गाँधी ने खेद व्यक्त किया माफ़ी नहीं मांगी, 30 अप्रैल को होगी सुनवाई…. उच्चतम न्यायालय ने राहुल गांधी के उच्चतम न्यायालय के हवाले से ‘चौकीदार चोर है’ के बयान को लेकर मानहानि का नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले की सुनवाई करते हुए पूछा कि क्या पीठ ने चौकीदार चोर शब्द का प्रयोग किया था? सुप्रीम कोर्ट ने राफेल पर रिव्यू याचिका और मीनाक्षी लेखी द्वारा राहुल के खिलाफ जारी मानहानि याचिका की सुनवाई 30 अप्रैल को करेगा। उच्चतम न्यायालय राहुल के जवाब से संतुष्ट नहीं है । मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।
लेखी की तरफ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राहुल गांधी ने यह कहने के बावजूद कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय का आदेश पढ़े बिना पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ गलत बयान दिया है, माफी नहीं मांगी है। राहुल गांधी की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट के हवाले से चौकीदार चोर है कहने के लिए खेद है। सिंघवी ने कहा कि राहुल विनम्र और ईमानदार हैं। उन्होंने अपनी गलती के लिए खेद जताया है और कोर्ट से मामले को बंद करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि पर उनके मुवक्किल पॉलिटिकल स्लोगन चौकीदार चोर है पर कायम हैं। सिंघवी ने यह भी कहा कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने भी भी उच्चतम न्यायालय के फैसले पर गलत दावा किया कि राफेल भ्रष्टाचार मामले में उच्चतम न्यायालय ने क्लीन चिट दी है । सिंघवी ने कहा कि 18 महीने से कैंपेन चल रहा है। हम अपनी बात पर अभी भी कायम हैं कि चौकीदार चोर है।
मुख्य न्यायाधीश ने मीनाक्षी लेखी के वकील को कहा कि राहुल गांधी के हलफ़नामे में अपना जवाब दाखिल करे। मुकुल रोहतगी ने कहा राहुल गांधी ने मान लिया है कि उन्होंने गलत बयान दिया है और कोर्ट ने कभी नहीं कहा कि चौकीदार चौर है। मुकुल रोहतगी ने कहा कि राहुल गांधी ने अपने बयान पर खेद जताया है।राहुल गांधी ने माना है कि उन्होंने गलती की है. लेकिन खेद ब्रेकिट में लिखा है। हमारे हिसाब से ये कोई माफीनामा नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने मुकुल रोहतगी से पूछा कि चौकीदार कौन है तो मुकुल ने कहा कि राहुल गांधी ने पूरे देश को कहा कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी “चौकीदार” चोर है। जबकि उच्चतम न्यायालय ने कुछ नही कहा।
इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने राहुल से स्पष्टीकरण मांगा था, अब नोटिस जारी किया है । सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में अपना स्पष्टीकरण दाखिल किया। इस दौरान ‘चौकीदार चोर है’ वाले अपने बयान पर राहुल गांधी ने खेद जताया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने माना है कि उच्चतम न्यायालय ने नहीं कहा था कि चौकीदार चोर है। अपने बयान पर सफाई देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान उत्तेजना में उनके मुंह से यह बयान निकल गया।
15 अप्रैल19 को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता व संजीव खन्ना की खंडपीठ के समक्ष उपरोक्त मामला आने पर अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए राहुल गांधी से उनका पक्ष मांगा था कि अदालत के कभी भी ऐसी बात नहीं कही।इसके जवाब में गांधी ने एक हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि उनका संक्षिप्त वक्तव्य व्यस्त चुनाव प्रचार के बीच दिया गया था और उसकी मंशा कोर्ट के हवाले से ऐसी कोई बात कहने की नहीं थी जो कोर्ट ने नहीं कही।
उन्होंने कहा है कि उक्त बयान उन्होंने ‘’हीट ऑफ द मोमेंट’’ (जल्दबाजी में दी गई प्रतिक्रिया) में दे दिया था जब अमेठी में नामांकन करा कर वे बाहर आए थे और पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछा था।ऐसा कहने से प्रतिवादी का आशय यह था कि 14दिसम्बर 2018 का उच्चतम न्यायालय का फैसला न तो आखिरी है और न ही बाध्यकारी है,जबकि इसके उलट प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद के एकाधिक बयानों का हवाला दिया है जिसमें वे सुप्रीम कोर्ट के 14दिसम्बर 2018 वाले फैसले के ही हवाले से राफेल मामले में केंद्र सरकार को क्लीन चिट देते आ रहे हैं।
सवाल उठता है कि राहुल गांधी ने एक बयान के बाद उच्चतम न्यायालय से उसका संदर्भ देने के लिए तो खेद व्यक्त कर दिया लेकिन प्रधानमंत्री समेत अन्य भाजपा नेताओं का क्या हो जो लगातार यह दुष्प्रचार किए जा रहे हैं कि उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को राफेल मामले में क्लीन चिट दे दिया है?