यूपी में अखिलेश सरकार ने मीडिया वालों को टोल फ्री हेल्पालइन का लालीपाप फेंका है. यह हेल्पलाइन कितना कारगर है, इसका टेस्ट सिर्फ एक प्वाइंट पर मीडिया वाले कर सकते हैं. जिन जिन को मजीठिया वेज बोर्ड न मिला हो वे इस टोल फ्री नंबर पर कंप्लेन करें. देखें कि क्या अखिलेश यादव मीडिया मालिकों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से नया पुराना सेलरी एरियर हिसाब दिला पाते हैं. पक्का मानिए, अखिलेश सरकार मीडिया को लेकर सिर्फ दिखावा कर रही है. अगर वह सीरियस है तो टोल फ्री नंबर देने से पहले प्रिंट मीडिया वालों को मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने का तोहफा दे चुकी होती. पर अराजक और जंगल राज चलाने वाली यूपी की समाजवादी सरकार इन दिनों नौकरशाहों के दिखावे वाले तामझाम में इतना मशगूल है कि वह बुनियादी काम भूल-छोड़ चुकी है.
यूपी में मीडियाकर्मियों के लिए कथित हेल्पलाइन की व्यवस्था की गई है. सोमवार को सीएम अखिलेश यादव ने इसकी शुरुआत की. कहा जा रहा है कि इस हेल्पलाइन के जरिये मीडियाकर्मियों को सुरक्षा, उनके हितों के संरक्षण के लिए जरूरी सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है. इसके लिए टोल फ्री नंबर 1800-1800-303 होगा. दावा किया जा रहा है कि इस टेक्नोलॉजी से जनता को लाभ होगा. एक जगह मॉनिटरिंग होगी. बताया गया है कि यह मीडिया हेल्पलाइन नंबर सूचना विभाग में स्थापित की गई है. इसके माध्यम से मीडियाकर्मी घर बैठे अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज करा सकेंगे.
प्रेस मान्यता, चिकित्सा सुविधा, सचिवालय प्रवेश पास, रेलवे पास, राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा आदि की जानकारी ले सकेंगे. पत्रकार उत्पीड़न और पत्रकारों की सुरक्षा संबंधी मामलों के समाधान के लिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराकर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. मीडिया हेल्पलाइन पर दर्ज मामलों में संबंधित जिलों के मजिस्ट्रेट, जिला सूचना अधिकारी, सहायक निदेशक, उप सूचना निदेशक एक्शन लेंगे. हेल्पलाइन पर दर्ज कराई गई सामान्य शिकायतों को एक सप्ताह में,अर्जेंट 72 घंटे और मोस्ट अर्जेंट मामलों को 24 घंटे में समाधान कराने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. सीएम अखिलेश यादव ने मीडियाकर्मियों को समाचार कलेक्ट करने में होने वाली असुविधाओं का समाधान कराने, शासन और प्रशासन के बीच मीडियाकर्मियों से बेहतर तालमेल बनाने में सूचना विभाग को दायित्व सौंपा है.
प्रमुख सचिव नवनीत सहगत ने कहा कि तकनीक के सहारे प्रशासन का कैसे बेहतर प्रयोग हो सके, लगातार प्रयास किया जा रहा है. जन सुनवाई पोर्टल देश में पहली बार किया जा रहा है. जिले से भी आई शिकायतों को लखनऊ से देखा जाएगा. दूसरा पोर्टल मीडिया के लिए है, जहां सिर्फ मीडिया के लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे. विशेष सचिव सीएम अमित गुप्ता ने बताया कि अलग-अलग शिकायत का अलग-अलग ब्लॉक बनाया गया है.
इस टोल फ्री नंबर की हकीकत का टेस्ट मीडिया वालों को करना है. उत्तर प्रदेश के मीडिया वाले, खासकर प्रिंट मीडिया वाले अपने मीडिया मालिकों की कंप्लेन इस नंबर पर करें और मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से बढ़ी हुई सेलरी न देने की बात दर्ज कराएं. फिर देखिए इस टोल फ्री की असलियत क्या है. ये वही अखिलेश सरकार है जिसने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मीडिया मालिकों के दबाव के आगे झुकते हुए सुप्रीम कोर्ट में बेहद लचर किस्म की रिपोर्ट भेजी है और इस सरकार के अधीन कार्यरत लेबर अफसर मजीठिया संबंधी शिकायतों पर एक्शन लेने में दाएं बाएं करते हैं. अब ये सरकार मीडिया वालों को टोलफ्री नंबर का लालीपाप देकर अपने पुराने पाप धोने की कोशिश में हैं. मीडिया वाले भूले नहीं हैं कि किस तरह एक मंत्री के कहने पर एक कोतवाल ने जगेंद्र नामक पत्रकार को जिंदा फूंक दिया और वह भ्रष्ट हत्यारा मंत्री अब भी अखिलेश मंत्रिमंडल में शोभायमान है.