सुरेंद्र अग्निहोत्री-
स्व. श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा के मन में समाज के प्रति संवेदना की दृष्टि और सृष्टि वीर भूमि बुन्देलखंड में क्रांति की काशी झांसी जनपद के मऊरानीपुर में जन्मे श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा ने कलम की साधना से अपना विराट व्यक्तित्व गढ़ा है। सेल्फी के युग में आत्म-प्रचार (सेल्फ पब्लिसिटी नॉट क्लाउड) से हमेशा दूर रहने वाले सृजनकार, पत्रकार, लेखक, कवि, कहानीकार तथा संपादक श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा वैचारिक स्पष्टता के कारण उन्हें पत्रकारिता और राजनीति दोनों ही क्षेत्रों में देश और प्रदेश के दिग्गज नेता भी आपकी लेखनी का लोहा मानते हैं।
हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने लम्बे अनुभव के कारण हमेशा से ही बड़े आदर के साथ हम सब आपसे विमर्श प्राप्त करते हैं। माल बनाम मूल्य के बीच आप सदैव मूल्यों के प्रति समर्पित भाव से कार्य करते हुए सत्ता के नजदीक होते हुए भी सत्ता से हमेशा दूर रहे। उनका मानना था कि सत्ता समाज को भ्रष्ट बनाकर अपने अनुकूल करने की सदैव साजिश करती है। लोकतंत्र में सुविधा और उपहार का हार आकर्षित करता है। सरकारों की कार्य प्रणाली हमेशा एक जैसी होती है। इन सवालों पर उन्होंने 2011 में प्रकाशित आलेख ‘क्षत्रपों को क्यों नहीं चाहिए मजबूत लोकायुक्त’ में बड़ा सटीक विश्लेषण किया है।
लोकतंत्र में विधानसभा और लोकसभा के अधिकार सर्वोच्च होते हैं। उत्तर प्रदेश विधानमंडल की उत्तर शती रजत जयंती पर प्रकाशित आलेख “सरकार की गर्दन तक अब नहीं पहुंचता विधानसभा का हाथ” अत्यंत महत्वपूर्ण है। “मीडिया यानी घृणा करने लायक तंत्र” हम उस प्रदेश के वासी हैं जहां जाति की गंगा बहती है, बरसात में हमसे मिले तुम, हमें तो आपने ही बिगाड़ा है मान्यवर, फिर चला अमर सिंह का जादू, यह क्या बस एक दिन के सम्मान के लायक हैं!, उत्तर प्रदेश की तपती धूप पर मध्य प्रदेश का साया, हंगामा बन गया है अब एक संसदीय परंपरा, जब तक पालतू रहे अच्छी लगती है पुलिस, वीर बहादुर को इस्तीफा देने का निर्देश मिला, लीडरों में शान है, शौकत है, बिजनेस है, काले कामों के लिए कवच भी, चुनाव समर उत्तर प्रदेशः नाम बड़े और दर्शन छोटे, यहां बनती है नीति बनके बिखर जाने को, वहीं सुनहरी कहानी साल दर साल पीढ़ी दर पीढ़ी, राजनीतिक के अखाड़े में आखिर वे मौत से हारे, राजभवन में लहराता है फटा तिरंगा, आओ इस अंधेरे में बिजली-बिजली खेलें, मिनरल वाटर 17रु. में पेट्रोल ढाई रुपए लीटर, इलाहाबादी पर्दे पर रहस्य रोमांच भरा ड्रामा! मेरे पास पिताजी हैं, वाजपेई ने विमान से दिया पाकिस्तान को शुभकामना संदेश, तुम बियर पियो ताकि हम नाश्ता कर सके, अफसरशाही के चुनाव चालीसा की दुर्गति, 403 कुर्सियों पर 889 की नजर! सपा का नया सीरियलः बेटा,बहू, बाहरी और ’वो’ ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार क्या रखा है हिंदी में यार! आलेख वास्तविक स्थिति की सटीक जानकारी देता है। विदेश यात्रा पर “बेमिसाल है शिराज की खूबसूरती आदि अनेकों आलेखों के बीच प्रदेश के सूचना आयुक्त की भूमिका निर्वाह करते समय दैनिक हिन्दुस्तान में बातचीत आधारित-“नाखून अभी ठीक से चुभ नहीं रहे” उस चिंता की ओर अगाह है कि जनता को मिले सूचना के अधिकार कानून को किस तरह नौकरशाही और राजनीति मिलकर मोथरा बना रही है।
श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा के मन में समाज के प्रति संवेदना की दृष्टि और सृष्टि को समझने के लिए श्री ज्ञानेन्द्र शर्मा एकाग्र विशेषांक विशेषतौर से उन वरिष्ठों का जिनका अवदान समाज के लिये प्रेरणास्पंद और अनुकरणीय होता है शतरंग टाइम्स पत्रिका का संपादन किया था। स्व. ज्ञानेन्द्र शर्मा ने पिछले 60 वर्षों में सक्रिय पत्रकारिता व लेखन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई। हजारों की संख्या में उन्होंने लेख/आलेख लिखे हैं और मीडिया के कई महत्वपूर्ण घरानों /अंगों में काम करने का गौरव हासिल किया। लगभग साढ़े चार वर्ष तक उत्तर प्रदेश के प्रथम राज्य सूचना आयुक्त और राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर काम करते हुए उन्होंने प्रशासनिक अनुभव प्राप्त किया और जनजन को सूचना के अधिकार के अंतर्गत न्याय दिलाने की दिशा में सैकड़ों महत्वपूर्ण फैसले सुनाए। इस पद पर आसीन होने वाले हिन्दी के पहले पत्रकार जिन्होंने अपने कार्यकाल में सूचना का अधिकार अधिनियम की बारीक व्याख्या की और विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अनगिनत फैसले सुनाए जिनमें से दर्जनों निर्णय चर्चित रहे, पूर्वोदाहरण बने जिन्हें कि समय समय पर उद्धृत किया गया।
सक्रिय पत्रिकारिता की अर्ध-शताब्दी से अधिक /1965 से/ के दौरान वे कई प्रमुख पदों पर रहे-
संक्षिप्तः- वरिष्ठ स्थानीय संपादक, दैनिक हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। राजनीतिक संपादक, दैनिक जागरण, लखनऊ। स्थानीय संपादक, स्वतंत्र भारत, लखनऊ। प्रधान संपादक, जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ । चीफ रिपोर्टर, नवभारत टाइम्स। ब्यूरो प्रमुख / मैनेजर / विशेष संवाददाता, समाचार भारती /न्यूज एजेंसी /ब्यूरो प्रमुख, समाचार /चार समाचार एजेंसियों के संविलय से बनी राष्ट्रीय समाचार एजेंसी, लखनऊ। सह संपादक, मध्य प्रदेश क्रानिकिल /एम पी क्रानिकिल /अंग्रेजी दैनिक, भोपाल।
देश के उपरोक्त शीर्ष संस्थानों में समाचार संकलन, लेखन और समाचार प्रबंधन की सम्पूर्ण जिम्मेदारी का वहन किया, प्रशासनिक, संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया। अनेक विषयों पर दर्जनों समसामयिक विचारोत्तक लेख लिखे तथा समाचारों का बारीक विश्लेषण कर हजारों-हजार पाठकों का स्नेह हासिल किया।
दूरदर्शन एवं अन्य टेलीविजन चैनल /आकाशवाणी:- टेलीविजन चैनलों के लिए 1976 से लगातार सामयिक विषयों पर कार्यक्रम तैयार किए और उनका तथा उनसे जुड़ी चर्चाओं का प्रस्तुतीकरण किया। इन चर्चाओं में आम आदमी के संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा से जुड़े विषयों पर चर्चाएं शामिल थीं। वे दूरदर्शन और ईटीवी प्रमुख थे। आकाशवाणी, बीबीसी और वॉयस आफ अमेरिका के लिए अनेक प्रोग्राम तैयार और प्रस्तुत किए।
स्वतंत्र लेखन:- पत्रकारिता क्षेत्र की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं यथा धर्मयुग, दिनमान, दिनमान टाइम्स, नई दुनिया, कादम्बिनी में कई वर्षों तक लगातार लेखन कार्य किया।
विदेश यात्राएं:- अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, कनाडा, ईरान, सिंगापुर, थाईलैंड, फ्रान्स, इटली, स्विट्जरलैंड व कुछ अन्य यूरोपीय देशों का भ्रमण किया। अमेरिका की 6 बार यात्रा की और वहाँ के सामाजिक, आर्थिक व प्रशासनिक ढाँचे के अलावा राजनीतिक गतिविधियों का अध्ययन किया। भारत के प्रधानमंत्री के साथ ईरान और विदेश मंत्री के साथ रूस की अधिकारिक यात्रा की।
पुस्तक:- एक अदद लड़कीः लिंग भेद पर आधारित कहानी संग्रह, 2008 में प्रकाशित। आज वह हमारे बीच भौतिक शरीर के रूप में भले ही नहीं है लेकिन उनकी कलम से निकल कर छपे शब्द हम सब पत्रकारों को प्रेरणा देते रहेगें। सादर नमन!
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