह दिखाने के लिए इज़्ज़त बचा के रखनी होती है.
Anand Pandey ऐसे लोगों को कॉलेज कैंपस में आने कौन देता है…??इनको जूता मार के बाहर निकाल देना चाहिए था कैंपस से
Neeraj Tiwari काहे इतनी गंध मची है अमर उजाला में?
Mukund Thakur हमने तो सोचा कि माखनलाल में तो मक्खन चलता होगा, हुओं सुखले है…
Gaurav Tiwari दादा हर जगह एक जैसी हालत है.
Mukund Thakur नाम बदल दो और सुखाड़ीलाल कर दो.. योगी जी ही थोड़ी कर सकते हैं आप जिम्मा उठाइए.. नेचर के विपरीत नाम नहीं होना चाहिए.. छल है
Shubham Thakur इन अमर उजाला वालों को हम लोगों ने साल 2017-18 में आईआईएमसी से भगाया था.
Abhinav Pathak मैंने भी भगाया था
Balram
December 10, 2019 at 11:28 pm
प्रिंट मीडिया मालिकों को रिपोर्टर नहीं हिजड़ों की फौज चाहिए या यूं कहें उन्हें बंधुआ मजदूर चाहिए। दो हजार देकर बाद में उनका खून भी बाद में चूस लेंगे। अधिकांशतः मीडिया घराने धनपशु है । उन्हें सिद्धांत और ज़मीर से कोई मतलब नहीं। वह तो इन लोगों ने पहली ही बेच खाया है।