Deepankar Patel : लगता है नवभारत टाइम्स भी दैनिक भास्कर की श्रेणी में आ गया है… ऑडियंस इंगेजमेंट के मामले में ये संस्थान टॉप पर आते हैं, और देश भर में पाखण्ड फैलाते हैं। इस देश की मीडिया संविधान की मूल भावना को मूली की तरह समझती है. संविधान की मूल भावना इनसे हजम नहीं होती गंध मचाते रहते हैं. साइंटिफिक टेंपर को विकसित करना फंडामेंटल ड्यूटीज की श्रेणी में आता है।
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नवभारत टाइम्स प्रबंधन, मधुसूदन आनंद और दिलबर गोठी बताएं अभिषेक श्रीवास्तव की वो स्टोरी कहां गई?
Abhishek Srivastava : ग़ाजि़याबाद-दिल्ली की सीमा से सटी एक भूषण स्टील कंपनी है। अगर सामूहिक याददाश्त शेष है, तो बताना चाहूंगा कि बरसों पहले वहां लोहे के स्क्रेप में रॉकेट लॉन्चर का विस्फोट हुआ था जिसमें कुछ मज़दूर मौके पर मारे गए थे। कुछ गायब हो गए थे। मैं उस वक्त नवभारत टाइम्स में था। मैंने संपादक मधुसूदन आनंद की अनुमति से छानबीन की तो पाया कि कुछ घायल मज़दूरों को पुलिस के आने से पहले मौके पर ही ब्वायलर में डालकर दफ़न कर दिया गया था। ऐसे लापता मज़दूरों के परिजनों के हलफ़नामे समेत कई सबूतों के साथ मैंने स्टोरी फाइल की।
नवभारत टाइम्स ने सांसद पप्पू यादव की हत्या करा दी!
हत्या हुई आरजेडी नेता पप्पू यादव की लेकिन फोटो लगा कर छाप दिया सांसद पप्पू यादव की… धन्य है नवभारत टाइम्स के डिजिटल सेक्शन वाले बालकों… जब इतने बड़े ब्रांड में इस लेवल की गलती हो जा रही है तो दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर के डिजिटल वाले तो यकीनन गलती करने के लिए ही पैदा हुए होंगे…