संजय कुमार सिंह
अमर उजाला में आज पहले पन्ने पर तस्वीर के साथ एक खबर है, “मकर संक्रांति पर पीएम मोदी ने की गोसेवा। एजेंसी की इस खबर में कहा गया है, नई दिल्ली में रविवार को मकर संक्रांति पर्व पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आवास पर गायों और बछड़ों को गुड़, गजक व चारा खिलाया। बछड़ों के गले को सहलाकर उन्हें लाड़-प्यार भी किया। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे साधारण पोशाक पहने गायों को दुलारते नजर आ रहे हैं।“ ऐसी ही फोटो नवोदय टाइम्स में भी पहले पन्ने पर है। लेकिन वहां ‘खबर’ नहीं है फोटो कैप्शन से ही काम चलाया गया है। इसलिये अमर उजाला पहले क्योंकि वहां यह ‘खबर’ टॉप पर है। प्रधानसेवक और चौकीदार होने का सब्जबाग दिखाकर कभी छुट्टी नहीं लेना वाला प्रधानमंत्री जो चौकीदार भी होने की बात करता था,साधारण पोशाक पहने गायों को गुड़ गजक और चारा भी खिलाये तो खबर हो सकती है। लेकिन पहले पन्ने की?
यह तस्वीर हिन्दुस्तान टाइम्स में भी पहले पन्ने पर है। यहां भी ‘खबर’ नहीं है और तस्वीर का शीर्षक है, प्रधानमंत्री ने घर पर गायों को (चारा) खिलाया। पीटीआई के हवाले से कैप्शन है और दो लाइन में वही बताया है जो ऊपर लिखा जा चुका है। इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया या द हिन्दू में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। इसलिए इसमें कोई शक नहीं है कि यह खबर निर्विवाद रूप से पहले पन्ने की नहीं है। अगर होती तो सभी अखबारों में होती, ज्यादातर में होती या कहीं और टॉप पर होती। जाहिर है टॉप पर छापने वाले ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया है और मुझे लग रहा है कि हेडलाइन मैनेजमेंट के आज के समय में उसका अपहरण हो गया है।
कांग्रेस को भ्रष्टाचारी और विदेश में रखा काला धन इतना है कि वापस लाया जाये तो हर किसी को 15 लाख रुपये मिलेंगे जैसे जुमलों से चुनाव जीतने के बाद काला धन खत्म करने के लिए नोटबंदी और उसके बुरी तरह असफल रहने तथा उसके कारण देश की अर्थव्यवस्था खराब हो जाने, इसी कारण अर्थव्यवस्था के पांच ट्रिलियन का होने के भारी प्रचार के बावजूद उसके अभी भी बहुत दूर होने जैसी स्थितियों तथा लाखों शेल कंपनियां बंद करने के दावों को बावजूद अदाणी की कंपनी में 20,000 करोड़ रुपये का अस्पष्ट निवेश, संसद में अदाणी से सवाल पूछने वालों की सदस्यता चली जाने और संसद की सुरक्षा पर सवाल को लेकर डेढ़ सौ सांसदों को निलंबित करने का रिकार्ड बनाने वाली सरकार अगर 2024 के चुनाव प्रचार के लिए मंदिर के बहाने हिन्दुत्व को जगा रही है तो यह आम वोटर को समझ में नहीं आये, संपादकों को तो समझ में आता ही होगा।
फिर भी फोटो वायरल हो रहा है तो खबर नहीं है और ना इसलिए पहले पन्ने पर छापना जायज। कल यह चर्चा भी वायरल थी कि अयोध्या में मंदिर वहां नहीं बन रहा है जहां बाबरी मस्जिद थी, जहां राम लला का जन्म हुआ बताया जाता है और जिसके लिए नारा था, मंदिर वहीं बनायेंगे। मुझे नहीं पता यह कितना सच है या इस मामले में सत्यता जानने के लिए क्या किया जा सकता है। लेकिन वायरल तस्वीर अगर पहले पन्ने पर छप सकती है तो यह क्यों नहीं कि मंदिर को लेकर चल रहा विवाद निराधार है या वास्तविक स्थिति यह है। मुझे नहीं लगता कि यह विवाद साधारण है और चुप रहने से मणिपुर की तरह निपट जायेगा। पर सरकार ने जवाब नहीं देने का निर्णय़ किया है तो वायरल फोटो छापने वाले संपादक को क्या इस वायरल चर्चा की खबर ही नहीं लगी? जहां तक प्रधानमंत्री निवास में गौ माता को बुलाकर चारा खिलाने की बात है – वाकई यह खबर है और हिन्दुस्तान टाइम्स का शीर्षक हार्डकोर खबर का है। सूचना है।
वर्षों दिल्ली और फिर गाजियाबाद में रहते हुए मैं जानता हूं कि दिल्ली में गायें पालना मना है। आम आदमी अपने बंगले या सरकारी घर में गाय नहीं पाल सकता है। दूध की जरूरतों के लिए मदर डेरी और दिल्ली मिल्क स्कीम है। गो सेवा के लिए गौशालाएं होंगी। एक तो दिल्ली गाजियाबाद सीमा पर गाजीपुर में है और मंत्री अगर पालना ही चाहे, आप समझें कि कौन रोक लेगा तो लालू यादव जब रेल मंत्री थे तो यह चर्चा थी कि उनने गाय पाल ली थी। ऐसे में प्रधानमंत्री ने गाय पाल ली हो तो कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन घासों से हरी लॉन में चारा खिलाना वाकई दर्शनीय है। वे गायों के शेड में खिला रहे होते तो लगता कि पाल ली है। इस तस्वीर से लगता है कि गौमाता को निमंत्रण भेज कर (या पालक को आदेश देकर) बुलाया गया था। यह तस्वीर इन कारणों से तो प्रकाशित की जा सकती थी पर यह खबर नहीं है। हेडलाइन मैनेजमेंट है। और इसे समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है।
आप जानते हैं कि राहुल गांधी ने कल मणिपुर से अपनी न्याय यात्रा शुरू की। निश्चित रूप से यह आज छपने या छप सकने वाली बड़ी खबर थी जो कांग्रेस के हेडलाइन मैनेजमेंट का हिस्सा हो सकती है पर उसके मुकाबले के लिए अगर बीच दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री निवास के हर-भरे लॉन में गायों को अलग से चारा खिलाया गया तो आप खबर छपवाने के लिए जो किया जा रहा है उसे भी देखिये। विवेक का इस्तेमाल कीजिये। वह आपके जरिये वोटर को प्रभावित करने के लिए तो नहीं है। यह सोचना आपका काम है। फिर भी, कम से कम अमर उजाला ने तो राहुल गांधी की न्याय यात्रा शुरू होने की खबर को पहले पन्ने पर नहीं ही छापा है जबकि बाकी सभी अखबारों में पहले पन्ने पर है और निर्विवाद रूप से पहले पन्ने की खबर है।
प्रधानमंत्री निवास में गायों को बुलाकर चारा खिलाने के इस हेडलाइन मैनेजमेंट पर कोई विस्तृत खबर ढूंढ़ते हुए मुझे अमर उजाला में एक खबर दिखी, तपस्या हुई पूरी, मोदी की कसम भी चढ़ी परवान। 32 साल पहले मकर संक्रांति के दिन ही मंदिर निर्माण तक योध्या नहीं आने की खाई थी कसम। मुझे लगता है कि यह खबर, वायरल खबर से ज्यादा महत्पूर्ण है और इसे पहले पन्ने पर छापा गया होता इसमें दम है। लेकिन बिना स्रोत की यह खबर बताती है कि मोदी आर्काइव ने याद दिलाई। मुझे लगता है कि यह फिर भी ज्यादा बड़ी खबर है। वायरल खबर वैसे ही सब तक पहुंच जाती है और ट्रोल सेना वाले लोग कुछ भी, कभी भी वायरल कर सकते हैं। इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिये और खबर देने के अपने मूल काम के प्रति ईमानादरी बरतते हुए यह बताया जाना चाहिये था कि 22 को उद्घाटन के कारण चर्चित मंदिर राम जन्म भूमि पर बना है या नहीं। सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा गूगल मैप कया दिखा रहा है या क्यों कनफूजिया रहा है। अमर उजाला को जानने पढ़ने वाले जानते है कि अमर उजाला के लिए सोशल मीडिया पर वायरल इस खबर की पुष्टि या खंडन करना कितने मिनट का काम है।
संपादकीय विवेक की फूहड़ता
जहां तक राहुल गांधी की यात्रा शुरू होने की खबर का सवाल है। यह आज सभी अखबारों में पहले पन्ने पर तो है लेकिन इसे प्रकाशित करने में संपादकीय विवेक की फूहड़ता टाइम्स ऑफ इंडिया में नजर आ रही है। यहां शीर्षक है, राहुल गांधी ने जिस दिन यात्रा 2.0 शुरू की मिलन्द देवड़ा ने कांग्रेस छोड़ दी। कहने की जरूरत नहीं है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद न्याय यात्रा निकालने की जरूरत या उससे उम्मीद ही देश की राजनीतिक स्थिति की सच्चाई बयान करता है। यात्रा शुरू करने के पहले राहुल गांधी का भाषण ऐसा नहीं था कि उसे राहुल व खड़गे ने इंफाल में मोदी पर हमला किया कहकर समेटा जा सके। राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, “न्याय की हुंकार के रूप में देश भर में हो रहे भयंकर अन्याय के विरुद्ध आज से भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। हम जन की बात सुनने आये हैं, मन की बात सुनाने नहीं ….।”
आप जानते हैं कि मणिपुर मई से जल रहा है। सैकड़ों मौते हो चुकी हैं। और मणिपुर जाना तो दूर प्रधानमंत्री के बारे में कहा जाता है कि वे मणिपुर का म भी नहीं बोलते हैं। ऐसे में मिलिन्द देवड़ा का कांग्रेस छोड़ना कितनी ही बड़ी खबर हो, तथ्य यह है कि मिलिन्द देवड़ा भाजपा में नहीं गये हैं और खबर के साथ छपी फोटो का कैप्शन है, मिलिन्द देवड़ा ने कहा, विकास का मार्ग प्रधानमंत्री मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे के तहत आता है। वैसे भी वे एकनाथ शिन्दे के साथ शिवसेना में गये हैं, भाजपा में नहीं। और भाजपा ने उन्हें नहीं लिया या वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में नहीं जा पाये। शिन्दे मुख्यमंत्री कैसे बने हैं और इसमें जनादेश का क्या हश्र हुआ है वह बताने की जरूरत नहीं है पर दोनों तथ्यों जोड़ने से पहले इन बातों का ख्याल रखा जाना चाहिये था।
जहां तक 18000 करोड़ रुपए की सड़क से विकास की बात है, मैं लिख चुका हूं कि भारत में जब आम सड़क पर किराये की गाड़ी में तमाम खर्चों समेत चलने का खर्च 12 रुपए किलोमीटर है तो नई सड़क पर यह खर्चा सरकारी दर से ही आठ रुपये प्रति किलोमीटर बढ़ जायेगा। जाहिर है, यह विकास आम आदमी के लिए नहीं है और अभी भी परिवार के साथ 12 रुपये किलोमीटर खर्च करके चलना बहुतों की क्षमता से बाहर है। एक आदमी के लिए प्रति किलोमीटर आठ से नौ रुपये का खर्च तो कई बार विमान किराये से भी ज्यादा बैठता है। ऐसे में सरकार समर्थक यह कह सकते हैं कि इन सुविधाओं से गरीबों की सड़क पर अमीरों की भीड़ नहीं होगी या कम हो जायेगी। पर यह सरकार के समर्थन वाला विवेक है, संपादकीय विवेक नहीं।
हिन्दुस्तान टाइम्स ने फोटो को ही खबर की तरह शीर्षक के साथ छापा है। द हिन्दू में इस खबर का शीर्षक है, मणिपुर में भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत करते हुए राहुल गांधी ने शांति का प्रण लिया। इंडियन एक्सप्रेस में इस खबर का शीर्षक है, राहुल की यात्रा शुरू : मंदिर के माहौल में, कांग्रेस ने कहा भाजपा वोट के लिए राम का उपयोग कर रही है। द टेलीग्राफ का शीर्षक है, अन्याय की शिकायत के साथ (मणिपुर से) दूसरी यात्रा शुरू। शर्मनाक कि प्रधानमंत्री अभी तक मणिपुर नहीं आये हैं : राहुल, फ्लैग शीर्षक है। ऐसे में अमर उजाला ने राहुल गांधी की खबर (अंदर वाले पहले पन्ने पर) पांच कॉलम में छापी है। शीर्षक है, मणिपुर में आंसू पोछने नहीं पहुचे पीएम, हम आपका दर्द समझने आये : राहुल। इसके साथ ही पर अलग खबर है, कांग्रेस छोड़ मिलिन्द ने थामा शिवसेना का हाथ।