बलिया के आरटीआई एक्टिविस्ट सिंहासन चौहान को छेड़छाड़ के फर्जी मामले में फंसाकर जेल भेजने के मामले में भीमपुरा थाने के पुलिस वालों ने एक नई कहानी गढ़ दी है. इस कहानी का पता तब चला जब लखनऊ की जानी-मानी आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने सिंहासन चौहान प्रकरण में एक आनलाइन जनसुनवाई अप्लीकेशन डालकर कुछ जानकारियां मांगीं. इसके जवाब में भीमपुरा थाने के दरोगा कलाप कलाधर त्रिपाठी उर्फ केके त्रिपाठी ने जो लिखित जवाब भेजा है (देखें उपर), वह बताता है कि वर्दीधारी इन दिनों भांग खाकर काम कर रहे हैं या फिर पैसे के लालच में खुद कोई जांच न करके सीधे जेल भेजने और धारा बढ़ाने-घटाने का खेल कर रहे हैं.
दरोगा केके त्रिपाठी ने लिखा है कि सिंहासन चौहान आनलाइन टिकट क्रय विक्रम का काम करता है, इसलिए उसके द्वारा जो यात्रा पर होने की बात कही गई है, वह माननीय न्यायालय द्वारा गहन जांच का विषय है. इस जवाब में ही पुलिस की कामचोरी, काहिली और दलाली झलक रही है. भई, जांच का काम तो तुझे करना था. तूने तो किया नहीं. अब न्यायालय से कह रहा है कि वह गहन जांच कराए! जब सिंहासन चौहान को पता चलता है कि उन पर छेड़छाड़ का केस हो गया है तो वह खुद थाने जाकर बताते टिकट दिखाते हैं कि जिस दिन के जिस समय पर छेड़छाड़ करने का आरोप है, उस दिन के उस समय तो वह ट्रेन में थे. पर न रैकेटबाज थानेदार सत्येंद्र राय ने कुछ सुना और न ही दलाल वर्दीधारी केके त्रिपाठी ने कुछ जांच करने का प्रयास किया. सीधे अरेस्ट कर हवालात में डाला और फिर जेल भेज दिया.
आरोप है कि इन पुलिसवालों को मोटा पैसा मिला था, इसके एवज में इन्हें आंख मूंदकर फर्जी आरोप का एफआईआर लिखना था और बिना कुछ सुने जांचें कथित आरोपी को सीधे जेल भेजना था. यही किया भी इन लोगों ने. अब जब इनकी करतूत पर हर तरफ से सवाल उठ रहा है तो ये दलाल व रैकेटबाज वर्दीधारी खुद को बचाने के लिए गहन जांच करने का काम न्यायालय को करने का आदेश दे रहे हैं. यह आदेश ही देना कहा जाएगा क्योंकि जो जांच-पड़ताल पुलिसवालों को करना था, वो तो इनने किया नहीं. अब न्यायालय से कह रहे हैं कि वे गहन जांच कराएं.
हे दलाल वर्दीधारी दरोगा केके त्रिपाठी और हे रैकेटबाज थानेदार सत्येंद्र राय, जिस आरटीआई एक्टिविस्ट सिंहासन चौहान को तुम लोगों ने फर्जी आरोपों में जेल भेजा और बाद में रेप का फर्जी आरोप लगाकर धारा बढ़ा दिया, उसके पुत्र ने पिता की हाईकोर्ट में जमानत कराने के लिए इसी रेल यात्रा के टिकट को आधार बनाया और इसके लिए पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य टिकट निरीक्षक से बाकायदा वेरीफिकेशन कराया, मुहर लगाया कि ये सत्य है कि उक्त तारीख में सिंहासन चौहान ट्रेन की यात्रा कर रहे थे. इस जवाब के बाद दल्ले दरोगा और रैकेटबाज थानेदार को कुछ कहना है? पैसे के पीछे दिन रात भागने वाले हे दल्ले वर्दीधारी दरोगा और रैकेटबाज थानेदार, कुछ अपने हिस्से का भी काम कर लिया करो. बिना आरोपी से बयान लिए, सुबूत लिए, आखिर क्या जांच करके तुम लोगों ने चार्जशीट बना दी और कोर्ट में भेज दिया? देखना, कहीं इस मामले में आगे चलकर तुम दोनों की वर्दी न उतर जाए. उपर वाले के घर में देर जरूर है, पर इतना अंधेर नहीं है जितना अंधेरगर्दी तुम लोग अपने थाने में मचाए हो.
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
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