अलका प्रकाश-
पत्रकारिता जगत के सशक्त हस्ताक्षर, वरिष्ठ पत्रकार, सम्पादक, लेखक और आलोचक डॉ. शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने आज इंदौर के समीप स्थित डॉ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय “महू” (मध्य प्रदेश) में डॉ जगजीवन राम शोध पीठ के प्रोफेसर रूप में कार्यभार ग्रहण कर एक और बड़ा मुकाम हासिल किया है, इसके लिए मैं उन्हें बधाई देती हूं।
दैनिक जागरण अखबार में क्राईम रिपोर्टर से करियर आरंभ कर के ब्यूरो चीफ ,सम्पादक, पब्लिशर और प्रिंटर बनना इनके आसमां की बुलंदियों को छूने की एक अद्भुत कहानी है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में समाचार के सम्पादक का पद और शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए थे। शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी मालिकों के साथ- साथ जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भी निर्वाह करते थे।
शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने अपने हुनर, प्रबंधकीय कौशल और सामाजिक सरोकारों के लिए खुद को खपा देने की प्रतिबद्धता से अपने हाथों की लकीरों का निर्माण किया था।ऐसा नहीं है कि शैलेन्द्र मणि का जीवन बिना किसी संघर्ष के इस मुकाम पर पहुंचा है, इस मुकाम तक पहुंचने के पहले शैलेन्द्र मणि की सरपट दौड़ने वाली गाड़ी अपनो की बेरुखी और साजिश के चलते पटरी से उतर गई थी, लेकिन वो परेशानियां, दिक्कतें और अपनों का उनसे नजरें बचाकर निकल जाना ,उन्हें भविष्य के सोपान तय करने से रोक नहीं पाए, लोग समझते थे कि शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी चूक गए हैं ।
दैनिक जागरण अखबार के संपादक पद से हटने के बाद आए गुमनामी के दौर में ,आगे के अभियान के लिए एक दृढ इच्छा शक्ति वाला नायक अपने अभियान की तैयारी करता हैऔर अपनी गाड़ी के पहियों के नट बोल्ट कसता है, मणि जी भी उसी अभियान में लगे रहे और उसी का नतीजा है कि ये भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय की महत्त्वपूर्ण संस्था दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के सदस्य बनाए गए और एक अनजान और निर्जीव पड़ी संस्था में जान डाल दिया।तथा उसके बाद, इन्हें मगध विश्वविद्यालय बोधगया में जन संचार विभाग का समन्यवक और विशिष्ट आचार्य के पद की जिम्मेदारी दी गई जिसमें इनकी प्रतिभा एक बार फिर निखर कर देश के एकेडमिक जगत के सामने आई है।
इन्होंने अपने प्रबंधकीय कौशल से इस विश्वविद्यालय को बिहार ही नहीं पूरे भारत में एक नई पहचान देने का काम किया है,जितने सामाजिक,आर्थिक, राजनैतिक,सामरिक और सूचना प्रौद्योगिकी के मुद्दों को इनके संयोजन में वेबीनार के जरिए मिडिया में उठाया गया , उतना तो उत्तर भारत के सभी विश्वविद्यालयों ने मिल कर भी नहीं किया।
शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी जी की इसी प्रतिभा और कौशल से प्रभावित होकर बिहार विधानसभा के अध्यक्ष ने इन्हें भारत के महामहिम राष्ट्रपति के आगामी कार्यक्रम के लिए गठित आर्गेनाइजिंग समिति का सदस्य बनाया है, बिहारी जनमानस और उनके दिलों पर जो छाप, शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने छोड़ी है वह सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने की शानदार कहानी है।मगध विश्वविद्यालय से चल कर यह सफर अब अहिल्याबाई होलकर के बसाए शहर महू इंदौर पहुंच गया है।
प्रतिभाएं किसी की मोहताज नहीं होती है वह तो बीज की तरह होती हैं अगर आप उन्हें मिट्टी में दबाएंगे तो वह बाहर निकलेंगी ही शैलेन्द्र मणि सृजन के बीज है, मिट्टी में जाया हो नहीं सकते थे।
इसलिए
वो खुद ही जान लेते हैं बुलंदी आसमानों की,
परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानो की।
Vijay Singh
October 19, 2021 at 11:55 am
Many congratulations to Shailendra ji.