बहुत ही दुखद और स्तब्धकारी घटना की जानकारी मिल रही है. दिल्ली स्थित एम्स AIIMS से खबर आ रही है कि इस प्रतिष्ठित अस्पताल की चौथी मंजलि से एक पत्रकार सुसाइड के मकसद से कूद गया. पत्रकार का नाम तरुण सिसोदिया बताया जा रहा है. ये दैनिक भास्कर के दिल्ली आफिस में बतौर रिपोर्टर कार्यरत थे.
तरुण सिसोदिया की उम्र 34 साल बताई जा रही है. तरुण जब एम्स की चौथी मंजिल से कूदे तो बुरी तरह घायल हो गए. उन्हें पूरे शरीर में कई जगह चोट लगी, फ्रैक्चर हुए. उनका इलाज शुरू किया गया. वे आईसीयू में हैं.
तरुण सिसोदिया दैनिक भास्कर से पहले टाइम्स ग्रुप के इवनिंगर अखबार सांध्य टाइम्स में काम करते थे. वे वर्तमान में दैनिक भास्कर में बतौर रिपोर्टर कार्यरत थे. तरुण सिसोदिया के एम्स की चौथी मंजिल से कूदने की जानकारी मिलते ही उनके परिचित हैरान रह गए. किसी को ये आशंका न थी कि कोरोना पीड़ित यह पत्रकार हताशा में ऐसा कदम उठा सकता है.
उधर कहा जा रहा है कि तरुण दोहरे डिप्रेशन में आ गए थे. उन्हें कोरोना तो हुआ ही, दैनिक भास्कर से छंटनी की आशंका थी. दैनिक भास्कर प्रबंधन तेजी से अपने कर्मियों की नौकरियां ले रहा है. तरुण सिसोदिया का भी नंबर आने वाला था. वह इन पूरे हालात से बेहद घबड़ा गए और तनाव व डिप्रेशन की हद पार कर गए. तरुण को हालांकि नौकरी से अभी निकाला नहीं गया था, लेकिन उसे लग रहा था कि शायद निकाल देंगे. इसी टेंशन में शायद उसने सुसाइड के लिए छत से कूदने जैसा कदम उठाया है.
तरुण सिसोदिया के फेसबुक प्रोफाइल से पता चलता है कि वे शादीशुदा हैं. उनकी एक छोटी-सी बेटी भी है.
तरुण सिसोदिया के जान देने की कोशिश के घटनाक्रम पर भड़ास एडिटर फेसबुक पर लिखते हैं-
‘यार इतना भी क्या टेंशन लेना कि जान देने की सोचने की नौबत आ जाए. जीवन दरअसल चुनौतियों का ही दूसरा नाम है. इंसान कितना मजबूत हुआ करता था कि लंबी अंतहीन समुद्री लहरों के साथ दिनों महीनों सालों गुजारते हुए वह नया देश, नई जगह की खोज पर निकल जाता. बचने की कहीं कोई उम्मीद न होती लेकिन मजबूत मनोबल के दम पर वह सफल हो जाता. जाहिर है, इस प्रक्रिया में बहुत सारे लोगों की जान भी गई लेकिन किसी ने जान दी नहीं. जान देना तो यह मान लेना है कि अब कुछ नहीं हो सकता, अब परेशानियां नहीं झेलनीं, अब कोई रास्ता नहीं, अब जीकर क्या करेंगे… ऐसा मानसिकता में आ जाना दरअसल यह बताता है कि हमारे समाज, हमारे स्कूलों ने अच्छी ट्रेनिंग नहीं दी, मजबूत नहीं बनाया, मानसिक तौर पर दृढ़ नहीं किया. तरुण सिसोदिया से उम्मीद करते हैं कि वह आईसीयू से न सिर्फ शारीरिक रूप से स्वस्थ होकर निकलेंगे बल्कि मानसिक तौर पर भी खुद को दृढ़ बनाएंगे. हम सब उनके शीघ्र स्वस्थ होने की दुवा करते हैं.