उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत और उनके करीबियों का स्टिंग समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार ने अपनी टीम से कराया जिसे हेड कर रहे थे पंडित आयुष उर्फ आयुष गौड़, राहुल भाटिया और अन्य. बाद में आयुष गौड़ ने सरकारी गवाह बनते हुए उमेश कुमार और राहुल भाटिया के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी. आयुष ने स्टिंग की मंशा पर सवाल उठाते हुए ये मुकदमा कराया. उमेश कुमार को आनन-फानन में अरेस्ट किया गया. देहरादून के जेल से छूटे तो रांची में एक मुकदमा लिखा कर वहां की जेल ले जाया गया. लेकिन उमेश की कानूनी तौर पर मजबूती उत्तराखंड सरकार और उनकी टीम को लगातार बैकफुट पर आने को मजबूर करती रही. जेल से छूटते ही उमेश ने अपनी ऊर्जा अदालत में अपने खिलाफ चल रहे प्रकरण की पैरवी में लगा दी. अब इस पूरे प्रकरण में कई डेवलपमेंट सामने आए हैं. उमेश पर लगे राजद्रोद, ब्लैकमेलिंग, एक्सटार्शन के आरोप गलत पाए गए हैं. इस बीच, सीएम के करीबी संजय गुप्ता और उमेश के साथ सह अभियुक्त बनाए गए राहुल भाटिया के बीच बातचीत के तीन टेप भड़ास के हाथ लगे हैं. इस बातचीत से कई चीजों का अंदाजा होता है.
सीएम स्टिंग प्रकरण में जो कुछ नए टेप हाथ लगे हैं, उनमें संजय गुप्ता और राहुल भाटिया के बीच विस्तार से बातचीत है. राहुल भाटिया उत्तराखंड सीएम स्टिंग प्रकरण में सह अभियुक्त हैं. संजय गुप्ता उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत के पारिवारिक मित्र और पारिवारिक बिजनेस पार्टनर हैं. बताया जाता है कि संजय गुप्ता की पत्नी और त्रिवेंद्र रावत की पत्नी के साथ संयुक्त रूप से कई बड़े भूखंड हैं. उत्तराखंड सीएम के स्टिंग कांड में संजय गुप्ता का भी लंबा चौड़ा स्टिंग है जिसमें वे कई तरह की वैध-अवैध बातें कर रहे हैं. स्टिंग में वे पैसे लेते भी दिख रहे हैं जिसके बारे में उनका दावा है कि वह पैसे जमीन की किसी डील से संबंधित है.
स्टिंग करने वाले पंडित आयुष ने स्टिंग कराने वाले समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार और इनके सहयोगी राहुल भाटिया के खिलाफ जो रिपोर्ट दर्ज कराई है, उसकी कोर्ट में जो सुनवाई चल रही है, उसमें भी कई किस्म की प्रगति है जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा. फिलहाल तो ये तीन टेप सुनें जो एक साथ कंपाइल कर दिए जा रहे हैं. इन टेप के जरिए पता चलता है कि सह अभियुक्त राहुल भाटिया को तोड़ने-पटाने की पूरी तैयारी की जा रही है. उन्हें सिक्युरिटी मुहैया कराए जाने से लेकर कई किस्म के लॉलीपॉप दिए जा रहे हैं. बातचीत के दौरान यह सामने आता है कि पंडित आयुष को सरकार या सरकार के लोगों की तरफ से पूरा संरक्षण दिया जा रहा है. सेक्युरिटी से लेकर पैसे तक मुहैया कराए जा रहे हैं, ऐसा बातचीत से पता चलता है.
ज्ञात हो कि टेप से जानकारी मिलती है कि संजय गुप्ता ने आयुष गौड़़ को राहुल भाटिया के पास भेजा. मकसद था राहुल भाटिया को सरकारी गवाह बनाने के लिए प्रेरित करना. इस आडियो में संजय गुप्ता साफ कह रहे हैं कि पंडित आयुष उर्फ आयुष गौड़ सरकार के साथ मिल गए हैं और आयुष का ख़र्चा भी यही लोग उठा रहे हैं. टेप में संजय गुप्ता साफ तौर पर राहुल भाटिया से कह रहे हैं कि सरकारी गवाह बन जाओ तो सुरक्षा हम दिला देंगे, सीएम से बात हो गयी है. संजय गुप्ता ये भी बता रहे हैं कि आयुष को सुरक्षा के लिए एसटीएफ़ और पुलिस दे दी गई है.
सुनें टेप-
उपरोक्त टेप के बाबत आयुष गौड़ का कहना है-
”ये सब बातचीत राहुल भाटिया और संजय गुप्ता के बीच में है. इसमें कोई मेरी आवाज़ नहीं है. मैंने तो कुछ नहीं बोला है. रही बात सुरक्षा की तो ये तो एक सीधा सा पैटर्न है कि जो इंसान गवाह बनता है तो उसको थ्रेड परसेप्शन होता है, इसकी वजह से ये मुहैया कराई जाती है. संजय गुप्ता राहुल भाटिया को क्या प्रलोभन देते हैं और राहुल भाटिया संजय गुप्ता से किस तरह से जुड़े हुए हैं, ये तो आपस में वो लोग जानते हैं. मेरा स्टैंड क्लियर है, वो पहले दिन भी था और आज के दिन भी है कि स्टिंग ऑपरेशन कंडक्ट किया गया था, बिलकुल, इसमें कोई 2 राय नहीं है, लेकिन स्टिंग ऑपरेशन की जो मंशा थी, वो ग़लत थी.”-पंडित आयुष उर्फ आयुष गौड़
आज अमर उजाला के देहरादून संस्करण में उमेश स्टिंग प्रकरण में हुए ताजे न्यायिक घटनाक्रम का विवरण विस्तार से प्रकाशित हुआ है जिसे आप भी नीचे पढ़ें. इस खबर से पता चलता है कि रांची राजद्रोह, एक्सटार्शन और ब्लैकमेलिंग जैसे जो गंभीर आरोप उमेश कुमार पर लगाए गए थे, वे सही नहीं पाए गए. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और उनके कई क़रीबियों के स्टिंग (22 डीवीडी) मुख्य न्यायाधीश उत्तराखंड की कोर्ट में जमा कराए जा चुके हैं. इसमें जिन-जिन के स्टिंग हुए हैं, वो सभी बीते 23 मार्च से इस एक अप्रैल के बीच सरकारी गवाह बन गए. इन लोगों ने पहले तो यह कहा था कि वे आयुष गौड़ को नहीं जानते. अब सब कह रहे हैं वे आयुष से मिले थे और हमें बदनाम करने की साज़िश थी. संजय गुप्ता ने अपने बयान में माना है कि उन्होंने आयुष गौड़ को सीएम से मिलाया है. सीएम के ओएसडी धीरेन्द्र पंवार ने माना है कि वे दो बार संजय गुप्ता के साथ आयुष गौड़ से होटल में मिले थे.
आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किए जाने और स्टिंग की 22 डीवीडी जमा किए जाने के बाद जितने लोगों का स्टिंग हुआ था, सभी सरकारी गवाह बन गए. संजय गुप्ता ने आरोप पत्र में पैसे लेने और सीएम से मिलाने की बात क़बूली है. उन्होंने कहा है कि पैसे ज़मीन का अग्रिम भुगतान था जो ज़मीन सीएम और उनकी पत्नी के संयुक्त नाम पर है. सीएम के भाई विरेंदर रावत ने हाई कोर्ट में हलफ़नामा दिया था कि वो कभी उमेश कुमार या उसके किसी प्रतिनिधि से नहीं मिले. लेकिन कोर्ट में स्टिंग की डीवीडी जमा होते ही उन्होंने भी आयुष गौड़ से मिलने की बात क़बूल ली.
संजय गुप्ता ने स्वीकार किया कि उन्होंने 281000 हज़ार रुपय पत्नी के खाते में लिया. लेकिन यह भी कहा कि उन्होंने पैसे आरटीजीएस के जरिए वापस लौटा दिए थे. सीएम के ओएसडी धीरेन्द्र पंवार ने माना कि उनके सामने पैसे देने की आयुष ने कोशिश की लेकिन संजय गुप्ता ने पैसे बैंक अकाउंट में देने को कहा. उसी रात संजय गुप्ता ने घूस के ५ लाख रुपए कैमरा के सामने लिए थे. सीएम के मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने भी माना की आयुष गौड़ सीएम से मिलने सीएम हाउस आए थे. सीएम के भतीजे अरविंद रावत ने भी आयुष गौड़ से मिलने की बात स्वीकार की.