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दिल्ली

अगर उसे आत्महत्या करना होता तो बार बार जान बचाने की गुहार क्यों लगाता?

जिस शख्स ने आत्महत्या ना करने का संदेश देती हुई खबरें लिखीं हो वो कैसे आत्महत्या कर सकता है?

Sunil Maurya : वो मरना नहीं, जान बचाना चाहता था.. तो तरुण की मौत आत्महत्या कैसे? तरुण जीना चाहता था। वो मरने से डरता था। डर था तो नौकरी जाने का… सही से इलाज नहीं मिलने से मौत हो जाने का…। ऐसे में जो शख्स मरने से डर रहा हो, परेशान होकर हत्या की आशंका जता रहा हो… वो अचानक आत्महत्या कैसे कर सकता है?

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अभी हाल में तरूण ने आत्महत्या ना करने को लेकर लोगों को जागरूक करते हुए खबर लिखी थी.. उसे फेसबुक पर शेयर भी की थी.. लेकिन इसी बीच मौत की खबर आती है… तमाम मीडिया… सोशल मीडिया पर खबर आती है.. आत्महत्या करने की… मुझे भी यही खबर मिली… लेकिन इनवेस्टिगेशन में मौत सिर्फ मौत होती है… ये हत्या या आत्महत्या है.. या कुछ और..पूरी जांच के बाद ही इसकी पुष्टि होती है।

आत्महत्या का मतलब… जीने की चाहत छोड़ देना है.. लेकिन तरुण हर वक्त… जब भी किसी से फोन पर बात की.. तो हमेशा मरने से डरने की बात कही…

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उसने मौत से ठीक कुछ घंटे पहले एक दोस्त से बात की थी…उससे मैंने बात की… उस दोस्त ने बताया कि फोन पर बात करते हुए तरूण काफी डरा हुआ था.. कह रहा था कि अस्पताल वाले उसे कहीं ले जा रहे हैं.. पता नहीं उसके साथ क्या करेंगे..

तरुण ने ये भी कहा था कि.. उसे कहीं ऐसी जगह ले जाया जा रहा है जिसके बारे में वो नहीं समझ पा रहा है.. इसलिए अपने फोन से गूगल लोकेशन भेजकर जगह की जानकारी मांगी थी… दोस्त ने लोकेशन देखी तो वो एम्स ही थी.. ये जानने के बाद भी तरूण को भरोसा नहीं था कि वो एम्स में ही है… वो डरा हुआ था.. ये भी कह रहा था कि.. कोई उसे बचा लो… यानी वो डरा था… मौत से.. जीना चाहता था..इसके बाद ही अचानक फोन कट गया और फिर बंद भी हो गया।

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ये जानने के बाद आगे की जानकारी के लिए एम्स में पहुंचे कुछ लोगों से बात की। तब पता चला कि जिस जगह पर तरुण को ले जाया गया था वहां से वो वॉशरूम जाने की बात कहकर दूसरी तरफ चला गया और जाली वाली खिड़की को खोलकर बाहर निकला….

अब सारा मामला इस आखिरी लाइन से जुड़ा है… दरअसल, खिड़की खोल तरुण क्या आत्महत्या करना चाहता था? अगर आत्महत्या करना चाहता तो जान बचाने की बार बार गुहार क्यों लगाता?

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जिसके मन में हमेशा मौत का डर था.. वो मौत से बचना चाहेगा…या आत्महत्या? इसलिए इनवेस्टिगेशन के मुताबिक.. तरुण ने आत्महत्या नहीं की होगी.. क्योंकि इसकी आशंका बहुत ही कम है.. हां, ये जरूर है कि तरुण खिड़की से बाहर निकलकर जान बचाकर भागना चाहता था.. लेकिन उसे नहीं पता था कि वो.. किस मंजिल पर है.. वो चौथी मंजिल पर था.. और फिर खुद को बचा नहीं सका। और फिर मौत ने दस्तक दे दी।

फिर भी इस मौत को मीडिया और सोशल मीडिया में कितनी ही आसानी से आत्महत्या कह दिया गया… यानी हमने पहले ही निष्कर्ष निकाल दिया। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए..

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अब बात आती है कि.. तरुण को क्यों लगता था कि उसकी जान चली जाएगी… इस सवाल के पीछे कई वजहें हैं..

कुछ महीन पहले ही उसकी ब्रेन सर्जरी हुई थी। उसी समय, जिस दैनिक अखबार में नौकरी करते थे.. वहां से नौकरी जाने का खतरा था…फिर किसी तरह नौकरी बची थी… अप्रैल में ही बेटी हुई.. परिवार में खुशी आ गई.. लेकिन कुछ समय बाद ही नौकरी फिर से संकट में आ गई। रिजाइन ले लिया गया…किसी तरह नौकरी बची तो प्रेशर में काम कराया गया..परिवार में दो छोटे बच्चे.. एक तो सिर्फ ढाई महीने की बेटी… ऐसे में नौकरी जाने का खतरा और फिर दबाव… रोज रोज का.. वो परेशान होने लगा.. ऐसे में कोरोना पॉजिटिव होना और फिर इलाज में लापरवाही… शिकायत करने पर कुछ लोग और ज्यादा परेशान करने लगे… वहीं अखबार ने साथ देने के बजाय अस्पताल से ही कोरोना से जुड़ी खबर देने का दबाव बनाया. .. ऐसे में ब्रेन सर्जरी से उबरा ये शख्स डर गया… परिवार कैसे चलाएगा… दोनों बच्चों का क्या होगा? वो डरता गया… और उसे कुछ लोग डराते रहे… आखिर में जान बचाने निकला तो.. जान ही चली गई।

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तो क्या जान बचाने निकले शख्स की मौत को..आत्महत्या कहना सही है? आप खुद तय करिए…

इस इनवेस्टिगेशन से पता चलता है कि.. तरुण की मौत… आत्महत्या तो नहीं.. लेकिन गैर इरादतन हत्या का केस जरूर है। अब गैर इरादतन हत्या के जिम्मेदार कौन कौन हैं? ये पता लगाने की जरूरत है।

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खोजी पत्रकार सुनील मौर्य की एफबी वॉल से.

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