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उत्तर प्रदेश

यूपी में ‘स्मार्ट’ के नाम पर आउटडेटेड बिजली मीटर लगाने का खेल!

अजय कुमार,लखनऊ

वर्षों पहले अपने घरों में लगे बिजली के पुराने मीटर अब अतीत बनकर रह गए हैं। इस मीटर में एक लोहे की प्लेट लगी रहती थी वह प्लेट घूमती ओर उसी की रीडिंग के अनुसार आपका बिजली बिल निर्धारित किया जाता था। इस मीटर ने दशको ‘राज’ किया। हर आदमी आसानी से रीडिंग ले और देख सकता था। जमाना बदला और उसके बाद उन मीटरों का स्थान डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक मीटर ने लिया। इसको लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए,लेकिन दो-तीन सालों के भीतर ही बिजली विभाग को यह डिजिटल मीटर बेकार नजर आने लगे। अब इसे फिर एक बार बदला जा रहा है। अब मोदी सरकार आने वाले तीन सालो में देशभर में बिजली के सभी मीटरों को स्मार्ट प्रीपेड में बदलने जा रही है, देश भर में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. इससे उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं है।

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प्रदेश का बिजली महकमा आजकल घर-घर ‘स्मार्ट मीटर’ लगाने का काम कर रहा है। इस मीटर की खूबियों का तो खूब प्रचार हो रहा है,लेकिन इस मीटर की खामियों और पुरानी तकनीक की बातों को छुपाया जा रहा है। दरअसल,बिजली विभाग स्मार्ट मीटर बताकर घर-घर जो टू-जी और थ्री-जी टेक्नालाॅजी वाले मीटर लगा रहा है। वह पुराने यानी आउट डेट््ड हो चुके हैं। यूपी में कथित स्मार्ट मीटर लगाने का जिम्मा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ईईएसएल को सौंपा गया है। यह समझना जरूरी है कि विद्युत मंत्रालय ने एनटीपीसी लिमिटेड, पीएफसी, आरईसी और पावरग्रिड के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम बनाया था, जिसे ईईएसएल कहा जाता है। बल्ब-पंखे आदि बेचने के बाद इस कम्पनी के द्वारा थोक में खरीदे गए स्मार्ट मीटर को लगाने का काम उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों मे चल रहा है। बिजली विभाग का दावा है कि इससे बिजली चोरी रुकेगी, वितरण कंपनियों की कार्यकुशलता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को वास्तविक समय पर बिजली खपत की जानकारी मिलेगी।

वहीं राज्य विद्युत नियामक आयोग इन स्मार्ट मीटरों की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं,जिसके चले उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने की पावर कॉरपोरेशन की योजना अधर में नजर आ रही है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में 2जी और 3जी टेक्नॉलजी के लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर पर स्टेटस रिपोर्ट पावर कॉरपोरेशन से मांगी थी। आयोग के चेयरमैन के निर्देश पर सचिव संजय कुमार सिंह ने पावर कॉरपोरेशन के एमडी से यह बताने को कहा है कि जब टू-जी और थ्री- जी टेक्नॉलजी बंद हो जाएगी, तब मीटर को अडवांस टेक्नॉलजी में बदलने पर कितना खर्च आएगा। आयोग ने पावर कॉरपोरेशन द्वारा खरीदे जा रहे मीटर मॉडम पर भी रिपोर्ट तलब की है।

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पावर कॉरपोरेशन द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सवाल तो प्रत्यावेदन के आधार पर आयोग ने रिपोर्ट मांगी है। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सवाल उठाया था कि जो तकनीक बंद हो रही है, उसके 40 लाख मीटर प्रदेश में क्यों लगवाए जा रहे हैं।

उधर, ईईएसएल के अधिकारियों के अनुसार कंपनी ने उत्तर प्रदेश में लगाने के लिए पिछले साल सार्वजनिक निविदा के जरिये ऐसे 40 लाख बिजली के स्मार्ट मीटर खरीदे थे,लेकिन ग्राहकों की संख्या इससे कहीं अधिक है। इस लिए अगले चरण में कंपनी जल्द ही ऐसे 50 लाख और मीटर खरीदने की योजना बना रही है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, इलाहबाद, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा जैसे शहरों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम आजकल तेजी से चल है।

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सूत्र बताते हैं कि ईईएसएल बिजली वितरण कंपनियों से प्रति मीटर प्रति महीने 70 रुपए लेगी। वहीं वितरण कंपनियों को औसतन प्रति मीटर 200 रुपए का लाभ होने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश में बिजली ‘रीडिंग’ पर 40 रुपए प्रति मीटर का खर्च आता है। वहीं बिल की कुशलता 75 से 80 प्रतिशत है। विश्लेषण से पता चलता है कि 30 प्रतिशत बिल गलत होते हैं। इससे उपभोक्ता और वितरण कंपनियों में विवाद होता है। एक अनुमान के अनुसार इसके कारण वितरण कंपनियों को प्रति मीटर 200 रुपए की लागत आती है। स्मार्ट मीटर लगने से बिजली वितरण कंपनियों को यह बचत होगी।

कम्पनी का दावा है कि ‘स्मार्ट मीटर लगने से उपभोक्ताओं को वास्तविक समय पर पता चलेगा कि वे कितनी बिजली की खपत कर रहे हैं। इसके अनुसार वे बिजली खपत को नियंत्रित कर सकते हैं। इससे कम बिजली खपत करने वाले उत्पादों की मांग बढ़ेगी और एक बहुत बड़ा बदलाव आएगा।

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गौरतलब हो, ईईएसएल को स्मार्ट मीटर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एसएमएनपी) के तहत देश में 25 करोड़ परंपरागत मीटरों को स्मार्ट मीटर से बदला जाना है।एक और बात स्मार्ट मीटर लगाते समय यह दावा किया जा रहा है कि इस मीटर को लगाने की एवज में उपभोक्ताओं से कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है, उपभोक्ता का पुराना मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर फ्री में लगाया जा रहा है, साथ ही पांच साल तक मीटर में कोई गड़बड़ी होती है तो भी मीटर बिना किसी शुल्क के बदला जाएगा। बताते चलें ईईएसएल ने ऐसे ही दावे एलईडी बल्ब बेचते समय भी किए थे।

इस कम्पनी के माध्यम से पिछले तीन-चार सालों में पूरे देश में जो एलईडी बल्ब बेचे गए गए थे, वह कुछ महीनों बाद ही खराब होना शुरू हो गए। जब उपभोक्ता इन्हें बदलने के लिए पुहंचे तो इन्हें बेचने वाले नदारद थे। सभी जगहों पर ऐसी घटनाएं घटी। बहुत विवाद भी हुए लेकिन इस कम्पनी पर कुछ भी कार्यवाही नही हुई। इस कंपनी को देश भर में स्ट्रीट लाइट को एलईडी से बदलने का ठेका भी दिया गया जिसके सब कांट्रेक्ट उन्होंने ऐसे लोगो को दिए जो एक साल में ही शहर छोड़ कर भाग गए। यह कम्पनी सिर्फ एलईडी बल्ब तक ही सीमित नही है। लाखो पंखे इन्होंने खरीदे हैं और यहाँ तक कि डेढ़ टन के एसी भी हजारों की संख्या में इन्होंने खरीदे है लेकिन कही भी देखने मे नही आया कि बल्ब-पंखें आदि खरीद के बाद सर्विस की कोई व्यवस्था इस कम्पनी के पास रही हो। क्योंकि यह कम्पनी किसी तरह का उत्पादन ही नही करती है।

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वैसे सच तो यह है कि कोई चीज फ्री में नही लगाई जाती, फ्री में लगाने से पहले ही सारा केलकुलेशन बैठा लिया गया है कि पहले 6 महीने में ही आपका जो बिल बढ़ा हुआ आएगा उसी में यह राशि समायोजित कर दी जाएगी, ओर जिन घरों में यह मीटर लगाए गए हैं उन सभी घरों में जो बिल आए हैं उसमें सवा से डेढ़ गुनी अधिक खपत दिखाई दे रही है.खुले बाजार में फिलहाल सबसे सस्ता सिंगल फेज प्रीपेड बिजली मीटर अभी 8 हजार रुपये का मिल रहा है। हालांकि अच्छी गुणवत्ता वाला मीटर खरीदने के लिए लोगों को 25 हजार रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं अब ये कम्पनी जो स्मार्ट मीटर लगा रही हैं उसमें किस तरह से आपसे पैसा वसूला जाएगा आप खुद ही सोच लीजिए.

दूसरी ओर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिरकार यह मीटर सप्लाई कौन कर रहा है? कही न कही तो इनका उत्पादन किया जा रहा होगा? क्या विद्युत नियामक आयोग स्वतंत्र रूप से इन स्मार्ट मीटरों की जाँच करवा चुका है? क्योंकि सारा झोलझाल तो यही है. देश भर में इन स्मार्ट मीटर की आपूर्ति एनर्जी एफिशियेंसी सर्विसेज लिमिटेड ईईएसएल कर रहा है।

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लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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1 Comment

1 Comment

  1. अजीत कुमार पाण्डेय

    July 16, 2019 at 11:52 am

    लूट मची है लूट

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