Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

सोनिया गांधी का करोड़ों रुपये का काला धन स्विस बैंक में!

एक स्विस पत्रिका Schweizer Illustrierte की पुरानी रिपोर्ट को आधार माने तो यूपीए अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के अरबों रुपये स्विस बैंक के खाते में जमा है. इस खाते को राजीव गांधी ने खुलवाया था. इस पत्रिका ने तीसरी दुनिया के चौदह ऐसे नेताओं के बारे में जानकारी दी थी, जिनके खाते स्विस बैंकों में थे और उनमें करोड़ों का काला धन जमा था.

रुसी खुफिया एजेंसी ने भी अपने दस्‍तावेजों में लिखा है कि रुस के साथ हुए सौदा में राजीव गांधी को अच्‍छी खासी रकम मिली थी, जिसे उन्‍होंने स्विस बैंके अपने खातों में जमा करा दिया था. पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री एवं वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता राम जेठमलानी भी सोनिया गांधी और उनके परिवार के पास अरबों का काला धन होने का आरोप लगा चुके हैं.

तो क्‍या केंद्र सरकार इसलिए भ्रष्‍टाचार और काले धन के मुद्दे को इसलिए गंभीरता से नहीं ले रही है कि सोनिया गांधी का काला धन स्विस बैंक जमा है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

क्‍या केन्‍द्र सरकार देश को लूटने वालों के नाम इसलिए ही सार्वजनिक नहीं करना चाहती है? क्‍या इसलिए काले धन को देश की सम्‍पत्ति घोषित करने की बजाय सरकार इस पर टैक्‍स वसूलकर इसे जमा करने वालों के पास ही रहने देने की योजना बना रही है? ऐसे कई सवाल हैं जो इन दिनों लोगों के जेहन में उठ रहे हैं.

काला धन देश में वापस लाने के मुद्दे पर कई आंदोलनों से पहले सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सरकार की खिंचाई कर चुकी है. विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम सार्वजनिक किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की जमकर खिंचाई की थी.

Advertisement. Scroll to continue reading.

सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक पूछ लिया था कि आखिर देश को लूटने वालों का नाम सरकार क्‍यों नहीं बताना चाहती है? इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा था. पर सरकार कोई तार्किक जवाब देने की बजाय टालमटोल वाला रवैया अपनाकर बच निकली.

केंद्र सरकार के इस ठुलमुल रवैये एवं काले धन संचयकों के नाम न बताने की अनिच्‍छा के पीछे गांधी परिवार का स्विस खाता हैं. इस खाता को राजीव गांधी ने खुलवाया था. इसमें इतनी रकम जमा है कि कई सालों तक मनरेगा का संचालन किया जा सकता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

यह बात कही थी एक स्विस पत्रिका ने. Schweizer Illustrierte नामक इस पत्रिका ने ( इस पत्रिका का वेब एड्रेस ये है : www.schweizer-illustrierte.ch ) अपने एक पुराने अंक में प्रकाशित एक खोजपरक रिपोर्ट में राजीव गांधी का नाम भी शामिल किया था. पत्रिका ने लिखा था कि तीसरी दुनिया के तेरह नेताओं के साथ राजीव गांधी का खाता भी स्विस बैंक में हैं.

यह कोई मामूली पत्रिका नहीं है. बल्कि यह स्विट्जरलैंड की प्रतिष्ठित तथा मशहूर पत्रिका है. इस पत्रिका की 2 लाख 15 हजार से ज्‍यादा प्रतियां छपती हैं तथा इसके पाठकों की खंख्‍या 9 लाख 25 हजार के आसपास है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके पहले राजीव गांधी पर बोफोर्स में दलाली खाने का आरोप लग चुका है. डा. येवजेनिया एलबर्टस भी अपनी पुस्‍तक ‘The state within a state – The KGB hold on Russia in past and future’ में इस बात का खुलाया किया है कि राजीव गांधी और उनके परिवार को रुस के व्‍यवसायिक सौदों के बदले में लाभ मिले हैं. इस लाभ का एक बड़ा भाग स्विस बैंक में जमा किया गया है.

रुस की जासूसी संस्‍था केजीबी के दस्‍तावेजों में भी राजीव गांधी के स्विस खाते होने की बात है. जिस वक्‍त केजीबी दस्‍तावेजों के अनुसार राजीव गांधी की विधवा सोनिया गांधी अपने अवयस्‍क लड़के (जिस वक्‍त खुलासा किया गया था, उस वक्‍त राहुल गांधी वयस्‍क नहीं थे) के बदले संचालित करती हैं. इस खाते में 2.5 बिलियन स्विस फ्रैंक है, जो करीब 2.2 बिलियन डॉलर के बराबर है. यह 2.2 बिलियन डॉलर का खाता तब भी सक्रिय था, जब राहुल गांधी जून 1998 में वयस्‍क हो गए थे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

अगर इस धन का मूल्‍यांकन भारतीय रुपयों में किया जाए तो उसकी कीमत लगभग 10, 000 करोड़ रुपये होती है. इस रिपोर्ट को आए काफी समय हो चुका है, फिर भी गांधी परिवार ने कभी इस रिपोर्ट का औपचारिक रूप से खंडन नहीं किया और ना ही इसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की बात कही.

आपको जानकारी दे दें कि स्विस बैंक अपने यहां जमा धनराशि का निवेश करता है, जिससे जमाकर्ता की राशि बढ़ती रहती है. अगर केजीबी के दस्‍तावेजों के आधार पर गांधी परिवार के पास मौजूद धन को अमेरिकी शेयर बाजार में लगाया गया होगा तो यह रकम लगभग 12,71 बिलियन डॉलर यानी लगभग 48, 365 करोड़ रुपये हो चुका होगा. यदि इसे लंबी अवधि के शेयरों में निवेश किया गया होगा तो यह राशि लगभग 11. 21 बिलियन डॉलर होगी जो वर्तमान में लगभग 50, 355 करोड़ रुपये हो चुकी होगी.

Advertisement. Scroll to continue reading.

साल 2008 में आए वैश्विक आर्थिक मंदी के पहले यह राशि लगभग 18.66 बिलियन डॉलर यानी 83 हजार 700 करोड़ के आसपास हो चुकी होगी. वर्तमान स्थिति में गांधी परिवार के पास हर हाल में यह काला धन 45,000 करोड़ से लेकर 84, 000 करोड़ के बीच होगा. चर्चा है कि सकरार के पास ऐसे पचास लोगों की सूची आ चुकी है, जिनके पास टैक्‍स हैवेन देशों में बैंक एकाउंट हैं.

पर सरकार ने अब तक मात्र 26 लोगों के नाम ही अदालत को सौंपे हैं. एक गैर सरकारी अनुमान के अनुसार 1948 से 2008 तक भारत अवैध वित्तीय प्रवाह (गैरकानूनी पूंजी पलायन) के चलते कुल 213 मिलियन डालर की राशि गंवा चुका है. भारत की वर्तमान कुल अवैध वित्तीय प्रवाह की वर्तमान कीमत कम से कम 462 बिलियन डालर के आसपास आंकी गई है, जो लगभग 20 लाख करोड़ के बराबर है, यानी भारत का इतना काला धन दूसरे देशों में जमा है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

यही कारण बताया जा रहा है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से बराबर लताड़ खाने और जनता से काला धन लाने का वादा करने के बाद भी देश को लूटने वाले का नाम उजागर नहीं कर रही है.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement