शीतल पी सिंह-
सभी धर्मों ने स्त्री को दूसरा दर्जा दिया / बराबरी न दी । पुरुष से कमतर घोषित किया , कम अक़्ल तक कहा ।
देश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा UPSC में पहले चार स्थान लड़कियों ने प्राप्त किए हैं ।
आधुनिक विचार स्त्री पुरुष में ऐसे भेद का सिरे से निषेध करता है जो जेंडर के आधार पर किसी भी क़िस्म की गैरबराबरी / मातहती की वकालत करते हैं ।
यह आपके हमारे लिए एक सबक़ है कि हम यदि किसी भी तर्क से स्त्री को पुरुष के मुक़ाबले कम आंकते/मानते हैं तो हमें अपने ख़याल को अब बदल लेना चाहिए । बात सिर्फ़ मौक़े और माहौल की है बाक़ी सब बकवास है ।

दिलीप मंडल-
Congratulations to Ishita Kishore for securing Rank 1 in the UPSC civil services exam! Also, kudos to Garima Lohia (Rank 2) and Uma Hariti N (Rank 3) for their outstanding achievements!

शशि सिंह-
यहाँ तक तो ठीक है। बेटियों ने झंडे गाड़ दिये। अब बस यही देखना है कि सिस्टम इन्हें कितनी जल्दी अपने रंग में रंगता है। सिविल सेवा में हर साल की तरह इस बार भी गलाकाट प्रतिस्पर्धा करके लगभग हज़ार मेधावी अंतिम रूप से चयनित हुए हैं। अब आज से इन हजार के बीच जो प्रतियोगिता शुरू होगी वह यह कि कौन कितनी जल्दी भ्रष्ट होता है और कौन कितना बड़ा भ्रष्टाचारी बनता है। कुछ ग़लत तो नहीं कहा न मैंने? यही है इस स्टील फ़्रेम जैसी मज़बूत व्यवस्था का सच! मेरी नज़र में असली विजेता वही है जो इन हजार में सबसे फिसड्डी साबित हो और सेवानिवृत्ति तक भ्रष्ट होने से बचा रह जाए।