-नवेद शिकोह-
मुसीबत में लखनऊ के पत्रकार, फिर भी आपस में तकरार… केंद्र सरकार ने अखबारों पर तलवार चलायी तो हजारों पत्रकारों की नौकरी पर बन आयी। पत्रकारों ने मदद की गुहार लगाई तो स्वतंत्र पत्रकार की प्रेस मान्यता वाले दिग्गज / रिटायर्ड / प्रभावशाली पत्रकारों ने कहा कि हम इमानदारी की तलवार को रोकने की कोशिश क्यों करें? अच्छा है, फर्जी अखबार और उनसे जुड़े फर्जी पत्रकार खत्म हों। इसी बीच यूपी की प्रदेश सरकार ने बड़े पत्रकारों से बड़े-बड़े सरकारी मकान खाली कराने का डंडा चलाया। बड़ों ने एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए छोटों का समर्थन जुटाने का प्रयास किया। छोटों को बदला लेने का मौका मिल गया। बोले- मकान खाली करने का डंडा इमानदारी का डंडा है। इसे रोकने में हम क्यों साथ दें। अच्छा है- करोड़ों के निजी मकानों के मालिकों को सरकारी मकानों से बाहर करना ईमानदारी का फैसला है।