प.बंगाल में ममता जी जिस प्रकार संविधान का चीर-हरण कर लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही हैं मुझे अभी से बहुत बड़ी संवैधानिक अस्थिरता की आहट सुनाई दे रही है…जो देश को अस्थिर करने के अलावा आम भारतीय मुसलमान को भी संदेह के घेरे में खड़ा करने की बहुत बड़ी साजिश है।इससे पहले की प.बंगाल दूसरा कश्मीर बने, जलता पंजाब जैसे हालात पैदा कर ममता जी प.बंगाल के आयातित बंगला देशी घुसपैठियों के कंधे पर बंदूक रख कर दिल्ली पर फायर झोंक दें और देश से बगावत कर खुद को प.बंगाल का स्वंयम्भू “खुद मुख्तयार” घोषित कर दें देश के प्रगतिशील मुस्लिम बुद्धिजीवी तबके को इस विषय में अभी से गम्भीरता पूर्वक विचार करना होगा।यहां मैँ सिर्फ”मुस्लिम बुद्धिजीवी” शब्द इसलिये प्रयोग कर रहा हूँ कि जब-जब संवैधानिक स्तर पर कोई कुठाराघात हुआ या कश्मीर से लेकर दिल्ली तक “पाकिस्तान-जिंदाबाद”के नारे लगे हैं, तब-तब यही तबका “सुडो सेक्युलर सिंडिकेट” और “टुकड़े गैंग” के सहयोग से मानवाधिकार के कवच की आड़ में देश को कमज़ोर करने की मंशा लिए सबसे पहले आवाज़ बुलंद करता है जावेद अख्तर,शबाना आज़मी जैसे वर्तमान में कई ज्वलंत उदाहरण हैं।शायद मेरा ये लेख स्वयंम्भू मुस्लिम बुद्धिजीवियों की आंख पर बंधी लेलिन और मार्क्सवाद की काली पट्टी को खोल दे। ख़ैर!अब सवाल ये उठता है कि चुनाव लगभग अंतिम चरण में हैं और मात्र एक चरण का चुनाव शेष है फिर अचानक इस विचार की उत्त्पत्ति का क्या अभिप्राय है?
कहावत हैं कि- “आचरण बता देता है चरण कहाँ जा रहे हैं”…. प.बंगाल के 90% से अधिक मुसलमानों की सामाजिक, शैक्षिक और माली हालत क्या है, ये पूरा देश जानता है,आरएसएस और बीजेपी का हौवा दिखा कर उनको पूरी तरह देश की मुख्य धारा से काटने और देश के बहुसंख्यक समाज के दुश्मन के तौर पर प्रोजेक्ट करने की साज़िश ममता बनर्जी कई साल से रच रही हैं,ताकि अगर प.बंगाल में कोई संवैधानिक अव्यवस्था ममता बनर्जी उत्पन्न करती हैं तो इसका बहुसंख्यक समाज के बीच ये संदेश जाए कि मुसलमान इसका कारण हैं।देश का मुसलमान पहले भी नेहरू और जिन्ना की वर्चस्व की लड़ाई का शिकार हो चुका है और देश के बटवारे का कलंक अपने माथे आज भी झेल रहा है।
इसी संदर्भ में मैं आपको एक हक़ीक़त से रूबरू करा दूँ जो देश का आम नागरिक नही जानता है!अभी पिछले दिनों चुनाव घोषित होने से कुछ दिन पहले पंजाब के भटिंडा ज़िले में रिश्तेदारी के एक शादी समारोह में जाना हुया। दुल्हन पक्ष के कई सारे रिश्तेदार शादी में शिरकत करने आये थे औऱ ज़्यादातर प.बंगाल से ताल्लुक रखते थे।खास बात ये है कि उनमें से कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रोफ़ेसर और राइटर्स या यूं कहलें कि सुपर बुद्धिजीवी थे और कुछ मेहमान कोलकाता में रियल स्टेट के बड़े कारोबारी भी थे।
यूंही बैठे-बैठे सियासत पर चर्चा शुरू हो गयी।एक प्रोफ़ेसर साहब जो कोलकाता की बड़ी यूनिवर्सिटी में इंग्लिश विभाग में डीन हैं और कई बार इंग्लिश लिटरेचर के ताल्लुक से विदेश की कई यूनिवर्सिटीज का दौरा कर चुके हैं, उनका वक्तव्य सुन कर मैँ अचंभित और अंदर तक हिल गया उनका कहना था… “डॉ. साहब हमारे लिए संविधान,देश,मंत्री,मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री सब ममता दीदी हैं,दीदी ने जिस तरह से वहां के मुसलमानों को सुरक्षा दी है वो पूरे देश मे कहीं नही मिल सकती है”…इस स्तर के बुद्धिजीवी के विचार सुन कर मुझे अनायास ही पूछने पर विवश होना पड़ा… कि क्या दीदी संविधान और संवैधानिक संस्थाओं से ऊपर हैं???अचानक समूह में बैठे एक बड़े बिल्डर जो ममता दीदी के भतीजे और उनके गुर्गों की बदौलत रियल स्टेट के बड़े कारोबारी हैं,बोल पड़े…”डॉ. साहब आप UP में रहते हैं आपको जानकारी नही हैं मैं अंदर की बात बताता हूँ आपको…
ममता दीदी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को आगे बड़ा कर “मानव तस्करी” का प्रोफेशनल अंदाज़ में जितना बड़ा काम प.बंगाल में डंके की चोट पर कर रही हैं वोही कारोबार ममता दीदी की चुनावी जीत की रीढ़ की हड्डी है …मेरी उक्सुक्ता में इज़ाफ़ा हुआ… मैंने पूछा किस तरह होता है ये कारोबार?
दरअसल ह्यूमन ट्रैफिकिंग तो गम्भीर अपराध है, उसका “प्रोफेशनलाइज़ेशन” वो भी वैध तरीके से? ये बात तो कहीं से कहीं तक हज़म होने लायक ही नही थी मेरे लिये! उनका सीधा जवाब था… दीदी ने प.बंगाल में मानव तस्करों का बड़ा सिंडिकेट मैनेज कर रखा है और बड़े-बड़े माफिया इस तस्करी के लिये अपनी खुले आम कंपनियां चला रहे हैं जिनको दीदी का पूरा संरक्षण प्राप्त है।बांग्लादेश से 16 से लेकर 18 वर्ष से ऊपर के मुसलमानों को प.बंगाल लाना, उनका आधार,वोटर ID कार्ड बनवाकर TMC पार्टी का कार्यकर्ता बनाने का धंधा ख़ूब फल फूल रहा है और करोड़ो-अरबो रुपये की खरीद फरोख्त हो रही है।ये लोग जिन कम्पनियों के माध्य्म से बांग्लादेश से प.बंगाल आते हैं वो कंपनियां इनको रोज़गार या दैनिक भत्ता मोहय्या कराती हैं और उसके बदले में सरकार से पैसा लेती है।”मानव-तस्करी” के इस खेल में कई सफेदपोश लोग शामिल हैं जिनको दीदी का पूरा संरक्षण प्राप्त है।
आपको जानकर हैरत होगी कि एक-एक कंपनी में 10-10 हज़ार लोग बिना किसी काम के सिर्फ दैनिक भत्ते की बुनियाद पर भारत के नागरिक बन बैठे हैं।परिचर्चा में बिल्डर साहब आगे बढे फ़क़र से बताते हैं कि हफ्ते में एक बार इन माफियाओं की दीदी के साथ गोपनीय मीटिंग होती है और ये लोग अपनी रिपोर्ट पेश करते हैं।कभी-कभी दीदी के सामने नंबर बनाने के खेल में गैंग वार हो जाना आम बात है और बड़े से बड़ा माफिया भी दीदी के सामने चूं नही कर सकता जो दीदी का आदेश होगा उसको मानना ही है,कई बार तो दीदी इन गैंग्स के बीच समझौता भी करा देती हैं।इन गैंग्स के संचालक 100% मुस्लिम हैं जिनका सामने से कपड़े के आयात-निर्यात,चमड़े का बड़ा कारोबार है जिसकी जड़े पंजाब,हरियाणा, दिल्ली और उत्तर-प्रदेश आदि राज्यों में फैली हैं,जिसकी आड़ में दीदी के लिए ये मानव तस्करी कर बंगलादेशी मुसलमानों को ग़ुलाम बना कर रखते हैं और चुनाव के वक़्त अराजकता,बूथ कैप्चरिंग,आगजनी,विपक्षी कार्यकर्ताओ की पिटाई और हत्या तक इन्ही आयातित लोगों से करवाई जाती है जो दीदी के “कुशल मार्गदर्शन” में होता है।इस अराजकता की चर्चा और अधिक करना इसलिये आवश्यक नही समझता कि माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी से लेकर माननीय श्री अमित भाई शाह तक कि रैलियों में इस चुनाव में क्या-क्या अराजकता की गई है पूरा देश देख रहा है और जानता भी है।यहां तक कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्य्क्ष श्री अमित भाई शाह को ये स्टेटमेंट देना पड़ा कि अगर CRPF की सिक्योरिटी नही होती तो कोई भी बड़ी से बड़ी अनहोनी हो सकती थी।
जबकि हक़ीक़त ये है कि प.बंगाल का आम मुसलमान इन आयातित मुसलमानों से बेहद परेशान है और उनको बिल्कुल पसंद नही करता क्योंकि उनके पुश्तैनी रोज़गार पर इन लोगों ने कब्ज़ा जमा रखा है।हमें याद रखना होगा कि मीर-जाफर से लेकर नवाब सिराजउद्ददौला तक बंगाल की मिट्टी में जन्मे हैं जिनकी ज़ाती मफाद की मानसिकता ने सदियों तक हमे ग़ुलाम बना कर रखा।यानी ये तो तय है कि दीदी के इरादे नेक नही हैं।कल ही प्रधानमंत्री जी का एक निजी चैनल को दिया गया इंटरव्यू सुन रहा था…मोदी जी ने साफ कर दिया कि जनता ने मुझे मेंडेड दिया मैं संवैधानिक तौर से देश का प्रधानमंत्री हूँ,ममता जी आप मुझे अपना नेता मत मानिए ये आपका निजी मामला है मगर संवैधानिक दृष्टि से आपको मुझे प्रधानमंत्री स्वीकार करना होगा…पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को आप प्रधानमंत्री मान रही हैं और देश के प्रधानमंत्री के लिये बोल रही हैं कि हमारा प्रधानमंत्री 23 मई के बाद जो होगा उसे स्वीकार करूंगी।विदित रहे कि ममता द्वारा CBI टीम को अपने गुर्गों से गिरफ्तार करवाना भी देश की पहली घटना है।दुस्साहस कि सारी हदें पार कर चुकी ममता देश को एक बार फिर 1947 के बटवारें के नरसंहार में झोंकने पर आतुर हैं।और इसका सीधा इल्ज़ाम मुसलमानों के सर मढ़ देने का धूर्त खेल खेलने पर आमादा हैं।ख़ुदा न करे अगर प.बंगाल में कोई बड़ी असंवैधानिक घटना हुई तो उसका असर देश के अन्य राज्यो पर भी पड़ेगा और निर्दोष मुसलमान हादसों का शिकार होगा।उस वक़्त परिस्थिति बेहद गंभीर होगी क्योंकि कोई भी राष्ट्रवादी नागरिक अब मुल्क़ में असंवैधानिक कृत्य होते या आज़ादी के बाद नबाब हैदराबाद की करतूत की पुनरावृत्ति होते देखना नही चाहेगा!उस स्तिथि में 1984 जैसे हालात कांग्रेस ने जब मुल्क़ में पैदा किये और सिख समुदाय के साथ ज़ुल्म हुया ममता वही हालात अब देश भर के मुस्लिम समुदाय के साथ पैदा करवाने पर आमादा हैं।और फिर देश के प्रधानमंत्री पर हिंदूवादी,मुसलमान विरोधी होने का आरोप मढ़ कर कर प्रोपगंडा करने की जुगत लगाए बैठीं हैं।
जो सुडो सेक्युलर गैंग चाहें वो कांग्रेस, सपा, बसपा, RJD आदि ममता का सपोर्ट कर रहें हैं और कोलकाता में एक बड़ी रैली में सब एक साथ एक मंच पर नज़र भी आये हैं, मैं ये नही कहता कि ये सब राष्ट्रद्रोही हैं मगर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ममता का सपोर्ट करना पूरे देश के सामने मुस्लिम समुदाय को टारगेट पर लाने जैसा है या तो ये पार्टियां ममता की चाल नही भाप पा रही हैं या मोदी फोबिया से इतनी डरी हुई हैं कि इनके पास मुसलमानों को टारगेट बनवाने के अलावा कोई विकल्प नही बचा है। इस भयंकर परिस्थिति में मुसलमानों को खुद निर्णय करना होगा क्योंकि मंच से बड़े बड़े दावे और वादे करने वाले अपने बिलों में छुपते नज़र आएंगे।
मेरा व्यक्तिगत मानना है कि 23 मई के बाद केंद्र में मोदी जी की हुक़ूमत बनने के साथ तत्काल प्रभाव से प.बंगाल को केंद्र शासित राज्य घोषित किया जाए…और प्रदेश सरकार के सारे अधिकार समाप्त कर दिए जाएं। अन्यथा बंगलादेशी घुसपैठियों और ISI की मदद से ममता बनर्जी किसी भी बड़े से बड़े दुस्साहस को अंजाम देने का मन बनाये बैठी हैं। एक तीर से ममता कई निशाने लगाने के मूड में हैं…हमें याद रखना चाहिए कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है।वैश्विक स्तर पर मोदी जी की ख्याति के फलस्वरूप चौतरफा दवाब के बीच अभिनंदन जी को बिना शर्त रिहा करने का कड़वा घूंट इतनी आसानी से पाकिस्तान पीने वाला नही है…एक प्रगतिशील मुस्लिम रिफॉर्ममिस्ट की नज़र से देखने पर मुझे ये अंदेशा है कि ममता देश विरोधी ताकतों की शय पर बग़ावत करेंगी…यदि ऐसा हुआ तो पूरे देश का मुसलमान टारगेट पर आ जयेगा और देश को साम्प्रदयिक दंगो की आग में ममता झोंक देंगी जोकि पाकिस्तान चाहता है…ग्रह युद्ध जैसे हालात!
मुस्लिम समाज में मोदी जी की बढ़ती लोकप्रियता और स्वीकार्यता से कांग्रेस से ज़्यादा पाकिस्तान और देश द्रोही ताकतें विचलित हैं ये बात हमे समझनी होगी…दरसअल पाकिस्तान की हैसियत हमसे सीधी लड़ाई लड़ने की नही है,इसलिये ममता का कन्धा इस्तेमाल कर सकता है। इसलिये देश के प्रगतिशील मुस्लिम रिफॉर्मिस्ट और राष्ट्रवादी चिंतक की हैसियत से मेरा मानना है कि परिस्थिति गंभीर है… नरेंद्र मोदी जी के दो बार फोन करने के बावजूद ममता जी का बात न करना बहुत बड़े खतरे की घण्टी है…आखिर किस की शय पर ममता इतना बड़ा दुस्साहस कर बैठीं… चिंतन ज़रूर करिये…क्या देश विरोधी ताकतों को न चाहते हुए भी मुसलमान प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सपोर्ट कर रहा है?
डॉ. सयैद एहतेशाम-उल-हुदा
प्रगतिशील मुस्लिम सोशल रिफॉर्मिस्ट
प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक एवं वक्ता
भारतीय जनता पार्टी
जय-हिंद
Suhel Akhtar
May 18, 2019 at 8:07 pm
डॉ. साहब आपने मानव तस्करी वाली यह बात अपने बाप अमित शाह को बताया कि नहीं? जल्दी कीजिए अंतिम चरण का चुनाव अभी बाकी है । शायद इससे आंखों में सूअर के बाल वाले अमित शाह को कुछ मदद मिल जाए और इसके एवज में आपको दलाली का कुछ बड़ा इनाम भी मिल जाए ।