पुरानी कहावत है, पहुंचा वहीं जहां का खमीर था। राहुल गांधी पर कॉपी-पेस्ट किताब छपवाकर चर्चा बटोरने वाले एक पत्रकार महोदय की गुलाबी क्रांति को मंजिल मिलती दिख रही है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार पत्रकार महोदय ने अपने भरोसेमंद चेले के साथ नेशनल हेरल्ड दफ्तर की यात्रा संपन्न कर ली है। अभी तक यह साफ नहीं हुआ कि इस यात्रा का नतीजा क्या रहा। माना जाता है कि रेवड़ी की उम्मीद के बिना ये बंदा आजतक कहीं नहीं गया तो हेरल्ड दफ्तर में भी उसका जाना बेमकसद नहीं रहा होगा।
ज़िंदगी भर गोदी मीडिया में ऊंची सैलरी पर काम करने वाले पत्रकार ने मध्यप्रदेश चुनाव के ठीक पहले राहुल गांधी पर कॉपी-पेस्ट किताब लिखवाकर क्रांतिकारी बनने की कोशिश की थी। माना जा रहा था कि पत्रकार ने राहुल गांधी पर किताब और इस्तीफे का ड्रामा इसलिए किया था ताकि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार बनते ही वह किसी बड़े पद पर पहुंच सकें।
अंदरखाने चली चर्चाओं के अनुसार पत्रकार के एक घनिष्ठ मित्र और कांग्रेस नेता के मीडिया सलाकार ने पत्रकार के लिए गोटियां बिछानी शुरू भी कर दी थीं लेकिन कांग्रेस की हार के बाद उनकी सारी गोटियां छितरा गईं।
लोग बता रहे हैं कि पत्रकार की निगाह अब कांग्रेस के अखबार ‘नवजीवन’ के संपादक की कुर्सी पर है। इस बारे में उनकी ‘नेशनल हेराल्ड’ ग्रुप के समूह संपादक राजेश झा से एक अनौपचारिक मुलाकात भी हो चुकी है। मुलाकात का बहाना राहुल गांधी पर लिखी किताब पर चर्चा थी लेकिन मकसद था नौकरी। इस मुलाकात में पत्रकार के साथ उनका पूर्व सहकर्मी भी नेशनल हेरल्ड के दफ्तर गया था। चेले ने कभी नौकरी दिलाए जाने के एहसाल बदले पत्रकार की राहुल गांधी वाली किताब कॉपी-पेस्ट करवायी थी। इस आरोप को तब और बल मिल गया जब चेले ने पत्रकार की किताब को प्रमोट करने के लिए ट्विटर पर लंबी पोस्ट लिखी।
बेरोजगार हो चुके पत्रकार को इस वक्त नौकरी की सख्त ज़रूरत है। वो मार्केट में नौकरी के लिए अपना सीवी घुमा भी रहे हैं लेकिन एक बड़ी मीडिया कंपनी वाले वाले उनके हालिया कांड के बाद उनको कोई घास नहीं डाल रहा। ऐसे में हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर ‘नवजीवन’ में कांग्रेस वाले’दया’ दिखाते हुए किसी दिन किसी कुर्सी पर आसीन करा दें!