मनीष दुबे-
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग इन दिनों लूट का खुल्ला खेल चला रहा है. हर दिन सैकड़ों-हजारों यात्री ठगी-उगाही के इस तंत्र का शिकार हो रहे हैं. लखनऊ की यात्रा न करता तो इस बात का पता भी न चलता.
दरअसल, लखनऊ से कानपुर वापसी में चारबाग से उत्तर प्रदेश परिवहन का टिकट कटाया. टिकट बना चारबाग से कानपुर झकरकटी तक का. जिसका मूल्य हुआ 141 रूपया. लेकिन जो सवारी इससे पहले या अन्यत्र उतरती हैं उनसे रूपये की वसूली पूरी डिस्टेंस के अनुसार ही की जाती है. मतलब जहां तक का टिकट है.
भई तय दूरी से इतर जो आदमी पहले उतर रहा है उसका बचा किराया तो वापस ही किया जाना चाहिए न! लेकिन ऐसा हो नहीं रहा.
इस बारे में जब बस नंबर UP 77 AH 1497 के टिकट कंडक्टर से बात की गई तो उसने कहा कि, ‘क्या करें सर? इसमें हमारी कोई गलती नहीं आप ऊपर कंप्लेन करिए. हम लोग का खुदै सुनवाई नहीं होता.’
दिनभर में अगर 1000-1500 आदमी औरत भी सफर करके इस तरह किराए में अपनी जेब कटाए तो जोड़िए कितना रूपया विभाग को पहुंच रहा है. हालांकि इससे अधिक लोग रोजाना यूपी परिवहन विभाग कि बसों के माध्यम से सफर करते हैं.
परिवहन विभाग की बैलगाड़ी सी चरमराती बसों की अपेक्षा 150 रुपये लेकर चलने वाली लग्जरी कारों का सफर अच्छा और आसान रहता है. चूं चांय चर्र करती बस की खिड़की के शीशे में लगे लोहे में फंसकर मेरी जैकेट का लेदर फट गया सो अलग नुकसान.
तो मंत्री महोदय दयाशंकर जी बसों की व्यवस्था और उसके उद्धार पर भी थोड़ा ध्यान दे दीजिए ताकि जनता को रामराज्य में पुष्पक विमान न सही कुछ बहुत सहूलियत तो मिल ही सके. रिक्वेस्ट है सर, ठंड में गरीब बड़ी मुश्किल से लेदर-फेदर खरीद पाता है. उसपर रूपया देकर आदमी कपड़ा फड़वाएगा तो कैसे काम चलेगा..साहब!
नीचे देखें टिकट और जैकेट के फटे लेदर के साथ गरीब मनुष्य…