नरेंद्र मोदी की शह पाकर दैनिक जागरण के मालिक और सीईओ संजय गुप्‍ता अपराध की राह पर निकल पड़े हैं!

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Fourth Pillar : अपराधियों, घोटालेबाजों और तस्‍करों को संरक्षण दे रहे हैं संजय गुप्‍ता… वाहन पर प्रेस लिखा देख कर पुलिस वाले सम्‍मान में वाहन को नहीं रोकते और उसकी जांच करना पत्रकारिता का अपमान समझते हैं। उन्‍हें लगता है कि इस वाहन में कोई गणेश शंकर विद्यार्थी बैठा होगा। पहले कमोवेश यह बात सही भी रही होगी, लेकिन सावधान। दैनिक जागरण के प्रेस लिखे वाहन में कोई अपराधी, घोटालेबाज अथवा तस्‍कर भी हो सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शह पाकर दैनिक जागरण के मालिक और सीईओ संजय गुप्‍ता अपराध की राह पर निकल पड़े हैं और वह अपराधियों, घोटालेबाजों और तस्‍करों को संरक्षण देने लगे हैं। मजीठिया मामले में उन पर हजारों लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस तो कर ही रखा है, उनकी कंपनी जागरण प्रकाशन लिमिटेड के प्रबंधकों पर हमला कराने और छिनैती कराने के मामले की जांच नोएडा, गौतमबुद्ध नगर के वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में लंबित है। वह अखबार के प्रभाव का इस्‍तेमाल कर पुलिस, प्रशासन और यहां तक कि व्‍यवस्‍थापिका की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।

उनके भ्रमजाल में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फंस गए हैं, जिससे अपराध की ताकत दिनोंदिन बढ़ रही है। मोदी जी को इसकी कीमत दिल्‍ली और बिहार के विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के रूप में चुकानी पड़ी है। खैर, मोदी जी को समझ कब आएगी, यह भगवान जानें, लेकिन जाने-अनजाने मोदी जी देश के एक बहुत बड़े अपराधी का साथ दे रहे हैं, जिसके हाथ मजीठिया लाभार्थी अतुल के खून से रंगे हैं।

संजय गुप्‍ता के दूसरे अपराधों की बात करें तो दैनिक जागरण की जम्‍मू यूनिट का जिक्र करना प्रासंगिक होगा। वहां के जीएम और संपादक का एक नजदीकी व्‍यक्ति जिसे दैनिक जागरण में नौकरी दी गई, ड्रग तस्‍करी में पकड़ा गया। बताया जाता है कि जम्‍मू यूनिट की एक महिला कर्मचारी का भाई है वह तस्‍कर। महिला कर्मचारी के साथ जम्‍मू के संपादक के अंतरंग रिश्‍ते बताए जाते हैं। संपादक पहले उस तस्‍कर को पुलिस से बचाता रहा, लेकिन जम्‍मू में आतंकियों की घुसपैठ बढ़ने पर पुलिस सख्‍त हुई और संपादक अपने चहेते तस्‍कर को पुलिस के शिकंजे से नहीं बचा पाया।

संजय गुप्‍ता के अपराधों की कड़ी में आइए कानपुर यूनिट चलते हैं, जहां कई फर्जी कंपनियां बनाकर कर्मचारियों को मजीठिया वेतनमान से वंचित किया जा रहा है। इस काम को अंजाम देने में दैनिक जागरण का आज्ञाकारी डाइरेक्‍टर सतीश मिश्रा लगा हुआ है। मीठा बोलने वाला सतीश मिश्रा कर्मचारियों को एनआरएचम घोटाले में झोंकता रहा है। इस क्रम में दैनिक जागरण के कुछ बंदे देश के इस बड़े घोटाले में फंस भी चुके हैं। याद रहे, यदि आप दैनिक जागरण पढ़ते हैं अथवा उसे विज्ञापन देते हैं तो जाने-अनजाने आप देश के एक सबल अपराधी संजय गुप्‍ता और उसके चचा महेंद्र मोहन गुप्‍ता को समाज विरोधी काम करने की संजीवनी दे रहे हैं। आप दैनिक जागरण अखबार को बाइकाट करेंगे तो उसके कर्मचारी अतुल सक्‍सेना की आत्‍मा को शांति मिलेगी।

दैनिक जागरण में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत सिंह द्वारा संचालित फेसबुक पेज फोर्थ पिलर से साभार.

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