गुजरात फाइल्‍स : अफसरों की जुबानी-मोदी अमि‍त शाह की काली कहानी

कुछ सालों पहले तक उत्तर प्रदेश पूरे देश का नेतृत्व किया करता था। लेकिन लगता है कि देश को सात-सात प्रधानमंत्री देने वाले इस सूबे की राजनीति अब बंजर हो गई है। इसकी जमीन अब नेता नहीं पिछलग्गू पैदा कर रही है। ऐसे में सूबे को नेता आयातित करने पड़ रहे हैं। इस कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर उनके शागिर्द अमित शाह और स्मृति ईरानी तक की लंबी फेहरिस्त है। स्तरीय नेतृत्व हो तो एकबारगी कोई बात नहीं है। लेकिन चीज आयातित हो और वह भी खोटा। तो सोचना जरूर पड़ता है। यहां तो तड़ीपार से लेकर दंगों के सरदार और फर्जी डिग्रीधारी सूबे को रौंद रहे हैं। इस नये नेतृत्व की हकीकत क्या है। इसकी कुछ बानगी पत्रकार राना अयूब की गुजरात दंगों और दूसरे गैर कानूनी कामों पर खोजी पुस्तक ‘गुजरात फाइल्स’ में मौजूद है। 

GUJARAT FILES पढ़ते हुए मन में कुछ सवाल पैदा हो रहे हैं…

Anil Pandey : GUJARAT FILES पढ़ते हुए मन में कुछ सवाल पैदा हो रहे हैं… पत्रकार राणा अयूब की किताब GUJARAT FILES पढ़ते हुए मन में कुछ सवाल पैदा हो रहे हैं। पहला यह कि तकरीबन पांच साल पहले गुजरात दंगों को लेकर किया गया स्टिंग मोदी सरकार के दो साल पूरे होने पर किताब कि शक्ल में क्यों प्रकाशित किया गया? दूसरा, इस किताब के प्रकाशन और प्रचार प्रसार पर इतना पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है और यह पैसा कहां से आ रहा है? इस किताब को किसी प्रकाशक ने नहीं, खुद राणा अयूब ने प्रकाशित किया है।

इस बेखौफ और जांबाज महिला पत्रकार राणा अय्यूब को सलाम

Shikha :  एक बेख़ौफ़ लड़की, एक जांबाज़ पत्रकार, नाम राणा अय्यूब. 26 साल की तहलका मैगज़ीन की पत्रकार साल 2010 में तहकीकात करने एक अंडरकवर रिपोर्टर के रूप में गुजरात पहुँचती हैl अपनी तहकीकात के दौरान नाम बदलकर मैथिली त्यागी रखती है और कई स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देती है जो नीचे के छुटभैय्ये अफसर-नेताओं से लेकर ऊपर मोदी-अमित शाह तक के दर्जे के नेताओं की दंगों से लेकर अनेक फर्जी एनकाउंटरों में अपराधी-हत्यारी भूमिकाओं का पर्दाफ़ाश करती हैl