Sheeba : आज सुबह से इंडिया न्यूज़ और ज़ी न्यूज़ की तरफ से फ़ोन आते रहे पैनल में बैठने के लिए. दोनों किसी मुस्लिम-महिला केंद्रित घटना पर बहस में आमंत्रित कर रहे थे. मैंने विरोध जताते हुए मना कर दिया की जेएनयू को आपने जिस तरह षड्यंत्र कर के बदनाम किया उसके बाद हम आपके चैनल की टीआरपी की ग़ुलामी में सहयोग देने नहीं आएँगे.
ये जेएनयू है जिसने हमें ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करना सिखाया, महिला-दलित-कमज़ोर की आज़ादी की क़ीमत बताई, हर बुराई-कूपमंडूकता को रिजेक्ट करने के तर्क दिए. हम जैसों को बनाने में इसी जेएनयू का सीधा योगदान है जिसे घटिया चैनलों ने घेर कर मारने की कोशिश की.
पिछली 4 मार्च को इंडिया न्यूज़ ‘टुनाइट विद दीपक चौरसिया’ में बुला रहा था, ज़ी मीडिया के सहयोगी चॅनेल 24X7 से 5 मार्च को बुलाया गया, लेकिन मैंने गेस्ट कोऑर्डिनेटर को अपना विरोध जता के बोल दिया कि निजी तौर पर आपका बॉयकॉट कर रहे हैं, नहीं आएँगे. जेएनयू के ख़िलाफ़ इस षड्यंत्र से आहात समाज हर स्तर पर विरोध ज़ाहिर करे ये आवश्यक भी है और अपेक्षित भी.
ऐसा कैसे हो सकता है की जेएनयू से सीखकर, जेएनयू-हन्ता की स्वार्थसिद्धि में काम आऊं? जब तक सही को सही ग़लत को ग़लत कहने का नैतिक सहस नहीं दिखाते ये अपराधी चैनेल मेरा ये अदना सा विरोध जारी रहेगा, हालाँकि चैनेल को इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता, लेकिन मुझे तो पड़ता है. हम आपराधिक प्रवृत्ति वाले चैनल्स जी न्यूज, इंडिया न्यूज और टाइम्स नाऊ का दर्शक होने से इनकार करते हैं.
लेखिका शीबा असलम फ़हमी चर्चित नारीवादी और जेएनयू की रिसर्च स्कालर हैं.