दैनिक भास्कर चंडीगढ़ का पत्रकार संजीव महाजन पहले एक कोठी मालिक को साजिशन ड्रग दिलवा कर मानसिक रूप से बीमार कराता है. फिर उसका अपहरण कर उसे गुजरात भिजवा देता है. उसके बाद एक नकली आदमी खड़ा कर उसे कोठी मालिक बनवाता है और कोठी को बेचकर जो पैसा पाता है उससे सबसे पहले फोर्ड इंडेवर कार खरीदता है.
कुछ पैसे वह एक कंपनी में निवेश करता है जहां से उसकी पत्नी को सेलरी के रूप में हर महीने ढाई लाख रुपये आने लगते हैं.
संजीव महाजन के पास इतनी प्रापर्टी है कि उसकी जांच के लिए अब ईडी का सहारा लेने की तैयारी है. महाजन की प्रापर्टी, पैसों के लेनदेन की जांच के लिए पुलिस ने मामला ईडी को देने की तैयारी कर ली है. शुरुआत में ही ईडी इन सभी प्रापर्टीज को फ्रीज कर सकता है ताकि इन्हें आगे किसी अन्य व्यक्ति को बेचा नहीं जा सके. इन प्रापर्टीज में डड्डूमाजरा में मकान नंबर 486, कैंबवाला में दो एकड़ का प्लाट, सेक्टर 123 में मकान नंबर 293, सेक्टर 38 वेस्ट में मकान नंबर 5147, सेक्टर 42 में कमर्शियल स्पेश कशिश कांप्लेक्स, गांव तोगां मोहाली में मैट्रेस फैक्ट्री, सेक्टर 41 में एक बूथ शामिल हैं.
महाजन की पत्नी के खाते में हर महीने ढाई लाख रुपये इंड स्विफ्ट कंपनी से आते थे. इस कंपनी के डायरेक्टर एनआर मुंजाल को सम्मान जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया गया है. पुलिस जांच कर रही है कि इंड स्विफ्ट के पांच करोड़ रुपये के वैट घोटाले में पुलिस जांच को खुर्द बुर्द करवाने में महाजन का रोल तो नहीं रहा है. क्या इसके एवज में पत्नी के नाम पर सेलरी तय हुई थी? तबके एडवाइजर परिमल राय ने 17 जुलाई 2018 को इंड स्विफ्ट कंपनी के वैट घोटाले की विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए थे. पुलिस जांच कर रही है कि इस केस को विजिलेंस से क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर करवाने में संजीव की भूमिका तो नहीं रही है…
इस पूरे प्रकरण पर दैनिक भास्कर में आज भी विस्तार से खबरें प्रकाशित हुई हैं. देखें-
इसे भी पढ़ें-