सहारा समूह निवेशकों का पैसा दबाए है. परिपक्वता के बाद भी पैसे नहीं मिल रहे. सहारा समूह उन पैसों को जबरन दुबारा निवेश कर देता है. इस तरह निवेशक अपने ही पैसे को पाने में अक्षम हैं. देश भर में सहारा के निवेशक त्राहि त्राहि कर रहे हैं. निवेशकों की परेशानी के चलते सबसे ज्यादा दुखी व दबाव में सहारा के एजेंट हैं. ये एजेंट ही निवेशकों से पैसे जमा कराए थे इसलिए निवेशक भुगतान के लिए सबसे पहले एजेंट को पकड़ता है.
छत्तीसगढ़ के खबर है कि सहारा के परेशान निवेशकों और एजेंटों ने अपने भुगतान के लिए गृहमंत्री को पकड़ लिया. इन लोगों ने भुगतान न करने के कारण एफआईआर कराने के लिए गृहमंत्री को सहारा के जिम्मेदार अफसरों के नाम बताए.
रायपुर से मिली जानकारी के अनुसार खातों की परिपक्वता के तीन साल बाद भी जमाकर्ताओं को राशि का भुगतान नहीं मिलने से परेशान सहारा इंडिया के निवेशक और एजेंट (अभिकर्ता) सोमवार को गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू से मिलने जा पहुंचे. जमा रकम की वापसी में किस तरह की दिक्कतें पैदा की जा रही है व बहाने बनाए जा रहे हैं, उससे अवगत कराया गया. प्रतिनिधिमंडल ने कई अहम दस्तावेज भी मंत्री को सौंपे.
अभिकर्ताओं ने गृहमंत्री को बताया कि परिपक्व खातों की राशि वापस न करने के लिए सहारा के अफसर लगातार बहानेबाजी कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट व सेबी में मामला लंबित होने की आड़ लेकर जमाकर्ताओं की राशि रोककर रखी गई है. अभिकर्ताओं ने सहारा की तमाम योजनाओं के बारे में भी मंत्री को विस्तार से अवगत कराया. उन्हें बताया गया कि बेटियों की शादी जैसे महत्वूपूर्ण अवसरों पर भी जमाकर्ताओं को भुगतान न देकर सहारा के अफसर उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं. गृहमंत्री को जो दस्तावेज सौंपे गए हैं, उनके मुताबिक जिले में करीब 500 करोड़ रुपये सहारा कंपनी में फंसे हुए हैं.
वस्तुस्थिति सुनने के बाद मंत्री बेहद नाराज हुए. उन्होंने कहा कि जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. मंत्री ने अभिकर्ताओं से पूछा कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है? उनका नाम बताएं, एफआइआर कराई जाएगी. इस पर अभिकर्ताओं ने सहारा इंडिया के तमाम जिम्मेदार अफसरों के नाम गिना दिए. मंत्री ने उन्हें उचित कार्रवाई का भरोसा देकर लौटाया.
अपनी गाढ़ी कमाई की रकम की वापसी का इंतजार कर रहे जिले के करीब दो हजार लोग परेशान हैं. गृहमंत्री के आश्वासन से उन्हें फौरी राहत तो मिली है लेकिन जब तक पैसे हाथ में न आ जाएं, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता है.
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