धार्मिक खबरों के लिए अमर उजाला ने दो-दो पहला पन्ना बना दिया
संजय कुमार सिंह
अमर उजाला को छोड़कर आज मेरे सभी अखबारों में मल्लिकार्जुन खरगे को विपक्षी गठबंधन का अध्यक्ष बनाने और नीतिश के संयोजक बनने से इनकार की खबर लीड है। हालांकि राजनीति इसमें भी है और द टेलीग्राफ की लीड का शीर्षक है, राहुल गांधी की यात्रा से पहले इंडिया में दरार (अनबन)। इस मुख्य शीर्षक के साथ फ्लैग शीर्षक है, खरगे अध्यक्ष बने नीतिश असंतुष्ट। हिन्दुस्तान टाइम्स ने सिर्फ यह खबर दी है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को संयोजक बनाने की पेशकश की गई है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उन्होंने इनकार कर दिया है। द हिन्दू ने लिखा है कि उन्होंने फैसला नहीं किया है (ना स्वीकार किया है ना खारिज किया है), टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि वे हिचक रहे हैं। अमर उजाला ने (अपने दूसरे पहले पन्ने की लीड में लिखा है कि उन्होंने इन्कार कर दिया है। नवोदय टाइम्स ने विरोधियों की खास I.N.D.I.A शैली में लिखा है नीतिश कुमार बनते-बनते रह गये इंडिया संयोजक।
यहां यह महत्वपूर्ण है कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा आज शुरू होने वाली है और कई कारणों से यह बड़ी खबर है। यह सूचना सामान्य जानकारी और सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। ऐसी यात्रा पहले कभी नहीं हुई (या बहुत कम हुई) इसलिए भी पहले पन्ने की खबर है जिसमें बताया जाता कि आज शुरू होनी है, यात्रा की खास बातें हैं। आम तौर पर यात्रा शुरू होने के बाद भी यह खबर छप सकती है और आज अगर मंदिर व राजनीति की खबरें ज्यादा होने के कारण पहले पन्ने पर नहीं छप पाई तो देखता हूं, कल क्या होता है पर आज अकले नवोदय टाइम्स में यह खबर वैसे दिखी जैसी होनी चाहिये। वैसे तो यह खबर हिन्दुस्तान टाइम्स में तीन कॉलम में है पर दूसरे अखबारों में दिख नहीं रही है। राहुल गांधी की टिकट साइज फोटो के साथ पहले पन्ने पर यह छोटी सी खबर भी संपादकीय निष्पक्षता के प्रतीक के रूप में देखी जा सकती है। क्योंकि यह इंडिया गठबंधन की लीड के साथ नहीं राहुल को अलग से महत्व देती है, जिसके वे हकदार हैं। शीर्षक है, आज मणिपुर से भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू करेंगे राहुल।
दिलचस्प यह है कि केजरीवाल को ईडी के चौथे नोटिस की खबर पहले पन्ने पर है लेकिन राहुल की मणिपुर से पहली और अपनी तरह की इस दूसरी यात्रा की खबर पहले पन्ने पर नहीं है। दूसरी ओर 80-20 वाले हिन्दुओं के समर्थन से प्रधानमंत्री बनने के अपने प्रयासों को सफलीभूत होते देखने के लिए नरेन्द्र मोदी ने 22 को हर घर में श्रीराम ज्योति प्रज्वलित करने की अपील की है और अमर उजाला ने इस ‘खबर’ को सबके राम के नीचे नरेन्द्र मोदी की तस्वीर के साथ छापा है। मैं अमर उजाला का पाठक नहीं हूं। अमूमन पहला पन्ना ही देखता हूं और यही जानता था कि पहला पन्ना पूरा भरा हो या उसपर बहुत थोड़ी जगह हो तो (हिन्दी) अखबारों में दो पहला पन्ना होता है। इसमें हिन्दुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया का पहले पन्ने से पहले का अधपन्ना अलग है। अमूमन पहले पेज पर आधे से ज्यादा विज्ञापन हो तो अखबारों में दो पहले पन्ना बनाने का रिवाज रहा है। अंग्रेजी में वैसा विज्ञापन ही नहीं दिखा। यहां मुद्दे की बात यह है कि अमर उजाला में आज पहले पन्ने पर आधे से कम विज्ञापन है फिर भी पहला पन्ना दो है।
यह अलग बात है कि अखबार का दूसरा वाला पन्ना धार्मिक पर्चा ज्यादा लग रहा है। ऐसे में आज धार्मिक खबरों की राजनीति या संपादन पर नजर डाल लिया जाये। द टेलीग्राफ में आज पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में एक खबर का शीर्षक है, छद्म शंकराचार्य मोदी के पक्ष में बोले। लंबी सी इस खबर में संबंधित शंकराचार्यों के नाम काम, पहचान, परिचय सब हैं और खबर से करीब-करीब स्पष्ट है कि वे चार घोषित और ज्ञात शंकराचार्यों से अलग क्यों हैं। खबर यही है कि जो चार घोषित और ज्ञात शंकराचार्य हैं वे एक तरफ हैं दो नये स्वयंभू शंकराचार्य नरेन्द्र मोदी के समर्थन में सामने आये हैं। खबर अंग्रेजी में है, अनुवाद करने में काफी समय लग जायेगा और आज मेरे पास पैसे वाला अनुवाद है सो मुफ्त वाला रहने देता हूं। लेकिन द टेलीग्राफ की यह खबर महत्वपूर्ण है क्योंकि नवोदय टाइम्स में एक खबर का शीर्षक है, “शंकराचार्यों में कोई मतभेद नहीं”। इसका फ्लैग शीर्षक है, पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्ती ने राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर स्पष्ट किया रुख।
नवोदय टाइम्स की यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है कि अमर उजाला में कल पहले पन्ने पर एक खबर का शीर्षक था कांची के शंकराचार्य विजयेन्द्र ने प्राण प्रतिष्ठा का किया समर्थन। इस क्रम में आज अमर उजाला में दूसरे पहले पन्ने पर एक खबर का शीर्षक है, राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं है कोई दोष। इस खबर का उपशीर्षक है, श्री गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने दिया निर्णय, मंदिर पूरा होने पर स्थापित होगा कलश। इस खबर में सफेद दाढ़ी और बाल वाले एक व्यक्ति की तस्वीर के नीचे लिखा है, 22 जनवरी के बाद 2026 तक नहीं था सर्वोत्तम मुहूर्त। खबर के अनुसार, सभा ने कहा कि देशभर से आये सवालों का 25 बिन्दुओं में समाधान किया गया है। कोई भी धार्मिक विवाद होने पर इसी सभा का निर्णय अंतिम होता है।
आज की खबरों में खास खबर पश्चिम बंगाल में तीन साधुओं की पिटाई भी है। हिन्दुस्तान टाइम्स में यह चार लाइन के शीर्षक और लगभग उतनी ही जगह में 10 लाइन की खबर है। पुरुलिया जिले की यह घटना पुरानी है और साधुओं को बच्चा चोर समझकर पीटा गया था। इस इलाके में बूढ़ी, कई बार अकेली, महिलाओं को डायन कहकर मार देने की घटनाएं वर्षों से होती आ रही हैं। पर साधुओं का मामला अलग है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी शीर्षक में हिन्दू मोंक्स लिखा है। अमर उजाला में यह खबर दो कॉलम से जयादा में है। खबर के साथ अनुराग ठाकुर का बयान भी है, बंगाल में कानून व्यवस्था ध्वस्त : ठाकुर। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर पहले पन्ने पर दो कॉलम में तीन लाइन के शीर्षक के साथ है। खबर के अनुसार पश्चिम बंगाल में साधुओं पर हमला भाजपा और तृणमूल के बीच टकराव का नया मुद्दा है, 12 गिरफतार।
देश के हालात और राजनीति के बीच आज ये खबरें महत्वपूर्ण हैं तो एक और महत्वपूर्ण खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर है। इसके अनुसार जीवन बीमा निगम को आयकर के 25,400 करोड़ रुपये से ज्यादा का रिफंड मिला है। आयकर रिफंड मतलब जो ज्यादा काट लिया गया था या वसूला गया था। अगर आयकर विभाग एलआईसी से आयकर के नाम पर इतना ज्यादा पैसा लेकर वापस कर रहा है तो आप समझ सकते हैं कि आम आदमी और छोटे व्यवसायियों की क्या दशा होगी। अगर एलआईसी से भी ज्यादा पैसे ले लिये जाएं और उसे अपने पैसे वापस लेने के लिए लड़ना-भिड़ना पड़े तो वह काम कब करेगा। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि सरकार जिसे वेतन देती है वह एलआईसी के लोगों से लड़कर अपना और उसका भी समय खराब कर रहा है। अगर एलआईसी के मामले में नियम स्पष्ट नहीं हैं, तरीका साफ नहीं है तो जाहिर है कहीं कुछ बड़ी गड़बड़ है।
देश में लंबे समय से यह प्रचारित किया जाता रहा है कि लोग टैक्स नहीं देते हैं। नोटबंदी कथित काले धन को खत्म करने के लिए हुई थी पर आयकर चोरी के मामले बहुत नहीं मिले। जो मिले वो एलआईसी से भी ज्यादा पैसे ले लिये जाने के हैं। टीडीएस का सिस्टम ही लोगों के पैसे फंसाने वाला है। सब से सरकार का खर्चा नहीं चला और सरकार को खर्च करना था तो जीएसटी का दायरा बढ़ाकर वसूली बढ़ाई गई और हालत यह है कि खबर के अनुसार एलआईसी ने स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया है कि 2765 करोड़ रुपये की आयकर की मांग है और वह आईटी आयुक्त से इसपर दावा करेगा। मुझे लगता है कि एलआईसी और आयकर विभाग के बीच यह स्थिति बननी ही नहीं चाहिये और मांग व देनदारी बिल्कुल स्पष्ट होनी चाहिये। मेरा सवाल है कि एलआईसी जैसी संस्था और आयकर विभाग में विवाद होना ही क्यों चाहिये। दोनों के बीच नियम, अधिकार और कर्तव्य स्पष्ट क्यों नहीं हैं?
दोनों तरफ से कोई अगर जानबूझकर गैर विवादित मुद्दे पर विवाद खड़ा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिये। इसका प्रावधान क्यों नहीं है। आखिर सरकारी अफसर जनता से वेतन लेते हैं उनके अपने अधिकार और समय का महत्व कौन बतायेगा? कहने की जरूरत नहीं है कि लेखा-बही में गड़बड़ी के मामले सरकार में भी हैं। सीएजी ने उसकी रिपोर्ट की थी। फिर संबंधित अफसर पर गाज गिरी और खबर गायब है। ऐसे में टाइम्स ऑफ इंडिया की इस छोटी सी खबर का महत्व समझा जा सकता है।
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