मनीष दुबे-
इस वक्त देश मे एक से एक कमाल देखने को मिल रहे हैं
एक पत्रकार जो झूठ को उजागर करता है उसे पुलिस उठाकर जेल में ठेल देती है. एक पत्रकार जो सरेआम झूठ बहा रहा है उसे पुलिस ही खाकी से बचा रही है. यही है वो जिसके लिए कहावत बनी थी- ‘अंधेर नगरी चौपट राजा, टके शेर भाजी टके शेर खाजा’
ख़ुशदीप सहगल-
सुधीर चौधरी के ज़ी न्यूज़ से बाहर होते ही चंद दिनों में DNA शो को होस्ट करने वाले एंकर रोहित रंजन को नोएडा पुलिस की ओर गिरफ्तार करने की रिपोर्ट है… छत्तीसगढ़ पुलिस ऐसा करती उससे पहले ही नोएडा पुलिस ने तत्परता दिखाई…
हुआ क्या कि राहुल गांधी के वायनाड में उनके दफ़्तर में SFI के कुछ युवाओं ने तोड़फोड़ की थी, राहुल ने उन्हें बच्चा बताते हुए कोई क़ानूनी कार्रवाई करने से इन्कार कर दिया…
अब ज़ी न्यूज़ पर ख़बर चली कि राहुल ने उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल के हत्यारों के लिए ऐसा कहा है…
इस वीडियो को कुछ नेताओं की ओर से शेयर भी किया गया… कांग्रेस के सख़्त ऐतराज़ जताने पर ज़ी न्यूज़ ने प्राइम टाइम में माफ़ी मांगी, साथ ही दो स्टाफ को बर्खास्त करने की बात कही…
इस तरह झूठ फैलाने के पीछे वहीं नफ़रती और इकतरफ़ा सोच रही होंगी जो सुधीर चौधरी के 10 साल के कार्यकाल में परोसी जाती रही, इन दस साल में ज़ी न्यूज़ ब्रैंड को अपना नाम चमकाने के लिए इतना इस्तेमाल किया गया कि ‘Sudhir Chaudhary is Zee News’ माना जाने लगा…
हो सकता है उसी लाइन को ज़ी के कथित दो स्टाफ ने आगे बढ़ाने की कोशिश की हो जिससे सुधीर चौधरी के कमिटेड दर्शकों को उनकी कमी महसूस न हो…लेकिन मामला उल्टा पड़ गया…
फेंक न्यूज़ का भी इम्पैक्ट लंबे अर्से तक रहता है, जैसे कि आज भी राहुल के नाम के साथ आलू से सोना वाले बयान को जोड़ा जाता है…
2000 के नोट में चिप होने की ‘ख़बर’ सुधीर चौधरी ने प्राइम टाइम में सुनाई थी, इस पर अमिताभ बच्चन ने KBC के प्रोमो में कटाक्ष भी किया…
मीडिया बहुत ही संवेदनशील रहते हुए लोकतंत्र के सदैव सजग प्रहरी की तरह काम करें, न कि बंदर के हाथ उस्तरा लग जाने की तरह…
अभिरंजन कुमार-
एंकर Rohit Ranjan को मैं लंबे समय से जानता हूँ। उनके राजनीतिक विचार चाहे जो भी हों, पर वे एक संजीदा, ज़िम्मेदार और भले व्यक्ति हैं। ज़ी न्यूज़ पर उनके कार्यक्रम में राहुल गांधी के एक बयान को गलत संदर्भों में दिखाए जाने की भूल हुई, जिसे खुद रोहित और चैनल ने भी स्वीकार कर लिया है और माफी भी मांग ली है। मेरे विचार से यह पर्याप्त है और विवाद को यहीं पर खत्म करना चाहिए।
मैं किसी गलत का समर्थन नहीं कर रहा, न मीडिया में गलत खबरें या खबरों को गलत तरीके से दिखाए जाने का समर्थन कर रहा हूँ। लेकिन जिन लोगों को, चैनलों में किस तरह काम होता है, इसका अंदाज़ा है, वे आसानी से समझ सकते हैं कि ऐसी भूलों के कभी भी किसी से भी हो जाने का खतरा रहता है। कोई भी चैनल या प्रोफेशनल पत्रकार/एंकर कभी भी जान-बूझकर ऐसी भूलें नहीं करता है, क्योंकि उसे भी पता होता है कि कल को जब सच सामने आ जाएगा तो ऐसी भारी किरकिरी होगी, जिसका बचाव करना मुश्किल हो जाएगा।
साथ ही, टीवी चैनलों का आउटपुट एक टीमवर्क का नतीजा होता है। एंकर उसे प्रेजेंट ज़रूर कर रहा होता है, लेकिन उसके कार्यक्रम को तैयार करने में परदे के पीछे अनेक लोगों की टीम काम कर रही होती है। अक्सर उसे ‘रनडाउन’ पर ‘क्यू’ में लगी खबरों की जो डिटेल ‘टेली-प्रॉम्प्टर’ पर लिखी मिलती है, उसे बस पढ़ देना होता है। लेकिन दुनिया समझती है कि वह सब जो पढ़ा जा रहा है, उसे एंकर ने ही तैयार किया है।
यह मानता हूं कि किसी भी पत्रकार का यह दायित्व है कि वह खबरों को ठीक से जांच परखकर ही प्रसारित होने के लिए जारी करे। सैद्धांतिक रूप से एंकर का भी दायित्व है कि वह अपने बुलेटिन की खबरों को पहले ठीक से समझे, जांचे और यदि उसे कुछ गलत या अटपटा लगे तो उसे तैयार करने वाली टीम से बात करे, लेकिन अक्सर एंकरों के पास इतना वक्त नहीं होता। साथ ही वह यह मानकर चलता है कि टीम के अनुभवी लोगों ने जो बुलेटिन तैयार किया है, वह जांच-परखकर ही किया होगा।
यह सच भी है कि अनुभवी संपादकों की निगाह में ज़्यादातर संदेहास्पद खबरें फिल्टर भी हो जाती हैं, लेकिन अपवादस्वरूप सैंकड़ों बार में एकाध बार उनसे भी मानवीय भूल हो सकती है। या बुलेटिन को जांचने के लिए कोई सीनियर संपादक उपलब्ध नहीं है, तो भी ऐसी भूलें हो सकती हैं।
यहां यह भी कहना चाहूंगा कि राहुल गांधी ने वायनाड में अपने दफ्तर पर हमला करने वालों को माफ करने की बात कही थी। लेकिन उसी खबर को लेकर ज़ी न्यूज़ और रोहित की टीम से हुई भूल पर उनके द्वारा माफी मांग लिए जाने के बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार ने बदले की भावना से कार्रवाई करते हुए रोहित को गिरफ्तार करने के लिए उनके गाज़ियाबाद स्थित घर पर पुलिस भेज दी।
यह राहुल गांधी के वक्तव्य में व्यक्त किये गए विचारों से मेल नहीं खाता। राहुल गांधी माफी की बात करें और उनकी पार्टी की राज्य सरकार माफी मांग लिये जाने के बाद भी पुलिस का इस्तेमाल करके बदला लेना चाहे, यह विरोधाभासी है। हालांकि मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा हस्तक्षेप किये जाने के बाद रोहित अभी उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में बताए जा रहे हैं।
इसलिए मैं तो कांग्रेस पार्टी, छत्तीसगढ़ सरकार/पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार/पुलिस – तीनों से अपील करूंगा कि रोहित रंजन के माफी मांग लेने के बाद चीजों को ठीक से समझें और इस विवाद को यहीं खत्म करें। धन्यवाद।