Pradeep Mahajan : ये क्या हो रहा है राजनाथ जी, पटनायक साब! दिल्ली में एक शर्मनाक घटना घटी. बेटी को छेड़ने से रोकने पर बाप की हत्या कर दी. साली क्या अंधेरगर्दी है. कोई रोक टोक नहीं है. कानून का डर खत्म हो गया. पुलिस के सरंक्षण में जगह जगह दिल्ली में सट्टेबाजों के अड्डे चल रहे हैं. जमुनापार में ही 50 से ऊपर हैं जहां फरीदाबाद, दिसावर, गली के नाम पर खुलेआम सट्टा बाजार चल रहा है. लाखों की मंथली चल रही है. पुलिस खामोश है.
हर चौराहे पर खुलेआम शराब के अड्डे बने हुए हैं. अगर सीपी आदेश दे दे तो प्रीत विहार थानाअन्तर्गत राधू पैलेस रोड (अब नाम ईस्ट मेट्रिप्लेक्स) के आसपास एक घण्टे में 100 शराब पीते हुए पकड़े जाएंगे. उन्हीं लोगों मे 10 तो पुलिस वाले पीते हुए मिलेंगे. ट्रैफिक पुलिस व थाना पुलिस के लिए ट्रिपल सवारी वाले हुड़दंगी बस आय के साधन हैं. लेकिन उनके वेश में आजकल अधिकतर स्नेचर, लुटेरे होते हैं जो जांच का विषय हैं. वो तो भला हुआ मुखबिरों का जो पुलिस को सूचना देकर अपराधी पकड़वा रहे हैं नहीं तो पुलिस वालों को तो अपराध से कोई मतलब नहीं है. उन्हें चिंता नहीं कि अपराध का जनन कैसे हो रहा है.
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में दिल्ली पुलिस का ख़ौफ़ कम हुआ है, क्योंकि सबको बता है कि राजधानी की स्मार्ट पुलिस ले देकर शांत हो जाती है. अधिकतर थानों में प्रॉपर्टी डीलर या बिल्डर माफिया थाना चला रहा होता है. एसएचओ साब तो फटिक ले और दे रहे होते हैं. अधिकतर तो कमरों से बाहर ही नहीं निकलते क्योंकि बीट वाला कमाऊ पूत बैठे बैठाए रुपयों का हिसाब दे देता है. कोई कानून नहीं है दिल्ली में. देर रात शराब पीकर अपराधी घूम रहे हैं और आला अधिकारी AC में सोया हुआ है. अफसर बस ये प्लानिंग बना रहे होते हैं कि दिल्ली में कैसे टिका जाए.
Mohit Om Vashisht : शर्म आती है ये कहते हुए कि हम देश की राजधानी दिल्ली में रहते हैं जहां एक पिता अपनी बेटी की रक्षा करते हुए जान गंवा बैठे और भाई अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है। इस वारदात को अंजाम देने वाले गुंडे सिर्फ इसी घटनास्थल पर ही नहीं बल्कि दिल्ली के हर चौक चौराहे पर मिल जाते हैं। समझ नहीं आता अब सवाल करें तो किससे करें? प्रदेश की पुलिस से, यहाँ के सिस्टम से या सोये हुए समाज से जिनके बीच में रहकर ऐसे बदमाश पनप रहे हैं। राजनीतिक दलों के लिए क्या कहा जाए। ये तो बस सिर्फ राजनीति करते रहेंगे। आइयेगा फिर से हमसे वोट मांगने, हमे बरगलाने और हम भी लोकतंत्र की मजबूती के झांसे में आकर आप में से एक को चुन लेंगे। मगर ये घटनाएं रुकेंगी, ऐसा मानना सिर्फ सपना है। सही में डर लगता है इस शहर में और शर्म आती है अपने आप को दिल्लीवासी कहने में।
Arvind Pathik : अगर मुसलमान मोतीनगर मे हुई घटना पर मुंह सिये रहेंगे तो एक दिन घर से निकाल निकाल कर मारे जायेंगे, जैसे गोधरा की प्रतिक्रिया में गुजरात हुआ तो आज तक रोना रोए जा रहे हैं। ये कैसे रोजेदार हैं जो लड़कियाँ छेड़ते हैं, फिर मर्डर करते हैं और उनके समर्थन मे भीड़ भी आ जाती है। खुदा से खौफ खाईये, वर्ना जो होगा वह ना देश के हित में होगा न समाज के।
Vivek Satya Mitram : अभी ज्यादा दिन नहीं बीते जब मैंने आपबीती सुनाई थी कि कैसे एक मुस्लिम युवक जिसने मेरी कार ठोंकी थी पहले पुलिस को इन्वॉल्व नहीं करने की गुहार लगाते हुए हर्जाना भरने को तैयार हुआ और बाद में मुकर गया। जब मामला पुलिस तक पहुंचा और चौकी इंचार्ज ने उसे बातचीत के लिए बुलाया तो मैं वहां अकेला पहुंचा और वो पांच लोगों के साथ आया। बताने की ज़रूरत नहीं है ये शोहदे किस्म के लोग भी मुसलमान थे और वहां दबाव बनाने की नीयत से आए और पुलिस के सामने ही बदतमीजी पर उतारू थे। आख़िरकार मुझे ही पीछे हटना पड़ा। जब मैंने अपनी तकलीफ़ शेयर करते हुए लिखा कि मेरा कई बार का ऐसा अनुभव है कि मुस्लिम समुदाय के लोग सही/ ग़लत के फ़र्क के बगैर ही अपने मज़हब के लोगों के लिए एकजुट हो जाते हैं, उनके लिए उस व्यक्ति का मुसलमान होना भर काफ़ी है तो मेरे कुछ हिंदू मित्रों ने कहा कि ये पोस्ट “मुस्लिम घृणा” से भरा हुआ है और उनका अनुभव इससे इतर है। मुझे जाननेवाले जानते हैं कि मैं कोई सांप्रदायिक व्यक्ति नहीं हूं मगर जो महसूस किया है, झेला उसे तथ्यों के साथ व्यक्त करना कहां से ग़लत है?
बहरहाल, ये वीभत्स घटना दिल्ली की है। अपनी 24 साल की बेटी के साथ छेड़छाड़ करनेवालों का विरोध कर रहे 51 साल के पिता की सरेआम चाकू मारकर हत्या कर दी जाती है। लड़की का भाई अभी भी गंभीर अवस्था में अस्पताल में है। घटना को 11 लोगों ने अंजाम दिया और सैकड़ों लोग खड़े होकर तमाशा देखते रहे/ वीडियो बनाते रहे। मारा गया व्यक्ति हिंदू है, आरोपी मुसलमान हैं, उनका साथ देनेवाले परिजन भी ज़ाहिर तौर पर मुसलमान हैं और तमाशा देखने वाली भीड़ में बहुतायत हिंदू थे जिनमें से एक ने भी बीचबचाव करने या हत्यारों से लोहा लेने की हिम्मत नहीं दिखाई। एक बार फिर मेरा अनुभव सही साबित हुआ किअगर सामने वाला हिंदू है तो मुसलमान का बिना सही/ग़लत की परवाह किए उसका साथ देगा, हिंदू तो सही होने पर भी हिंदू का साथ नहीं देगा क्योंकि इस तरह की धार्मिक एकजुटता उनमें नहीं है!
चलो फिर से कहो कि ये पोस्ट भी ‘मुस्लिम घृणा’ से प्रेरित है। दरअसल ऐसी घटनाओं के लिए वो लोग ज्यादा जिम्मेदार हैं जो सेकुलर दिखने के लिए सेलेक्टिव तरीके से रिएक्ट करते हैं। ऐसे तमाम लोगों के सोशल मीडिया देख आइए, चूंकि मारा गया व्यक्ति राजू त्यागी है उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता, अगर वो राजू अंसारी होता और अगर कहीं आरोपी हिंदू होते तो अब तक इन्होंने इंडिया गेट को मोमबत्तियों से रोशन कर दिया होता। सोशल मीडिया पर तो इतनी चरस बोई जा चुकी होती कि ऐसा लगता मानो — चुनावी माहौल में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए मोदी ने ही करवाई है हत्या। शर्म आती है कि ऐसे लोग इंसानियत की बातें करते हैं। सुनो बे फ़र्जी सेकुलरों — इस देश में हुए हिंदू मुस्लिम दंगों में मारे गए मासूमों के खून से जितने सत्ता और प्रशासन के हाथ रंगे हैं उससे कहीं ज्यादा तुम्हारे रंगे हैं। जब तक तुम धर्म के आधार पर ऐसा भेदभाव करते रहोगे, ये खाई और चौड़ी होती जाएगी। चलो अब गाली दो मुझे!
Vivek Kumar : दिल्ली में मुसलमानों ने मिल कर एक हिंदू बेटी को पहले छेड़ा. इस बात की जब पिता ने आलोचना की तो उसकी घेर कर चाकूओं से हत्या कर दी गई. यह सब देख भाई आया तो उसे भी बुरी तरह मारा पीटा. केंद्र सरकार में भाजपा है. दिल्ली पुलिस सीधे राजनाथ सिंह देख रहे हैं जो गृहमंत्री भी हैं. सोचिए जरा. देश का पीएम मोदी जैसा शख्स है. आखिर ऐसे में भी कैसे मुस्लिम गुंडों की हिम्मत हो जा रही है जो हिंदू बेटी को छेड़े, फिर उसके बाप की हत्या करे और भाई को घायल कर दे? यह भाजपा का फेल्योर है. यह भाजपा का दोगलापन है. ये लोग कुछ भी न कर सके. न गुंडों से लड़ सके न रोजगार दिला सके. इनका एकमात्र लक्ष्य खुद को समृद्ध करना और अपने खास लोगों को समृद्ध कराना है. साथ ही साथ किसी भी तरह से झूठ बोलकर वोट लेकर चुनाव जीतना है.
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप महाजन, मोहित ओम वशिष्ट, अरविंद पथिक, विवेक सत्य मित्रम और विवेक कुमार की एफबी वॉल से.
Raj
May 15, 2019 at 10:51 pm
कुछ के लिए रोजे में हिन्दू लड़की से रेप तो धार्मिक कार्य है। जाकिर नाइक खुलेआम कहता है कि गैर मुस्लिम लड़की से सामूहिक रेप जायज है। उसको मानने वाले करोड़ों हैं।
tiger
May 21, 2019 at 4:28 pm
अगर मुसलमान मोतीनगर मे हुई घटना पर मुंह सिये रहेंगे तो एक दिन घर से निकाल निकाल कर मारे जायेंगे, जैसे गोधरा की प्रतिक्रिया में गुजरात हुआ तो आज तक रोना रोए जा रहे हैं। ये कैसे रोजेदार हैं जो लड़कियाँ छेड़ते हैं, फिर मर्डर करते हैं और उनके समर्थन मे भीड़ भी आ जाती है। खुदा से खौफ खाईये, वर्ना जो होगा वह ना देश के हित में होगा न समाज के।