नई दिल्ली। सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के लगभग 4600 निवेशकों ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमयन बोर्ड (सेबी) से रिफंड के लिए आवेदन किया है। सेबी का आरोप है कि सहारा समूह की दो कंपनियों ने निवेशकों से तकरीबन 24 हजार करोड़ रूपए जुटाए हैं और ये धन निवेशकों ने नहीं लौटाया जा रहा है। सेबी का कहना है कि सहारा समूह ने फर्जी निवेशकों के बेनामी दस्तावेज तैयार किए हैं और यह धन वास्तव में किसी और का है।
सेबी ने सहारा समूह के बांड खरीदने वाले निवेशकों से रिफंड के लिए आवेदन मांगे थे। इससे जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि सेबी को अभी तक औसत मांग रूपए 20000 रूपए है और कुल मांग 10 करोड़ रूपए से कम है। सहारा का तर्क है कि जिन्होंने सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड में निवेश करने वाले और अपने निवेश वापसी की मांग करने वाले लोगों को भुगतान कर दिया गया है।
उसका कहना है कि 90 प्रतिशत से अधिक राशि वापस कर दी है और निवेशकों को सीधे भुगतान कर दिया है। शेष्ा धनराशि लगभग रूपए 2500 करोड़ है। सेबी ने अगस्त में निवेशकों से दस्तावेजी सबूत के साथ 30 सितंबर तक रिफंड के लिए आवेदन करने को कहा था। सूत्रों के अनुसार सेबी द्वारा रिफंड की प्रक्रि या शुरू हो चुकी है। निवेशकों के भुगतान के मामले को लेकर सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय लगभग छह माह से तिहाड़ जेल में हैं।
ज्ञातव्य है कि सुप्रीमकोर्ट ने निवेशकों के पुनर्भुगतान हेतु जोर डालते हुए 10 हजार करोड़ रूपए की जमानत राशि जमा कराने को कहा था। इस पर कंपनी ने अपने अमरीका और ब्रिटेन स्थित होटल तथा अन्य संपत्ति बेचने और गिरवी रखने की कोशिश की लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली है। दूसरी ओर सेबी ने पूर्व में निवेशकों की सूची मांगी थी लेकिन इसके जांच का काम अभी पूरा नहीं हुआ है।