
राजीव शर्मा-
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हर महीने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों को संबोधित करते हैं। पहले, मैं इसे यूट्यूब चैनल से सुनता था। फिर पीआईबी (पत्र सूचना कार्यालय) की वेबसाइट से संबोधन का मूल पाठ पढ़ने लगा, क्योंकि कई बार ऐसा होता कि पूरा संबोधन सुनने के लिए समय नहीं निकाल पाता था।
चूँकि देश में ऐसे लोगों की संख्या बहुत बड़ी है, जो या तो मोदीजी के घोर समर्थक हैं या घनघोर विरोधी हैं। समर्थकों को हमेशा यही लगेगा कि प्रधानमंत्री का हर संबोधन / भाषण बहुत कमाल का है, जबकि विरोधियों को खोट ही नज़र आएगा।
मुझे ‘मन की बात’ कार्यक्रम अच्छा लगता है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के अनूठे कार्यों का उल्लेख किया जाना। मैं ख़ुद भी गाँव से हूँ, इसलिए चाहूँगा कि हर कड़ी में ऐसे लोगों का उत्साह बढ़ाया जाए, जो गाँवों के विकास में भागीदारी निभा रहे हैं।
मुझे नहीं मालूम कि ‘मन की बात’ की योजना कौन बनाता है, कौन टाइप करता है और कौन पीआईबी की वेबसाइट पर प्रकाशित करता है, लेकिन ऐसा सुना है कि प्रधानमंत्री ख़ुद यह सब नहीं करते। उनकी टीम होती है, जिसमें हर चीज़ के विशेषज्ञ होते हैं। वे किसी बात को जाँच-परखकर ही आगे बढ़ाते हैं।
मैंने 24.09.2023 को ‘मन की बात’ संबोधन का मूल पाठ पढ़ा तो उसमें वर्तनी संबंधी ग़लतियों की भरमार मिली। पिछली कड़ियों का हाल भी लगभग वैसा ही था।

सवाल है- क्या प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले मूल पाठ की ठीक तरह से जाँच नहीं की जाती? प्रधानमंत्री के नाम से लिखे हुए ये शब्द ऐतिहासिक दस्तावेज़ होते हैं। क्या इस कार्य में सावधानी नहीं बरतनी चाहिए?
‘मन की बात’ की 105वीं कड़ी में कुछ ग़लतियाँ देखिए –
- ‘Quiz में जरुर हिस्सा लीजिये।’ ‘इस कार्यक्रम को जरुर देखिएगा, इससे जरुर जुड़िएगा।’ ‘स्वास्थ्य जैसी हर जरुरत का पूरा ध्यान रखते हैं।’ ‘तो उन्हें जरुर Share कीजिए।’
इनमें ‘जरुर’ और ‘जरुरत’ जैसे शब्द आए हैं, जो ग़लत हैं। सही शब्द ‘ज़रूर’ضرور और ‘ज़रूरत’ ضرورت हैं।
- पूरे संबोधन में कई बार ‘मेरे परिवारजनों’ आया है। जब हम किसी को संबोधित करते हैं तो ऐसे अंतिम ‘ओ’ की मात्रा पर लगने वाली बिंदी हट जाती है। जैसे- ओ दोस्तो! ऐ साथियो!
- मुझे सबसे ज़्यादा आश्चर्य इस वाक्य को पढ़कर हुआ –
‘अब इसी श्रृंखला में दिल्ली में एक और exciting programme होने जा रहा है।’
‘श्रृंखला’ शब्द ग़लत है। सही शब्द ‘शृंखला’ होना चाहिए।
- ‘उसकी भारतीय संगीत में ये रूचि, बहुत ही Inspiring है।’
सही शब्द ‘रुचि’ होना चाहिए।
- ‘किसी को दूसरी अनजान भाषा की दो-तीन लाइने बोलनी पड़ जाए।’
इस वाक्य में कुछ ग़लतियाँ हैं। सही वाक्य यह होगा- ‘किसी को अनजान भाषा की दो-तीन लाइनें बोलनी पड़ जाएँ।’
- ‘जर्मनी की कैसमी के इस जुनून की मैं ह्रदय से सराहना करता हूँ।’
यहाँ ‘ह्रदय’ शब्द ग़लत है। सही शब्द ‘हृदय’ होना चाहिए।
- ‘हाथियों की संख्या में उत्साहवर्धक बढ़ोत्तरी देखी गई है।’
पिछले कुछ वर्षों से ‘बढ़ोत्तरी’ शब्द का चलन बढ़ गया है। कई लोग इसे सही मानने लगे हैं। कुछ विद्वानों ने इसे सही नहीं माना है। शब्दकोश में ‘बढ़ोतरी’ मिलता है, जिसका अर्थ है- उत्तरोत्तर होनेवाली वृद्धि।
- ‘रास्ते का पुनरोद्धार कर चुके थे।’
शब्दकोश में सही शब्द ‘पुनरुद्धार’ बताया गया है।
- ‘ताकि उनके बच्चों का भविष्य भी उज्जवल हो।’
‘उज्जवल’ के स्थान पर ‘उज्ज्वल’ होना चाहिए।
- ‘स्वच्छता की ये कार्यांजलि ही गांधी जी को सच्ची श्रद्दांजलि होगी।’
मैंने ‘श्रद्दांजलि’ शब्द पहली बार पढ़ा है। ऐसा लगा कि इस वाक्य में हिंदी व्याकरण को ही ‘श्रद्धांजलि’ दे दी गई है!
देश में सुधार होता रहेगा, मोदीजी पहले तो ‘मन की बात’ के इस मूल पाठ में सुधार करवा लें। प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ ऐसा होना चाहिए कि उसमें ग़लतियाँ न के बराबर हों और स्कूली बच्चे उसे पढ़ें तो उनका शब्दज्ञान सुधरे। इस ‘मन की बात’ को पढ़कर तो शब्दज्ञान सुधरने की जगह बिगड़ जाएगा। पता नहीं मोदीजी यह सब कैसे झेल लेते हैं, हमसे तो नहीं झेला जाता!
(नोट: मैंने जो लिखा है, उसमें भी कुछ ग़लतियाँ हो सकती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह सब मैंने ही लिखा है। मेरी कोई टीम नहीं है।)
राजीव शर्मा
write4rajeevsharma@gmail.com