आदित्य पांडेय-
प्रनॉय की जगह पुगलिया…… एनडीटीवी का मालिकाना हक आखिर अडानी के पास पहुंच गया। प्रनॉय और राधिका रॉय ने हर संभव कोशिश की कि पैसा जुट जाए लेकिन….।
प्रनॉय ने ही यह कल्चर शुरू किया कि जो सत्ता में बैठा व्यक्ति आर्थिक लाभ न दे उसके खिलाफ खबरें चलाएं लेकिन फिर भी आखिर उन्हें बोर्ड से बाहर होना पड़ा, तत्काल प्रभाव से सुदीपा बनर्जी और संजय पुगलिया ने उनकी जगह ले ली।
रवीश फुल टाइम यूट्यूबर होने ही वाले हैं। तब उनसे उम्मीद कीजिए कि वे एनडीटीवी के घोटालों पर लिखी गई किताब के तथ्यों पर भी रोशनी डालने की कोशिश करेंगे क्योंकि परम ईमानदार रवीश के लिए भी एनडीटीवी में रहते तो उसके घपलों पर बोलना संभव नहीं था।
29 नवंबर एनडीटीवी के लिए निर्णायक मोड़ का दिन है जब पहले दिन से गलत तरीका अपना कर सही पत्रकारिता की साख बनाना चाह रहे प्रनॉय बाहर हो गए। अब यह भी देखा जाना चाहिए कि दूरदर्शन को नुकसान पहुंचा कर एनडीटीवी खड़ा करने में कितनी गड़बड़ हुई थी। एक बार प्रनॉय बाबू के सारे कारनामे सामने आने ही चाहिए जिसे रवीश अपनी आवाज के पिच मॉड्यूलेशन से सालों छुपाना चाहते रहे।