Nitin Thakur : मोदी पहले पीएम हैं जो चंडूखाने की गप्पबाज़ी को वैधता देने के लिए प्रधानमंत्री पद का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनसे पहले वाले प्रधानमंत्री पद की गरिमा में ही खर्च हो गए। इस प्रधानमंत्री को फर्क ही नहीं पड़ता कि अपने विरोधी विचार के लोगों को बदनाम करना उसका काम नहीं, उसके नीचे वालों का है। वो आज भी संघ का जिला स्तरीय प्रचारक बना हुआ है। प्रचार करना ही उसका एकमात्र उद्देश्य है। सच झूठ से फर्क नहीं पड़ता। उनकी चिंता है कि बस किसी तरह सत्ता में लौटकर आना तय हो जाए। मुझे इनके लिए डर लगता है। अगर डर और झूठ फैलाकर भी वो सत्ता में ना आ सके तो उनका क्या होगा? सबसे बड़ी बात कि कमज़ोर होकर आए तब बने रहने के लिए क्या ना करेंगे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन पत्रकारों का काम वाकई बढ़ा दिया है जो उनके झूठ पकड़ने लायक पढ़े लिखे हैं। बाकी तो ‘हर हर मोदी’ के जप में व्यस्त हैं और एक दिन मनोवांछित वरदान की अपेक्षा रखते हैं। सोचा था कि नेहरू के खिलाफ दुष्प्रचार के खिलाफ आज कुछ आपके काम का लिखूं लेकिन फिर मालूम पड़ा कि अफवाहबाज़ी के उस्ताद मोदी जी ने नया झूठ कौशांबी की जनसभा से भक्तों के बीच जारी कर दिया है.
उनमें खुला झूठ बोलने का ये कॉन्फिडेंस इसलिए डेवलप हो गया है क्योंकि वो मान चुके हैं कि उन पर भरोसा करनेवाले अब तथ्य और आंकड़ों की भी परवाह करना छोड़ चुके हैं। आज मोदी ने उन नेहरू के खिलाफ एक झूठ फैलाया जिनके ‘प्रथमसेवक’ को वो ‘प्रधानसेवक’ में तब्दील करके खुद को जनता का हितैषी बताने का ढोल पीटते हैं. उन्होंने कहा- “एक बार पंडित नेहरू जब कुंभ में आए तो अव्यवस्था के कारण भगदड़ मच गई थी, हजारों लोग मारे गए थे, लेकिन सरकार की इज़्ज़त बचाने के लिए, पंडित नेहरू पर कोई दोष न लग जाए इसलिए, उस समय की मीडिया ने ये दिखाने की बहादुरी नहीं दिखाई. कहीं ख़बर छपी भी तो वह एक-दो कॉलम की किसी कोने में खबर छपी थी.”
मुझे समझ नहीं आता कि मोदी कौन सी किताब, कौन से अखबार और किन चैनलों के ग्राहक हैं? वो देश के महान नेताओं के खिलाफ फैलनेवाली अफवाहों के महज़ वाहक हैं या जन्मदाता!!
बीबीसी के समीरात्मज मिश्र का धन्यवाद कि उन्होंने समय रहते इस अफवाह पर एक रिपोर्ट बनाई. हालांकि भक्त चिकने घड़े होते हैं और उनमें सुधरने का लक्षण अब नहीं दिखता लेकिन ये खुलासा उनके लिए अहम है जिनकी पहुंच उन स्रोतों तक नहीं जो इस ताज़ा अफवाह के मासूम शिकार बन सकते हैं.
मिश्र की रिपोर्ट में दो चश्मदीद हैं. एक तो हैं नरेश मिश्र जो 1954 में 22 साल के थे और दूसरे हैं अभय अवस्थी जिनके पिता मूलचंद अवस्थी ने पूरा वाकया अपनी आंखों से देखा और सुनाया था.
नरेश मिश्र ने साफ बताया कि हादसे के एक दिन पहले पंडित नेहरू मेलास्थल आए थे और तैयारियों का जायज़ा लेकर लौट गए थे. राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ज़रूर घटनास्थल के पास थे. वो किले की बुर्ज़ पर बैठ अखाड़ों का आना-जाना देख रहे थे.
घटना के दूसरे चश्मदीद के बेटे अभय अवस्थी बताते हैं कि – ”पिताजी बताते थे कि शाही स्नान के दौरान ये अफ़वाह फैली कि नेहरू का हेलीकॉप्टर मेला क्षेत्र में आ रहा है. कुछ लोग उन्हें देखने की लालसा से खाली स्थान की ओर भागे. अव्यवस्था देखकर कुछ नागा साधु उग्र हो गए और उन्होंने अपनी तलवार-चिमटों इत्यादि से लोगों पर हमला कर दिया. लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे.”
अभय अवस्थी बताते हैं कि- “अख़बारों में इस घटना की बहुत दिन तक चर्चा होती रही. उस समय मुख्य रूप से लीडर, भारत, अमृत बाज़ार पत्रिका और आज अख़बार होते थे और इन सभी जगहों पर काफ़ी दिनों तक ख़बरें छपती रहीं. अख़बारों में ये बात प्रमुखता से लिखी गई कि वीआईपी का ध्यान तो रखा गया लेकिन आम श्रद्धालुओं का ध्यान नहीं रखा गया. उस समय के अख़बार बहुत स्वतंत्रतापूर्वक लिखते थे और किसी को भी दोषी ठहरा देने में भी नहीं हिचकते थे.”
अब बारी मोदी जी की है. वो देश के प्रधानमंत्री हैं ना कि अमित शाह के पन्ना प्रमुख कि मोहल्ले में कोई भी बात फैलाकर घर लौट आए. भारत के पहले प्रधानंत्री और प्रेस के बारे में जो कुछ उन्होंने कहा उसके संदर्भ की जानकारी प्रधानमंत्री को सबके सामने रखनी चाहिए. ये कोई उनके कार्यकाल की योजनाएं नहीं जो झूठ फैलाकर चुनाव जीता जाए, बल्कि ये ऐतिहासिक तथ्यों से खिलवाड़ होने के साथ-साथ इतिहास का चरित्रहनन भी है।
टीवी9 भारतवर्ष चैनल में कार्यरत तेजतर्रार पत्रकार नितिन ठाकुर की एफबी वॉल से.
Samiratmaj Mishra : नेहरू, कुंभ में भगदड़ और ख़बर दबाने की हक़ीक़त… नेहरू के आने की वजह से कुंभ में भगदड़ मची और हज़ारों जानें चली गईं, मीडिया में सच्चाई दिखाने की हिम्मत नहीं थी…… ये तमाम जानकारी कहां से आईं ये तो नहीं पता लेकिन घटना के कुछ चश्मदीद रहे लोगों से कुंभ के दौरान मैंने विस्तृत बातचीत की थी और ऐसी तमाम आशंकाओं पर सवाल किए थे. उनसे जो जानकारी मिली, उसी के आधार पर ये ख़बर लिखी गई है…..
पढ़िए बीबीसी में प्रकाशित मेरी पूरी रिपोर्ट-
https://www.bbc.com/hindi/india-48134343
बीबीसी में कार्यरत समीरात्मज की एफबी वॉल से.