दबंग दुनिया, मुंबई के एडिटर उन्मेष गुजराथी
”सकाल व जेवियर से तैयार होंगे बोगस डिग्री वाले तावडे” शीर्षक से न्यूज छापने पर ‘दबंग दुनिया’, मुंबई के रेसिडेंट एडिटर उन्मेष गुजराथी पर 150 करोड़ का दावा ठोका गया…. ऐसा क्या गुनाह किया कि ‘सकाल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड’ को इतना गुस्सा आया? देखिए वो मूल खबर जिससे नाराज सकाल ग्रुप ने मुकदमा ठोंका है…
‘सकाल’ व ‘जेवियर’ से तैयार होंगे बोगस डिग्री वाले ‘तावडे’!
बेरोजगार युवकों को प्लेसमेंट का झांसा , जमा कर रहे करोड़ों की माया, कोर्स को यूजीसी और नैक की मंजूरी नहीं, युवकों को कर रहे गुमराह
Unmesh Gujarathi, Dabang Dunia
विश्वसनीयता की माला जपते हुए महाराष्ट्र में नंबर वन अखबार का ढिंढोरा पीटने वाला ‘सकाल समूह’ और ‘जेवियर इंस्टीट्यूट आॅफ कम्युनिकेशन’ द्वारा ‘पोस्ट ग्रेज्युट डिप्लोमा इन जर्नलिज्म’ के नाम पर बोगस डिग्री के ‘तावडे’ बनाने का कारखाना शुरू किया है। इसके लिए बाकायदा ‘एपीजी लर्निंग’ नामक संस्था को नियुक्त किया गया है। इसके माध्यम से प्रवेश लेकर युवकों को गुमराह किया जा रहा है। इतना ही नहीं इसके माध्यम से युवकों से करोड़ों की माया जमा कर रहे हैं।
गौरतलब हो कि महाराष्ट्र का सबसे बड़ा अखबार का ढिंढोरा पीटने वाला सकाल समूह और मुंबई के सीएसटी में स्थित#जेवियरइंस्टीट्यूट द्वारा पोस्ट ग्रेज्युट डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास मीडिया का कोर्स शुरू किया गया है। इसके लिए एपीजी लर्निंग संस्था के माध्यम से प्रवेश लिए जा रहे हैं। इस कोर्स के लिए सकाल अखबार में बाकायदा बड़े-बड़े विज्ञापन दिए गए हैं। विज्ञापन में जेवियर इंस्टीट्यूट आॅफ कम्युनिकेशन का नाम दिया गया है। जेवियर इंस्टीट्यूट के नाम पर युवक इस कोर्स के झांसे में आकार प्रवेश लेना शुरू किए हैं। इसकी सच्चाई नहीं बताई जा रही है कि इस संस्था का कोर्स वैध भी या नहीं।
जर्नलिज्म का कोर्स बोगस
सकाल समूह द्वारा शुरू किए गए पोस्ट ग्रेज्युट डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास मीडिया का कोर्स जेवियर इंस्टीट्यूट के माध्यम से कराए जाने का दावा किया जा रहा है। यह कोर्स सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होने की जानकारी भी दी जा रही है। जब सत्यता की जांच की गई, तो खुद जेवियर की वेबसाइट पर इस कोर्स को सरकार द्वारा मान्यता नहीं होना बताया गया है। इसके बावजूद सकाल द्वारा प्रवेश लेने वाले युवकों को इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है।
यूजीसी और नैक की मान्यता होने का फर्जी दावा
सकाल समूह द्वारा जारी किए विज्ञापन में बाकायदा एक नंबर दिया गया है। इस नंबर पर संपर्क किए जाने पर इस कोर्स के बारे में जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही संस्था से इस कोर्स की मान्यता के बारे में पूछे जाने पर टीम एसआईएलसी की श्रेया प्रसून ने झूठा बताया कि यह कोर्स जेवियर इंस्टीट्यूट आॅफ कम्युनिकेशन के माध्यम से किया जा रहा है। कोर्स को यूजीसी और नैक की मान्यता मिली है।
प्रवेश के नाम पर लाखों रुपए की वसूली
सकाल समूह द्वारा शुरू किए गए इस कोर्स के लिए बाकायदा फीस तय की गई है। कोर्स के लिए एक लाख 15 हजार रुपए के साथ जीएसटी अलग से दिया गया है अर्थात यह फीस एक लाख से अधिक होगी। इसमें युवकों को गारंटी दी जा रही है कि इस कोर्स के दौरान छह महीने पूरा करने के बाद उन्हें सकाल के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों जगह इंटर्नशिप कराया जाएगा। उसके बाद उन्हें प्लेसमेंट किया जाएगा। इस झांसे में आकर युवक इस में प्रवेश ले रहे हैं। उन्हें इसकी सत्यता की बिल्कुल जानकारी नहीं है। इस संदर्भ में सकाल समूह के एमडी अभिजीतपवार से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके साथ ही राज्य उच्च शिक्षण विभाग के सहायक संचालक मोहन खताल के नंबर पर संपर्क किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
राज्य में फर्जी तरह से शुरू कोर्स की शिकायत महाराष्ट्र उच्च शिक्षा विभाग से विकास कुचेकर ने की थी। उसके बाद विभाग द्वारा हाल ही में एक जीआर निकाला गया, जिसमें इस तरह के बोगस कोर्स शुरू किए लोगों पर कार्रवाई करते हुए बंद करने का आदेश दिया गया है। उसके अनुसार जेवियर और सकाल समूह के खिलाफ कार्रवाई कर तुरंत बंद करना चाहिए।
– डॉ. अभिषेक हरीदास, सामाजिक कार्यकर्ता