कोरोना काल में पत्रकारों की नौकरी पर आया संकट और गहराता जा रहा है। आर्थिक रूप से मजबूत माने जाने वाले टाइम्स ग्रुप एक के बाद एक करके लोगों को घर बैठाता जा रहा है।
ऐसा पता चला है कि जून-जुलाई में जबर्दस्ती लोगों को घर बैठाने की कार्रवाई कर चुके समूह ने एक बार फिर से ऐसी ही कार्रवाई शुरू कर दी है और मैंनेजमेंट ने दीवाली से पहले ही दूसरी लिस्ट पूरी करने का टारगेट सेट किया है। यानी इस बार बड़ी संख्या में टाइम्स कर्मियों की दीवाली काली होने जा रही है।
नवभारत टाइम्स ने अब ब्यूरो, महानगर रिपोर्टिंग, दिल्ली-एनसीआर रिपोर्टिंग व डेस्क के साथ-साथ डिजानिंग सेक्शन में कार्यरत लोगों को निशाने पर लिया है।
कमाई व काम कम होने की दुहाई देकर नौकरी से हटाए जाने वाले लोगों की दूसरी लिस्ट तैयार हो गई है।
पहली लिस्ट में नवभारत टाइम्स के एक खास ग्रुप की आंखों में खटकने वाले लोगों को हटाए जाने के बाद अब दूसरी सूची में उन लोगों को शामिल किया गया है जोकि या तो सैलरी के मामले में संस्थान को बहुत महंगे लग रहे हैं या फिर जिनकी उम्र अधिक हो रही है या जो एक विशेष ग्रुप के प्रति अपनी आस्था नहीं रखते हैं।
दूसरी सूची में ब्यूरो, स्पोर्ट्स, महानगर से लेकर दिल्ली-एनसीआर में कार्यरत रिर्पोटर से लेकर सीनियर लोगों तक की छुट्टी की तैयारी की गई है।
इतना ही नहीं नवभारत टाइम्स में सबसे मजबूत माने जाने वाले ब्रांड टीम से भी कुछ लोगों को घर बैठाने की तैयारी हो गई। न सिर्फ रिपोर्टिंग व डेस्क बल्कि दूसरी लिस्ट में कुछ डिजाइनिंग के लोगों को भी शामिल किया गया है। ऐसी तैयारी है कि दिल्ली एनसीआर में फैला अखबार अब सिमेट दिया जाए और वहां काम कर रहे रिपोर्टर व डेस्क के लोगों की छुट्टी किए जाने का प्रबंधन ने हरी झंडी दे दी है।
लोगों को घर वापसी का फरमान सुनाया जाने लगा है नतीजतन लोगों ने nbt व्हाट्सएप ग्रुप पर अलविदा होने की भी जानकारी पोस्ट करना शुरू कर दिया है।
हैरानी की बात यह है कि इस सब के बीच अभी भी कुछ लोगों को रिएम्पालायमेंट देकर एक ऐसे प्रोजेक्ट nbt gold में मौका दिया जा रहा है जिसके खराब रिस्पांस की जवाबदेही लेने को कोई सामने आने के लिए तैयार नहीं है।
स्पष्ट है कि मैनेजमेंट की कास्ट कटिंग की नीति के बीच भी एक विशेष समूह लगातार अपना व्यक्तिगत स्कोर सेटल करने में जुटा है हालांकि दूसरी सूची में उनके कम चहेतों का ही नंबर लग रहा है ये वो लोग हैं जो पहली सूची में बच गए थे। संस्थान में अब उन्हीं लोगों की दाल गल रही है जोकि इस विशेष ग्रुप की अनुकंपा प्राप्त हैं और इनकी छत्रछाया में रहकर गांधी जी के बंदर बने बैठे हैं।