कहते हैं कि व्यापारी कभी सत्ताधारियों की आलोचना नहीं करता. उसकी कोशिश होती है कि सत्ताधारियों के करीब पहुंच कर ज्यादा से ज्यादा लाभ हासिल किया जाए. जबसे मीडिया व्यापार बन गया है तबसे मीडिया मालिक भी व्यापारियों के रास्ते चल पड़े हैं और उनकी हर वक्त कोशिश रहती है कि कैसे उन पर सत्ता की कृपा ज्यादा से ज्यादा रहे.
टाइम्स आफ इंडिया के मालिकान एक जमाने में तेवर वाले होते थे. पर अब वो बात नहीं रही. इसके एक मालिक हैं विनीत जैन. उन्होंने एक ट्वीट किया है. उसमें सरकार की आलोचना तो है पर इतनी साफ्ट आलोचना है कि कोई समझ पाए कोई न समझ पाए.
आप खुद देखें ट्वीट और बताएं कि विनीत जैन कहना क्या चाहते हैं?
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह कहते हैं कि ये ट्वीट निश्चित रूप से सत्ता-सरकार की आलोचना है पर बच कर.
एक साथी ने इस ट्वीट का हिंदीकरण कुछ यूं किया है-
”कप में आधा पानी हो तो दो तरह से देखा जा सकता है – आधा भरा है और आधा खाली है. पर अभी तीसरी स्थिति है। कप में छेद है और यह छेद लॉक डाउन बढ़ाने तथा कायदे का कोई प्रोत्साहन (स्टिमुलस) नहीं दिए जाने के कारण (या दिया जाना) है। लोगों की जान जाने और आजीविका खत्म होने का मूल कारण कोरोना वायरस नहीं है बल्कि उस पर हमारी प्रतिक्रिया ज्यादा नुकसानदेह होगी।”
आप बताएं, इस ट्वीट के जरिए कवि क्या कहना चाह रहा है?
जो भी हो, बाकी मीडिया मालिकों के मुकाबले थोड़े तेवरदार तो दिख रहे हैं टाइम्स आफ इंडिया के मालिक विनीत जैन. कम से कम इशारे इशारे में अपनी बात तो कह दी. बाकियों का हाल देखिए. या तो सरकार-सत्ता का हिस्सा बनकर मलाई काटते हुए चुप्पी साधे हुए हैं या फिर सरकार के आगे सच्चाई बयान करने का काम विपक्षी राजनीतिक पार्टियों या एक्टिविस्टों का होता है, ये मानकर दिन रात अपने टर्नओवर को बढ़ाने की जुगत में भिड़े रहते हैं.
Comments on “टाइम्स आफ इंडिया के मालिक विनीत जैन ने सरकार की आलोचना की, लेकिन बड़े प्यार से”
यही तो अंग्रेजीयत व्यवहार है, इनका। दूसरी बात यह है, कि ऐसे सभी मीडिया मुगल व्यापारियों के रास्ते नहीं चल रहे, बल्कि अपने – अपने मीडिया नेटवर्क की प्रतिछाया में या तो अपने ही निजी कारोबारी हित – उद्देश्य की पूर्तियाँ सुनिश्चित कर रहे हैं अथवा अपने ही सहयोगी एवं प्रभावशील व्यापारियों के कारोबारी हितों को खाद – पानी अर्पित करने में क्रियाशील हैं। ईश्वर सदबुद्धि प्रदान करे।
ShishRamkanswal
सांप भी मर जाते और
लाठी भी न टूटे