Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

चोरी पकड़े जाने के बाद मनोज मुंतशिर राष्ट्रवादी होने की दुहाई दे रहे हैं!

अणु शक्ति सिंह-

चोरी के पकड़े जाने पर मनोज मुंतशिर जिस तरह राष्ट्रवादी होने का रोना रो रहे हैं, वह इग्ज़ैक्ट्ली वही है कि अपराधी अपने धर्म/जाति/रंग/ लिंग की दलील देकर अपने अपराध पर पर्दा डालने लगे। नहीं मुंतशिर जी, आप राष्ट्रवादी नहीं हैं, दक्षिणपंथी हैं । दक्षिणपंथी होना अपराध नहीं। आपने कविता चुराई है। आपका अपराध वह है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

ग़लती पकड़े जाने पर यह स्पेशल कार्ड खेलना आपको और दयनीय बनाता है। चाहें तो अज़हरूद्दीन से पूछ लें, पकड़े जाने पर ठीक ऐसा ही कार्ड उन्होंने भी खेला था।



शशि भूषण द्विवेदी-

चलिए, एक बात तो साफ़ हुई मनोज मुंतशिर जैसे अति कमाऊ कविता-चोर अपने को ‘राष्ट्र्वादी’ कहते हैं। झूठ के ज़माने में इतना सामने आ जाना भी ठीक है। पॉपुलर के पीछे मरने वालों के मुँह पर यह भी ठीक-ठाक तमाचा है। भाषा के चोर-चकार भी राष्ट्र्वादी हैं यह जानना अच्छा है। लिखकर रख लीजिए, मनोज मुंतशिर राष्ट्र्वादी हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

राष्ट्रवाद के विषय में भारत में कविता-कहानी के महान सपूतों ने क्या कहा है ? क्या कहकर गये हैं ? रवींद्रनाथ ठाकुर ने कहा- मैं अपने जीते जी मानवता पर ‘राष्ट्रवाद’ की विजय नहीं होने दूँगा। प्रेमचंद ने कहा- राष्ट्रवाद मनुष्यता का कोढ़ है।

एक मसला हल हुआ कि मनोज मुंतशिर दरअसल क्या हैं ? किधर हैं ? यह क्या कम है ? बॉलीवुड में भाषा के कपूत बहुत हैं। जितने सामने आ जाएँ उतना अच्छा। जो सामने नहीं लाये जाएंगे उनमें से भी मैं कइयों को जानता हूँ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अविनाश जी आपने बहुत अच्छा किया। बिल्कुल समय पर आकर आपने अपने मोहल्ला लाईव वाले रूप में मामला पूरा साफ़ कर दिया। यह आप ही कर सकते थे। आप अब बॉलीवुड के नागरिक भी हैं, तो आपकी गवाही वजनी है। वैसे, भी आपको डरते या उड़ा दिये जाते मैंने देखा नहीं है।

आगे भले कुछ न हो मनोज मुंतशिर का। उनकी चोरी जारी रहे मगर यह बहुत ज़रूरी काम है। लगता नहीं कि उनको लाज-वाज आएगी। आनी होती तो ये सब करते ही क्यों ! करते भी रहे कमाते भी रहे तो यह न कहते- मुझे अपने पूरे नाम पर गर्व है। मैं सफलता के राजपथ पर हूँ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

माना, ऐसे लोग सुधरते नहीं हैं। लेकिन ज़ाहिर हो जाने के बाद बचते भी नहीं हैं। सच्चाई ऐसी जल्लाद होती है कि जब चोरों को फाँसी चढ़ाती है तो दुनिया ख़ुश ही होती है।

लगे हाथ क्रम से चार स्क्रीनशॉट भी लगा रहा हूँ। इन्हें देखने से हमारे दौर में साहित्य में नक़ल और प्रभाव के प्रति देखने का नज़रिया भी ज़ाहिर होता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement