जे सुशील-
न्यूज़ 18 नाम की एक आला दर्जे की घटिया वेबसाइट में किसी एएनआई ने लेख लिखा है कि मोदी जी चुप क्यों हैं. पूरे लेख में सिर्फ ये समझाने की कोशिश की गई है कि मोदी जी चुप हैं यानी कि काम कर रहे हैं और ये उनकी अदा है.
इस लेख को ट्विटर पर पढ़े लिखे लोग दनानदन रिट्वीट कर रहे हैं क्योंकि पिछले एक महीने में संभवत यह पहला लेख है जो मोदी का बचाव करने में जुटा हुआ है.
जाहिर है कि भक्तों ने और ट्विटर पर वेरिफाइड अकाउंट वाले ट्रोल तक ने लेख खोल कर पढ़ा नहीं है. पढ़ा होता तो पता चलता कि पत्रकारिता में इस तरह के लेख को उल्टी करना कहा जाता है.
लिखने वाले का नाम लिखना उचित नहीं है लेकिन ऐसे पत्रकारों ने पत्रकारिता की बैंड बजा रखी है. बताइए इतने बड़े ब्रांड में लेख लिखने वाले गूगल का स्पेलिंग नहीं पता है. पहली नज़र में मेरी नज़र उस लेख में कम से कम पांच स्पेलिंग की त्रुटियों पर गई और उसके बाद मवाद जो उस लेख में फैला हुआ था.
दुनिया में हर वो नेता जो आपदा में चुप हो जाता है उसके बारे में माना जाता है कि वो आने वाले समय में कोई और आपदा की योजना बना रहा है. यकीन मानिए ये महामानव चुप रहकर कोई खिचड़ी पका रहा है. आने वाले समय में पता चलेगा कि क्या गंध मचता है.
न्यूज 18 के बारे में सिर्फ इतना कहना काफी होगा कि इसमें रिलायंस का पैसा लगा है. तो जाहिर है कि वो किसकी बैटिंग करता है ये बताने की ज़रूरत नहीं है. इस बीच एक महत्वपूर्ण बात ये है कि
बीजेपी की राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की कि उन्हें केंद्र से ऑक्सीजन दिलवाई जाए. केंद्र सरकार ये केस हार जाती है और सुप्रीम कोर्ट जाती है.
सुप्रीम कोर्ट में भी केंद्र सरकार यानी बीजेपी सरकार अपने ही राज्य सरकार की अपील के खिलाफ लड़ती है और हारती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील का बयान पढ़िए- हमारे पास सीमित मात्रा में ऑक्सीजन है. हाई कोर्ट को कहें कि वो ऑक्सीजन की पूर्ति करे.
अब ये कौन सी राज्य सरकार है ये आप खोज लें. क्योंकि ये देश मेरा ही नहीं आपका भी है. अगर आप भाजपा समर्थक हैं तो सोचें कि आपने क्या चरस बोया है इस देश में.
मैं यहां पर यूपीए की तारीफ कर के आपके जले पर नमक नहीं छिड़कूंगा. ये जो आपने चरस बोया है वो आपके घर को भी फूंक कर मानेगा. जब आपके घर का कोई ऑक्सीजन के लिए मरेगा तब मैं भी यही कहूंगा कि अरे जनसंख्या बहुत है या फिर ये कि अरे लोग निर्देश नहीं मानते हैं तो मरेंगे या फिर ये कि भगवान भी आ जाए तो बचा नहीं सकता है.अगर आप बीमारी से हो रही मौतों पर वाट्सएप ग्रुप में या सोशल मीडिया पर ऐसा कहते हैं या ऐसा सोचते भी हैं तो आपको जीने का कोई हक नहीं है.
ऐसे सभी लोग चाहें तोदेश हित में मर कर जनसंख्या कम कर सकते हैं. देश उनका आभारी रहेगा. ऐसा पीएम चुनने का पाप कैसे काटोगे भक्तों.
रोहित
May 8, 2021 at 7:19 pm
जो भी तुम्हारी विचारधारा से मेल खाती बातें न करें, वो चिरकुट है, तो तुम सबसे बड़े चूतिये और गंवार आदमी हो।
तुम्हारे जैसे स्वयंभू टाइप पत्रकार अपने आपको दुनिया का पहला और अंतिम कलमकार मानते है। जो वैचारिक असहमति को व्यक्त करने के ये नीचतापूर्ण भाषा पर उतर आते है