पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की मौत के मामले में पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। इससे पहले पुलिस ने पत्रकार की हत्या को हादसा बताया था। आरोप है कि शराब माफिया को बचाने में जुटी थी पुलिस।
दुर्भाग्य ये है कि जिस चैनल Abp Ganga में पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव काम करते थे उसने योगी सरकार और पुलिस विभाग की दलाली अनवरत जारी रखते हुए इस प्रकरण को हत्या की बजाय सड़क दुर्घटना बता कर खबर चलाने का काम कर रहा था।
भारत समाचार चैनल, सोशल मीडिया आदि जगहों पर सवाल उठाए जाने के बाद पुलिस बैकफ़ुट पर आई और पोस्टमार्टम के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया। सवाल उठ रहा है कि क्या शराब माफिया से मिलीभगत के कारण पुलिस वाले हत्या को हादसा बताने पर तुले हुए थे?
भारत समाचार चैनल के एडिटर इन चीफ़ ब्रजेश मिश्रा कहते हैं- “शराब माफिया के टुकड़ों पर पलने वाले लोग टीवी पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की हत्या को हादसा बता रहे थे। भारत समाचार ने सच सार्वजनिक कर दिया। प्रतापगढ़ पुलिस ने हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया है। हम शुरू से कह रहे थे ये हादसा नहीं हत्या है। रात में 2 बजे किसके इशारे पर इसे हादसा बताया जा रहा था। उस संस्थान ने भी साथ नहीं दिया जिसके लिए सुलभ की हत्या हुई। लेकिन भारत समाचार इंसाफ की लड़ाई जारी रखेगा। जांच सीबीआई को मिलनी चाहिए। सुलभ के कातिलों का जहन्नुम तक पीछा करेंगे।”
देखें ट्वीट और कुछ प्रतिक्रियाएँ-
नकुल चतुर्वेदी-
ABP News कह रहा है संदिग्ध हालात में मौत हुई… सड़क हादसे में हुई रिपोर्टर की मौत… किसकी ? उस रिपोर्टर की जो ABP के लिए काम कर रहा था.. #SHAMEONABP
इस बीच प्रतापगढ़ में ABP गंगा के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव जी की आत्मा की शांति के लिए गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब अध्यक्ष Markanday Mani Tripathi के नेतृत्व में प्रेस क्लब गोरखपुर कार्यालय पर 2 मिनट का मौन धारण किया गया। इसके साथ ही सिटी मजिस्ट्रेट को मुख्यमंत्री से सम्बंधित ज्ञापन सौंपा गया। प्रेस क्लब अध्यक्ष के द्वारा उक्त प्रकरण में निष्पक्ष जांच, पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ व एडीजी प्रयागराज के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की मांग की गई।
इस प्रकरण पर पत्रकार प्रशांत सिंह की टिप्पणी-
प्रतापगढ़ में एबीपी न्यूज के पत्रकार ने एक रोज पहले अपनी जान का खतरा बताते हुए ADG को पत्र लिखा, कल उसकी संदिग्ध रूप में लाश बरामद हुई है। पत्रकार को डर था कि उसके अवैध शराब का जखीरा और फैक्ट्री का खुलासा करने से शराब माफियाओं से उसे जान का खतरा है।
प्रतापगढ़ की मासूम पुलिस ने एक रोज से भी कम समय में संदिग्ध हत्या को सड़क दुर्घटना बता दी। बाकी आप खुद पत्रकार सुलभ की इस तस्वीर को देखिए। आपको कहीं से भी मालूम हो रहा कि ये किसी पोल या हैंडपंप से टकराने के बाद की है? ऐसी कौन सी टक्कर थी जिसमें शर्ट और पैंट तक खुल गए लेकिन फटे नहीं? और सड़क दुर्घटना भी तभी होती है जब पत्रकार को अपनी जान का खतरा था?
मामले को लेकर जब लोकल लेवल पर बात की तो पत्रकार बिरादरी का कहना है- “मामला पूरी तरीके से संदिग्ध है, अगर कायदे से जांच हो जाए तो बड़े-बड़े अधिकारी नप जाएंगे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो मन मुताबिक बनाया जा सकता है!” आगे कहना था- एक और पत्रकार से बात की तो उसका कहना है- चश्मदीद पुलिस से डर भी सकते हैं, इसलिए बयान केवल पुलिस के हिसाब से ही देंगे।
आशंकाओं की ही तो दुनिया है, सब कुछ संभव है। डर कब हकीकत में बदल जाए वो भला सुलभ से बेहतर कौन समझ पाया होगा?
Jharkhand Working Journalists Union
June 14, 2021 at 5:57 pm
सुलभ श्रीवास्तव की मौत की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। दोषी चाहे कितना भी प्रभावशाली हो ,उस पर कड़ी कार्यवाई की जानी चाहिए। अपराधियों की शीघ्र गिरफ़्तारी हो। इस मामले में राज्य सरकार और पुलिस के वरीय अधिकारी संज्ञान लें।