Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

राष्ट्रीय सहारा के मीडियाकर्मियों की सूनी रही दीपावली

दिल्ली सहित लखनऊ, गोरखपुर, पटना, कानपुर, देहरादून, वाराणसी से प्रकाशित हिंदी दैनिक राष्ट्रीय सहारा की हालत बेहद खस्ता है। एक ओर जहां अन्य संस्थान दीपावली के अवसर पर अपने कर्मचारियों को भांति भांति के उपहार दे रहे हैं, घाटे में होने के बावजूद 8.33% बोनस दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय सहारा अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे रहा है।

ऐसा नहीं कि दे नहीं पा रहा है बल्कि देना नहीं चाहता। हो सकता है कि वह कर्मचारियों के धैर्य की परीक्षा ले रहा हो कि, उनके कर्तव्ययोगी (इनके यहां कोई कर्मचारी नहीं है, सब कर्तव्ययोगी हैं,सहारा प्रमुख भी और पानी पिलाने वाला भी) बिना पगार मिले कितने दिन काम कर सकते हैं। सहारा प्रमुख को पगार मिला या नहीं, पता नहीं, पर पानी पिलाने वाले को वेतन निश्चित रूप से नहीं मिला।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बताते चलें कि जब से इस समूह के मुखिया सुब्रतो राय जेल की हवा खाने तिहाड़ भेजे गए तभी से कर्मचारियों को नियमित वेतन नहीं मिल रहा है। कई महीने तो मिला ही नहीं। हो-हल्ला होने पर लम-सम मिला। यही सिलसिला जारी रहा तो कर्मचारियों ने हड़ताल कर अखबार का प्रकाशन बाधित किया। कुछ संस्करण कई दिनों तक छपे नहीं। अन्य मालिकानों की तरह सहारा प्रबन्धन ने भी सारे घोड़े खोल दिए। हड़ताल खत्म हुई फिर शुरू हुआ हड़ताल में अग्रणी भूमिका निभाने वालों के उत्पीड़न का सिलसिला।

लगभग सभी यूनिटों से छंटनी के नियमों को ताक पर रखकर कर्मचारियों को निकाला जाने लगा। कुछ को एक झटके में निकाल दिया गया तो कुछ को सेफ ऐग्ज़िट प्लान के तहत बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। किंतु एक भी कर्मचारी को नियमानुसार पूरा भुगतान नहीं किया गया और न ही इस प्लान की अनुमति श्रम विभाग/न्यायालय से ली गई। जिस तरह गेहूं के साथ घुन भी पीसा जाता है उसी तरह एक्सटेंशन का अभयदान पाए 85 अपनों को भी बाहर जाना पड़ा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहरहाल… बात वेतन की। सहारा ने भारत के प्रमुख त्यौहार दीपावली भी अपने कर्मचारियों की काली कर दी। वैसे भी सहारा छह-सात साल से अपने कर्मचारियों को डीए नहीं दे रहा है। बोनस भी लगातार हड़प रहा है। सैलरी एडवांस व फेस्टिवल एडवांस सपना हो गया है। LTC तो गोया एच.आर. और एकाउंट वालों के लिए ही हो। आज तक हर यूनिट के चुनिंदा लोगों को ही इसका लाभ मिला।

कमोबेश यही हाल सहारा चैनल की भी है। यहां काम करने वाले सेलरी के लिए तरस गए हैं। तीन से चार माह तक की सेलरी नहीं मिली है। दिवाली काली होने के बाद कर्मियों ने एकजुट होकर आर पार की लड़ाई लड़ने का फैसला लिया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement