टीवी के एक संपादक ने कायम किया इतिहास, लाइव प्रसारण के दौरान नेताओं के पैर छुए, देखें वीडियो

जी बिहार के संपादक स्वयं प्रकाश : पत्रकारिता के पतित पुरुष

जी ग्रुप के रीजनल न्यूज चैनल ‘जी बिहार’ के संपादक हैं स्वयं प्रकाश. इन्होंने हाल में ही चैनल के संपादक पद को सुशोभित किया है. इन्होंने पिछले दिनों अपने रीजनल चैनल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के लाइव प्रसारण में बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील मोदी का पैर छूकर आशीर्वाद लिया.

देखते ही देखते टेलीविजन से मठाधीश संपादकों की एक पूरी पीढ़ी आउट हो गयी…

Yashwant Singh : देखते ही देखते टेलीविजन से मठाधीश संपादकों की एक पूरी पीढ़ी आउट हो गयी… अजित अंजुम, विनोद कापड़ी, आशुतोष, शैलेश, नक़वी, एनके सिंह, सतीश के सिंह, शाज़ी ज़मां, राहुल देव… जोड़ते-गिनते जाइए। इनमें से कुछ का कभी ये जलवा था कि दूसरों का करियर बर्बाद आबाद करने की सुपारी लिया दिया करते थे। आज खुद बेआबरू हुए बैठे हैं। समय बड़ा बेरहम होता है भाआआई….

भड़ास संपादक यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.

अमर उजाला के संपादक के खिलाफ बुलंदशहर में एफआईआर दर्ज

बुलंदशहर नगर कोतवाली में अमर उजाला के संपादक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। सिंचाई विभाग के अवर अभियंता की तहरीर पर जिला प्रशासन की तरफ से यह एफआईआर दर्ज कराई गई। संपादक के खिलाफ आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर यह एफआईआर दर्ज कराई गई है।

‘प्रतिनिधि’ न्यूज चैनल में सेलरी के लिए बवाल, एडिटर इन चीफ घिरे, पुलिस आई (देखें वीडियो)

‘प्रतिनिधि’ न्यूज चैनल वैसे तो दिन भर उपदेश देता रहता है, नैतिकता पिलाता रहता है, सिस्टम ठीक करने के लिए कमर कसे दिखता रहता है लेकिन बात जब खुद के चैनल के भीतर शोषण की आती है तो यहां भी हाल बाकियों जैसा ही दिखता है. खबर है कि इस चैनल के इंप्लाई कई महीने से बिना सेलरी काम कर रहे हैं. एक रोज उनका धैर्य जवाब दे गया. कहा जा रहा है कि चैनल के एडिटर इन चीफ जब बिना सैलरी दिए सामान लेकर जा रहे थे तो कर्मचारियों ने उन्हें रोक लिया और खुद के बकाया पैसे की बात की.

संपादक बदलते ही नेता लोग अपने मोबाइल से उसका नंबर भी डिलीट मार देते हैं!

Nirala Bidesia : -ए रायजी. कहां हैं. तनि लगाइये फलाना अखबार के संपादकजी को फोन. बहुत दिन हो गया बतियाये हुए.

-सर, उ अब संपादक नहीं हैं न.

-सब बकबांदर हमरे माथे पड़े हैं.बताये काहे नहीं. कौन बना है नया.

छुट्टी मांगने पर उस हृदयहीन संपादक ने कहा- ‘किसी के मरने जीने से मुझे कोई मतलब नहीं है’

Jaleshwar Upadhyay : निष्ठुर प्रबंधन और बेशर्म संपादकों के कारण एचटी बिल्डिंग के सामने धरनारत कर्मचारी की मौत पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। मैंने अपनी जिंदगी में ऐसे बेगैरत और हृदयहीन संपादक देखे हैं कि नाम याद कर घिन आती है। नाम नहीं लूंगा, लेकिन जब मेरी पत्नी मृत्युशैया पर थीं तो मैंने अपने संपादक से छुट्टी मांगी।